दिल्ली में श्री गुरु रविदास मंदिर तोड़ने के विरोध में जर्मनी में प्रदर्शन

Edited By Vatika,Updated: 16 Aug, 2019 05:47 PM

demonstration in german to break the sri guru ravidas temple in delhi

दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित श्री गुरु रविदास मंदिर को गिराए जाने के विरोध में समस्त रविदासिया भाईचारे की तरफ से देशभर में धरने देकर प्रदर्शन किया जा रहा है

जालंधरः दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित श्री गुरु रविदास मंदिर को गिराए जाने के विरोध में समस्त रविदासिया भाईचारे की तरफ से देशभर में धरने देकर प्रदर्शन किया जा रहा है। इसके तहत जर्मनी में भी भारत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने भारतीय कंसुलेट को मंदिर का पुनर्निर्माण करने के लिए मांग पत्र सौंपना चाहा लेकिन उन्होंने लेने से इंकार कर दिया। 

PunjabKesari

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के अतिक्रमण हटाने के आदेश पर दिल्ली स्थित श्री गुरु रविदास जी का गुरुद्वारा तोड़ने के विरोध में रविदास भाईचारे की तरफ से 21 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि गुरुद्वारे को तोड़ने के कारण गुरु रविदास जी के भक्तों में रोष की लहर है।

PunjabKesari

मंदिर की ऐतिहासिकता और प्रमाणिकता
एडवोकेट सतपाल विरदी, एडवोकेट इंद्रजीत सिंह, नैशनल शैड्यूल्ड कास्ट अलायंस के अध्यक्ष परमजीत सिंह कैंथ, आदि धर्म मिशन खुरालगढ़ साहिब के संत सतविन्द्र सिंह हीरा के अनुसार तुगलकाबाद स्थित श्री गुरु रविदास मंदिर 600 वर्ष पुराना मंदिर है। इस मंदिर की जमीन दिल्ली के सम्राट सिकंदर लोधी ने दी थी। सिकंदर लोधी हर हाल में श्री गुरु रविदास जी का धर्मांतरण कर उन्हें मुस्लिम बनाना चाहता था लेकिन जब किसी भी तरह वह सफल नहीं हो पाया तो बादशाह के आदेश पर श्री गुरु रविदास महाराज को जेल में डाल दिया गया। इसके जवाब में चंबर वंश के क्षत्रियों ने दिल्ली को घेर लिया था। इससे भयभीत होकर सिकंदर लोधी ने गुरु महाराज को छोड़ दिया।

यही नहीं, गुरु महाराज की शिक्षाओं से प्रभावित होकर स्वयं बादशाह सिकंदर लोधी ने 800 कनाल (लगभग 12 बीघा और 7 बिस्वा) जमीन उपहार स्वरूप दी थी, जिस पर गुरु महाराज के अनुयायियों ने 600 साल पहले मंदिर बनाकर सत्संग शुरू किया था।  एडवोकेट विरदी ने बताया कि 1959 में स्वयं उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम इस मंदिर में गए और मंदिर का पुनरुद्धार करवाया। यही नहीं, दिल्ली रैवेन्यू रिकार्ड में इस मंदिर का इंदराज दर्ज है। 1964 में इस मंदिर की जमीन को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने अपने कब्जे में ले लिया और कोर्ट में केस चला गया।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!