कोरोना की मार: जिले में 60 पोल्ट्री फार्मों का कारोबार तबाह होने के कगार पर

Edited By Vatika,Updated: 28 Mar, 2020 10:39 AM

corona hit 60 poultry farms in the district on the verge of destruction

जाब में कोरोना वायरस कारण लगे लम्बे कर्फ्यू ने खेती के साथ-साथ प्रमुख मुर्गी पालन के सहायक कार्य को आर्थिक तौर पर पूरी तरह ठप्प हो गया है।

मोगा/धर्मकोट (गोपी राऊके, अकालियांवाला): पंजाब में कोरोना वायरस कारण लगे लम्बे कर्फ्यू ने खेती के साथ-साथ प्रमुख मुर्गी पालन के सहायक कार्य को आर्थिक तौर पर पूरी तरह ठप्प हो गया है। पहले मुर्गी पालकों को राजस्थान बॉर्डर पर मुर्गियों के लिए दाना लेने के लिए खड़े ट्रकों को मंगवाने में भारी परेशानी झेलनी पड़ी तथा अब मोगा जिले में प्रशासन द्वारा मुर्गी पालकों को मीट व अंडे की होम डिलीवरी के लिए मंजूरी न दिए जाने कारण मुर्गी पालकों का समूचा कारोबार ‘ठप्प’ होने के किनारे पहुंच गया है। हैरानी की बात तो यह है कि सरकार से बड़े लोन लेकर मुर्गी पालन का सहायक धंधा अपना रहे सैंकड़ों कारोबारियों को लोन की किस्तें टूटने का डर भी सताने लगा है।

‘पंजाब केसरी’ द्वारा हासिल की जानकारी के अनुसार मोगा जिले में लगभग 60 के करीब पोल्ट्री फार्म हैं जिनमें 4 से 5 लाख मुर्गियों का पालन होता है। चीन में कोरोना की बीमारी फैलने उपरांत इस कारोबार संंबंधी फैली अफवाहों के चलते पहले ही यह धंधा ठप्प हो गया था तथा अब तो एकदम ही कारोबार में मंदी आने के चलते मुर्गी पालन का व्यवसाय अंतिम सांसों पर पहुंच गया है। बधनी कलां में अंडों के पुराने कारोबारी हरि राम का कहना है कि कोरोना की मार के चलते अंडों का काम भी पूरी तरह ठप्प है। उन्होंने कहा कि अंडों की सप्लाई मोगा जिले के पोल्ट्री फार्मों से आगे नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि थोक के अंडे विक्रेता के पास जो पुराना स्टॉक पड़ा है वह भी खराब होने का डर है क्योंकि जिले में अभी तक अंडों/मीट की दुकानों को घर-घर सप्लाई करने की मंजूरी भी नहीं दी है। उन्होंने कहा कि चाहे कर्फ्यू लगाना सरकार का सही फैसला है लेकिन कारोबारियों का भी ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान जब मामले का पक्ष जानने के लिए डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस से सम्पर्क किया तो फोन न उठाने के चलते उनसे बात नहीं हो सकी।

20 से 25 रुपए बिक बिक रहा चिकन, कारोबारियों ने जताया दुख
पोल्ट्री उद्योग से जड़े कारोबारियों ने दुख जाहिर करते कहा कि एक चूजे को 2 किलो वजन तक लाने के लिए लगभग डेढ़ महीना मेहनत करनी पड़ती है जिस पर प्रति चूजे की खुराक व उसके पालन-पोषण पर 85 से 100 रुपए खर्चा आता है। कोरोना से पहले 65 से 70 रुपए प्रति किलो आम भाव रहता था, जो अब कोरोना के डर से 20 से 25 रुपए बिकने से पोल्ट्री उद्योग तबाही की तरफ जा रही है। कारोबारियों ने कहा कि अगर सरकारों ने पोल्ट्री उद्योग की तरफ नजर न मारी तो इस कारोबार के साथ जुड़े लोग आर्थिक मंदी के कारण रुलने को मजबूर हो जाएंगे। जहां अंडे का भाव घटा है, वहीं लगभग 60 प्रतिशत काम में मंदी आई है। जिला मोगा के हलका धर्मकोट के विभन्नि गांवों में 15 के लगभग पोल्ट्री फार्म हैं, जिनमें अढ़ाई लाख से ऊपर मुर्गियां हैं। यदि अंडों की औसतन रोजाना देखी जाए तो रोज इनको लाखों रुपए की मार सहनी पड़ रही है।

 

 

 

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