पंजाब में 'अपकमिंग सरकार' को लेकर पशोपेश में अफसरशाही

Edited By Urmila,Updated: 23 Feb, 2022 04:08 PM

bureaucracy in turmoil over upcoming government in punjab

इस बार का विधानसभा चुनाव राज्य में चुनावों की हिस्ट्री में सबसे अधिक रोमांचकारी था। रोज सुबह एक नई खबर दिन का इंतजार कर रही होती थी। एक पार्टी के नेता दूसरी पार्टी में शामिल ...

जालंधर (अनिल पाहवा): इस बार का विधानसभा चुनाव राज्य में चुनावों की हिस्ट्री में सबसे अधिक रोमांचकारी था। रोज सुबह एक नई खबर दिन का इंतजार कर रही होती थी। एक पार्टी के नेता दूसरी पार्टी में शामिल हो रहे थे तो वहीं नेताओं के सोशल मीडिया पर दी जा रहे थेस को वहीं नेतओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शब्दभेदी बाण चलाए जा रहे थे लेकिन अब पंजाब विधानसभा चुनावों के बाद पूरी तरह से माहौल शांतिपूर्ण है। चुनावों में भागदौड़ करने के बाद थक चुके उम्मीदवार अपने-अपने घर में परिवारों और समर्थकों के साथ चाय की चुस्कियां ले रहे हैं। जहां नेता आराम फरमा रहे हैं, वहीं अफसरशाही अभी भी अभी भी अपने घोड़े दौड़ा रही है, क्योंकि इस बार चुनावोंक के परिणाम क्या होंगे, यह इस समय का सबसे बड़ा यक्ष प्रशन है क्योंकि इस बात जवाब किसी के पास नहीं है।

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जल्दबाजी से कतरा रही अफसरशाही
पंजाब में वर्ष 2012 के चुनावों के बाद की स्थिति बेहद असमंजस भरी थी। 2007 मे 2012 तक राज्य में अकाली-भाजपा की सरकार थी। सभी को लग रहा था कि इस बार सत्ता परिवर्तन होगा। राज्य की अफसरशाही लगभग अकाली भाजपा सरकार को रुखस्त करने की तैयारी कर चुकी थी। कहा तो यह भी जा रहा था कि कुछ अफसर संभावित सी.म. के तौर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह को बुक्के भी दे आए थे, लेकिन चुनाव परिणाम ने सबको चौंका दिया था। राज्य में अकाली-भाजपा सरकार लौट आई थी और इसके चलते कैप्टन को बुक्के पहुंचाने वाले लोगों के चेहरे फूलों से भी पहले मुरझा गाए। पिछले दौर में हुई इन घटनाओं को ध्यान मेंरखते हुए इस बार अफसरशाही भी खामोश है, लेकिन राज्य में सत्ता किसी आ रही है, उसकी तलाश के लिए खूब घोड़े दौड़ा रही है। अभी तक स्थिति साफ नहीं है। 

दिल्ली के अफसरों के संपर्क में अफसरशाही
पंजाब में भाग्य आजमाने से पहले आम आदमी पार्टी दिल्ली में सत्ता में आ चुकी थी। पंजाब के कई अफसर लगातार दिल्ली से संबंधित अपने साथी अफसरों के संपर्क में हैं तथा बाकायदा उनसे आम आदमी पार्टी के काम करने के तौर-तरीकों के बारे में राय एकत्र कर रहे हैं। अगर राज्य में आम आदमी पार्टी आती है तो किस नेता के माध्यम से बेहतर पद लिया जा सकता है, इस बारे में भी जानकारी एकत्र की जा रही है। अगर राज्य में आम आदमी पार्टी आई तो दिल्ली में तैनात अफसरों के यहां भी पंजाब के अफसर बुक्के भेजते शायद देखे जा सकेंगे।

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कांग्रेस को लेकर अफसरशाही के मन में क्या है
पंजाब में पिछले पांच साल से कांग्रेस की सरकार थी। साढ़े चार साल तक तो राज्य में कांग्रेस की सरकार सोई रही, लेकिन आखिरी 111 दिनों में मुख्यमंत्री पद पर कैप्टन की रुसख्ती और चरणजीत सिंह चन्नी के आगमन से कुछ हद तक पार्टी में दोबारा जान आई है। खबर मिली है कि अफसरशाही राज्य में कौन-सी पार्टी सत्ता में आएगी। इस बात को लेकर अभी तक आश्वस्त नहीं है। इसी को देखते हुए कांग्रेस के नेताओं के साथ भी अफसरों ने लगातार संपर्क रखा हुआ है। इस मामले में यह बात भी गौर करने वाली होगी कि जिन नेताओं के साथ अफसर अभी तक संपर्क में है, वे कहीं चुनावों में हार ही न जाएं। सूत्रों का कहना है कि अफसरशाही कांग्रेस की सरकार में कुछ ज्यादा कंफर्टेबल फील करती है इसलिए वे कांग्रेस को राज्य में दोबारा सत्ता में देखना चाहते हैं।

अकाली-भाजपा को लेकर कशमकश 
वैसे तो अकाली दल और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़े है तथा दोनों दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, लेकिन जिस तरह से राज्य में सियासी पंडित चुनावों के रिजल्ट को लेकर संभावनाएं जता रहे है, उससे दोनों दलों के मिलकर सरकार बनाने की भी चर्चाएं शुरू हो गई है। इससे पहले अफसरशाही ने पंजाब में जब अकाली-भाजपा का दौर रहा, उस समय काम किया है, लेकिन तब बात कुछ अलग थी। उस दौर में अकाली दल भाजपा के ऊपर हावी था और भाजपा वर्कर की नहीं सुनी जाती थी। लेकिन अब अगर पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार बनती है तो यह बात तो साफ है कि अकाली दल पहले की तरह भाजपा के ऊपर हावी नहीं रह पाएगा। संभावना तो यह भी जताई जा रही है कि अगर गठबंधन हुआ तो राज्य में भाजपा का सी.एम. और अकाली दल का डिप्टी सी.एम. भी हो सकता है। यह सब अभी भविष्य के गर्भ में है, लेकिन अगर अकाली-भाजपा सरकार बनती है तो अफसरशाही को अपने तौर तरीके बदलने होगे।

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'आप' को लेकर कशमकश
पंजाब में अब तक कांग्रेस शिरोमणि अकाली दल भाजपा की सत्ता ही रही है। 2017 के विधानसभा चुनावों में पहली बार आम आदमी पार्टी ने अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। इस बार आम आदमी पार्टी राज्य में सत्ता को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। लेकिन इस मामले में राज्य के राजनीतिज्ञों से लेकर खुद अफसरशाही में कुछ हद तक कशमकश की स्थिति चल रही है। अकाली, भाजपा या कांग्रेस के नेताओं के साथ तो अफसरशाही ने काम किया हुआ है, लेकिन अगर राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती है तो अफसरशाही के लिए यह नया अनुभव होगा, जिसके चलते उन्हें पूरी व्यवस्था राज्य की सत्तासीन पार्टी के अनुसार करनी होगी। इसलिए अफसर आम आदमी पार्टी को लेकर कुछ हद तक पशोपेश में है। नई पार्टी के नए लोग अफसरशाही के साथ किस तरह का रवैया रखते हैं या राज्य में किस तरह की व्यवस्था रहती है, इस बात को लेकर अफसरशाही कुछ परेशान है। ऐसे में कुछ अफसर तो अपने तबादले के लिए भी तैयारी करने में जुट गए हैं।

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