भारत में 7 साल बाद फिर होगी कपास की बंपर पैदावार

Edited By Sunita sarangal,Updated: 28 Sep, 2020 10:42 AM

bumper production of cotton will be again after 7 years in india

इस साल व्हाइट गोल्ड की पैदावार के अनुमान अलग-अलग आ रहे हैं। इसके अनुसार पैदावार 4, 4.20 व 4.25 करोड़ गांठें आंकड़े बाजार में आ रहे हैं।

जैतो(पराशर): भारत में नए कपास सीजन साल 2020-21 के लिए किसानों ने कैश पेमेंट खरीफ फसल व्हाइट गोल्ड की बुआई अब तक करीब 2.11 फीसदी बढ़कर 130.37 लाख हैक्टेयर में कर ली है जबकि पिछले साल इस समय तक लगभग 127.67 लाख हैक्टेयर भूमि में व्हाइट गोल्ड की बुआई की गई थी। सूत्रों के अनुसार देश में इस साल 7 साल बाद फिर से बंपर पैदावार होने की संभावना है। इस साल व्हाइट गोल्ड का बुआई क्षेत्र बढऩे के साथ-साथ खेतों में फसल सैंतें मार रही हैं। मौसम आगे अनुकूल रहा तो देश में व्हाइट गोल्ड की पैदावार का विश्व स्तरीय रिकॉर्ड पैदावार आंकड़ा स्थापित होगा। 

इस साल व्हाइट गोल्ड की पैदावार के अनुमान अलग-अलग आ रहे हैं। इसके अनुसार पैदावार 4, 4.20 व 4.25 करोड़ गांठें आंकड़े बाजार में आ रहे हैं। भारत में 7 साल बाद एक बार फिर से व्हाइट गोल्ड की बंपर पैदावार होने की बड़ी उम्मीद जताई जा रही है। पिछले 7 साल में देश में व्हाइट गोल्ड की पैदावार इस प्रकार रही। कपास सीजन साल 2013-14 में 3.98 करोड़ गांठों की पैदावार रही जबकि 2014-15 में 3.86 करोड़, 2015-16 में 3.32 करोड़, 2016-17 में 3.45 करोड़, 2017-18 में 3.70 करोड़, 2018-19 में 3.30 करोड़ व साल 2019-20 में 3.68 करोड़ गांठों की पैदावार रहने की सूचना है। 

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बाजार जानकार सूत्रों की मानें तो चालू नए कपास सीजन साल 2020-21 में कपड़ा मंत्रालय के उपक्रम भारतीय कपास निगम लिमिटेड (सी.सी.आई.) का व्हाइट गोल्ड खरीद पर दबदबा रहने की संभावना जताई जा रही है। सी.सी.आई. ने इस साल देश भर में करीब 1.12 करोड़ गांठों का व्हाइट गोल्ड न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा है। केंद्र सरकार ने नए कपास सीजन साल 2020-21 के लिए व्हाइट गोल्ड का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,515 और 5,825 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। यह एम.एस.पी. व्हाइट गोल्ड की क्वालिटी पर निर्भर करेगा कि उसकी एम.एम. लंबाई क्या है। 

सूत्रों के अनुसार देश के किसान नए कृषि अध्यादेश का जोरदार विरोध कर रहे हैं जिसको विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा समर्थन दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार किसानों को खुश करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है और अब सरकार कपड़ा मंत्रालय के उपक्रम भारतीय कपास निगम लिमिटेड द्वारा किसानों की कैश पेमेंट फसल व्हाइट गोल्ड 2 से 2.25 करोड़ गांठ खरीदने की बात बाजार में आई है जिससे सी.सी.आई. का व्हाइट गोल्ड मंडियों पर दबदबा रहेगा क्योंकि कपास जिनिंग कारखाने वाले सी.सी.आई. के बराबर किसानों को व्हाइट गोल्ड का भाव नहीं दे सकते। इसका मुख्य कारण है कि रुई के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य पर व्हाइट गोल्ड खरीदने से कपास जिनरों को मोटा नुक्सान है। आखिरकार व्यापारी कब तक नुक्सान उठाएगा, अधिकतर कपास जिनर कारखानेदार अपनी मिलें सी.सी.आई. को ठेके (बिलाई) पर देंगे जिसके लिए उन्होंने सी.सी.आई. को लिखित रूप में दे दिया है।

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105 से 115 लाख गांठों का क्लोजिंग स्टॉक होने की संभावना
भारत का चालू कपास सीजन साल 2019-20 सितम्बर में समाप्त होने जा रहा है। इस सीजन क्लोजिंग स्टॉक 105 से 115 लाख गांठों का रहने के कयास लगाए जा रहे हैं। भारतीय रूई व्यापार जगत में यह बहुत बड़ा स्टॉक माना जाता है। सूत्रों के अनुसार देश में भारतीय कपास निगम लिमिटेड सी.सी.आई. व महाराष्ट्र फैडरेशन के पास करीब 65 लाख गांठ व्हाइट गोल्ड का है जबकि निजि व्यापारियों ने अपना 99 फीसदी स्टॉक बेच डाला है। सी.सी.आई. अपने स्टॉक को लगातार कीमतें बढ़ाकर सेल कर रही है ताकि वह नया व्हाइट गोल्ड जल्द शुरू कर सके। कपड़ा मंत्रालय के अनुसार भारत में व्हाइट गोल्ड का नया सीजन अक्तूबर से सितम्बर 2021 तक चलता है।

80 लाख गांठों का हो सकता है निर्यात 
भारत में नए कपास सीजन में बंपर पैदावार होने और भारतीय कपास निगम लिमिटेड (सी.सी.आई.) द्वारा 2 करोड़ गांठों की खरीद करने की खबर से इस साल भारत से विभिन्न देशों को व्हाइट गोल्ड की 75-80 लाख गांठों का निर्यात होने की संभावना बाजार में जताई जा रही है। माना जाता है कि इस नए सीजन दौरान सी.सी.आई. बड़े स्तर पर व्हाइट गोल्ड निर्यात करेगा। चालू सीजन दौरान भारत से विभिन्न देशों जिसमें वियतनाम, बंगलादेश, चीन, कोरिया व तुर्की आदि शामिल हैं, को अबतक करीब 50 लाख गांठों का निर्यात हो चुका है और 5 लाख गांठों के सौदे अभी बाकी हैं जिसका निर्यात शीघ्र होगा। पिछले सीजन साल 2018-19 के दौरान करीब 44 लाख गांठों का निर्यात हुआ था।

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10 फीसदी बढ़ा यार्न का निर्यात 
कोरोना वायरस महामारी से पूरे विश्व भर में रूई व यार्न बाजार का बेतहाशा बुरा हाल हो गया था जिसमें भारतीय टैक्सटाइल्स उद्योग व कताई मिलों पर भी साढ़ेसाती चढ़ गई थी, लेकिन अब लगता है कि साढ़ेसाती ने अपना रुख बदल लिया है। ऑल गुजरात स्पिनर एसोसिएशन के अनुसार पिछले 2 महीनों में यार्न का निर्यात 10 फीसदी बढ़ा है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इसमें सुधार अच्छा रहेगा। भारत में भी लोकल स्तरीय डिमांड आ रही है।

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