दिल्ली के चुनाव परिणामों से न घर का, न घाट का रहा शिअद

Edited By swetha,Updated: 12 Feb, 2020 11:44 AM

akali dal

देश की राजधानी ने जिस तरीके से चुनाव परिणामों में अपने ही केंद्रीय घर से भाजपा को बेदखल किया है

अमृतसर(दीपक) : देश की राजधानी ने जिस तरीके से चुनाव परिणामों में अपने ही केंद्रीय घर से भाजपा को बेदखल किया है, शायद पहले किसी भी केंद्र सरकार के साथ ऐसा नहीं हुआ। इतिहास साक्षी है कि दिल्ली के मतदाताओं ने जहां भाजपा को पूर्ण रूप से नकारा है, वहीं कांग्रेस पार्टी को भी आऊट कर दिया है।

दूसरी ओर दिल्ली चुनाव परिणामों के बाद शिअद न घर का रहा, न घाट का ही रहा है, क्योंकि शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने हरसिमरत कौर की केंद्रीय मंत्री की सीट बचाने के लिए भाजपा को धोखे में रखकर दिल्ली चुनाव में मदद करने का झूठा वायदा किया था। चुनाव परिणामों से भी जाहिर होता है कि शिअद ने इस बार भाजपा की नहीं चुनावों में ‘आप’ की आंतरिक तौर पर मदद की, जिससे दिल्ली के सिख मतदाताओं ने ‘आप’ को खुलकर समर्थन दिया।

यह बात पंजाब की सियासत में बार-बार उठती रही है कि पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव यदि शिअद भाजपा के बिना लड़ता है तो ताजा राजनीति के तहत भाजपा अधिक सीटें हासिल कर सकती है, परंतु केंद्र में भाजपा के हठधर्मी नेताओं ने अकाली दल को साथ लेकर चुनावी रणनीति तैयार करने का फैसला किया है जो पंजाब में शिअद के साथ भाजपा को भी ले डूबेगा।हालात के मुताबिक केंद्रीय भाजपा नेताओं को यह समझना होगा कि दिल्ली के चुनावों में भाजपा की हार में शिअद का अहम रोल रहा है। जहां तक पंजाब की राजनीति में भाजपा, शिअद और कांग्रेस पार्टी का स्तर है, तीनों पाॢटयों को पंजाब के लोगों ने आजमाने के बाद हराने का मन बना लिया है। 

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