Edited By VANSH Sharma,Updated: 29 May, 2025 04:41 PM

स्मार्ट सिटी के तहत चल रहा एक अहम प्रोजेक्ट एक बार फिर समय पर पूरा नहीं हो पाया है।
जालंधर : जिले में स्मार्ट सिटी के तहत चल रहा एक अहम प्रोजेक्ट एक बार फिर समय पर पूरा नहीं हो पाया है। यह सरफेस वाटर प्रोजेक्ट साल 2020 में शुरू हुआ था और इसकी लागत करीब 400 करोड़ रुपये है। इसे मार्च 2025 तक पूरा करने की योजना थी, फिर डेडलाइन बढ़ाकर 15 अगस्त 2025 कर दी गई। लेकिन अब अधिकारियों का कहना है कि प्रोजेक्ट को पूरा होने में कम से कम चार महीने और लग सकते हैं।
मजदूरों की कमी से काम में रुकावट
अधिकारियों के मुताबिक, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के समय कई प्रवासी मजदूर काम छोड़कर चले गए थे, जिससे प्रोजेक्ट पर असर पड़ा। अब जब मजदूर वापस आ गए हैं, तो काम दोबारा शुरू कर दिया गया है।
क्या है इस प्रोजेक्ट का मकसद?
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है कि शहर को ग्राउंडवाटर (भूमिगत पानी) के बजाय सतही जल (सरफेस वाटर) से साफ पीने का पानी 24x7 उपलब्ध कराया जा सके। इससे ज़मीन के नीचे का पानी कम इस्तेमाल होगा और लोगों को अच्छी क्वालिटी का पानी मिलेगा।
इसके अलावा आदमपुर के जगनपुर गांव में 275 एमएलडी क्षमता वाला एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है। इसका सिविल वर्क पूरा हो चुका है, लेकिन अभी तक बिजली से जुड़ा काम बाकी है। तो वहीं शहर के अलग-अलग इलाकों जैसे सूर्या एन्क्लेव, ढिलवां, मॉडल टाउन, बर्लटन पार्क और फोकल प्वाइंट में कुल पांच वाटर रिजर्वॉयर बनने हैं। लेकिन सूर्या एन्क्लेव में तो अभी तक निर्माण शुरू भी नहीं हो पाया है।
पाइपलाइन का काम भी अधूरा
शहर में कुल 97 किलोमीटर अंडरग्राउंड स्टील पाइपलाइन बिछाई जानी है। अब तक सिर्फ 53 किलोमीटर पाइप बिछाई गई है। आदमपुर से धोगरी रोड तक का काम पूरा हो चुका है।
पांच साल बीतने के बाद भी यह बड़ा और अहम प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका है। अब देखना होगा कि चार महीने की इस नई डेडलाइन तक क्या वाकई लोगों को 24 घंटे साफ पानी मिलना शुरू हो पाएगा या फिर इसे और समय के लिए टाल दिया जाएगा।
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