पंजाब में आतंकवाद राजनीतिक नेताओं की गलती का परिणामः बिट्टा

Edited By Vatika,Updated: 29 May, 2020 03:33 PM

terrorism in punjab is the result of mistake of political leaders bitta

पंजाब ने लंबे समय तक आतंकवाद का संताप झेला है। भले ही पंजाब में शांति लौट चुकी है, लेकिन आतंकवाद रूप बदल कर पंजाब के लोगों के सामना आता रहता है।

जालंधर : पंजाब ने लंबे समय तक आतंकवाद का संताप झेला है। भले ही पंजाब में शांति लौट चुकी है, लेकिन आतंकवाद रूप बदल कर पंजाब के लोगों के सामना आता रहता है। पंजाब में अशांति के माहौल के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान अपनी शरारतों से बाज नहीं आ रहा है और उसकी यह फितरत है कि उसने शरारत करनी है, मगर देश के जवान हर समय पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं। फिर चाहे वह पंजाब की बात हो या जम्मू-कश्मीर की। पाकिस्तान के मंसूबे कभी पूरे नहीं हो सकते जब तक देश का जवान जाग रहा है, लेकिन पंजाब ने जो काले दिन भोगे हैं क्या इसके पीछे पाकिस्तान का ही हाथ है? नहीं, इसके पीछे राजनीतिक नेताओं की भी उतनी बड़ी गलती है जितना बड़ा हाथ पाकिस्तान का है। पंजाब में सारे आतंकवादी पाकिस्तान से नहीं आए थे। पंजाब के नौजवानों के हाथों में ए.के.-47 किसने थमाई? ये नौजवान गांवों से थे। 

36,000 बेगुनाहों का कत्लेआम भी हुआ। नौजवानों, जिन्हें हम आतंकवादी बन गए कहते हैं कहीं न कहीं इसके पीछे राजनीतिक नेताओं की गलती थी। ये बातें पंजाब के पूर्व मंत्री मनिन्द्रजीत सिंह बिट्टा ने पंजाब केसरी के संवाददाता जतिन कुमार शर्मा के साथ विशेष बातचीत में कहीं। बिट्टा ने कहा कि आज दुनिया में सिख कौम का कितना बड़ा नाम है। विदेशों में जाकर देखें पंजाबियत कितनी प्रफुल्लित हुई है, मगर हमने क्या किया पंजाब के लिए? चुनाव आए व गए। कभी विधानसभा के चुनाव आए तो कभी कौंसिलों के तो कभी आम चुनाव आए। मैं यह सवाल करता हूं कि 70 साल की राजनीति में हमने क्या दिया है पंजाब को? जिन मजदूरों की बदौलत देश ने विकास किया तथा जिन्होंने बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें, बिजलीघर बनाए, उन मजदूरों को जब कोरोना जैसी बीमारी में लॉकडाऊन हुआ तो सड़कों पर नंगे पांव भेज दिया गया। देश को पैरों पर खड़ा करने वाले मजदूरों को यह दिया है 70 साल की राजनीति ने।
 
चौधर की भूख करवा रही हर रोज राजनीतिक ड्रामे
अगर नेताओं ने 70 साल में कुछ नहीं किया तो 70 साल से सीमा पर सीना तान कर खड़े नौजवानों, जिन्हें मालूम है कि किसी भी समय दुश्मन की गोली का वे शिकार हो सकते हैं, को हमने क्या सुविधाएं दीं, जबकि नेताओं को 36 तरह की सुविधाएं हासिल हैं इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इस सवाल के जवाब में भावुक होते हुए बिट्टा ने कहा कि जलियांवाला बाग में जब जनरल डायर गोलियां बरसा रहे थे तो शहीद-ए-आजम ऊधम सिंह कहते थे मां गोली सीने ते खावांगे, भारत मां नू आजाद करावांगे और शहादत का जाम पी गए। मगर हम राजनेता क्या कहते हैं, मां गोली सीने ते नहीं खावांगे, इस भारत माता नू नोच-नोच के खावांगे और अपनी चौधर की भूख की खातिर आज की नौजवान पीढ़ी को तबाह करेंगे। यह हम आज के राजनेता हैं। हम करते क्या हैं? रोज ड्रामे करते हैं।

बेबाकी से नाम लेते हुए बिट्टा ने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी हुई। बेअदबी को लेकर रोष से भरे लाखों लोग इक_े हुए व हमने संघर्ष किया। वहीं राजनीतिक लाभ लेने के लिए सुखपाल सिंह खैहरा, जोकि रहने वाला तो जिला कपूरथला का है, परंतु राजनीतिक लाभ लेने के लिए वह बङ्क्षठडा में जाकर इलैक्शन लडऩे लगा कि अब गुरु ग्रंथ साहिब के नाम पर उसे वोट मिल जाएंगे, लेकिन उसकी जमानत तक जब्त हो गई। 
उन्होंने कहा कि वैसे मैं सुखपाल खैहरा का कोई विरोधी नहीं हूं, मगर कोई कम से कम पावन ग्रंथ के नाम पर राजनीति तो न करे। हम तो गुरु ग्रंथ साहिब के नाम को ही बेचे जा रहे हैं। अब तो मीडिया टैरारिज्म भी चल पड़ा है। राजनीतिक ग्रुप बने हुए हैं और मीडिया पर आतंक फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति करो, मगर राजनीति बेदाग होनी चाहिए। जब तक राजनीति स्वच्छ नहीं होगी, हम दुनिया तो क्या भारत को नहीं बचा सकते।

‘मैंने पंजाब में राजनीति नहीं की’
राजनीति में कुछ गंदे लोगों की भी एंट्री है। क्या आपकी नजर में कोई सही नेता भी है खासकर पंजाब में, जिसे आप पसंद करते हों तो बिट्टा ने कहा कि मैंने पंजाब में राजनीति नहीं की। मैंने तो देश की सेवा की है। मैं कांग्रेसी था, लेकिन मैंने पॉलीटिक्स नहीं की। मैं एक बात कहता हूं कि अब वे लोग राजनीति में नहीं हैं, जिनके दामन पर एक छोटा-सा दाग भी नहीं था। उदाहरण के लिए सरदार संतोख सिंह रंधावा और लुधियाना के सरदारी लाल कपूर। इनकी पाक साफ छवि थी, लेकिन अब ऐसे लोग नहीं रहे। 

भारत-अमरीका के मजबूत रिश्तों से चीन को तकलीफ तो होगी ही  
भारत और चीन के रिश्तों में अचानक आई तल्खी के बारे में सवाल पूछे जाने पर पूर्व मंत्री ने कहा कि यह मानवता की खातिर लड़ाई है। मानवता की खातिर आवाज उठाने पर चीन को तकलीफ तो होगी ही। उदाहरण देते हुए श्री हरिमंदिर साहिब के पूर्व हजूरी रागी पद्मश्री निर्मल सिंह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अमृतसर में गांववालों ने उनके संस्कार के लिए श्मशानघाट में जगह नहीं दी। ऐसा चीन की गलती से फैले एक साइलैंट टैरारिज्म के कारण हुआ है। ङ्क्षहदुस्तान ने मानवता की खातिर इसके खिलाफ आवाज उठाई। भारत ने अमरीका की मदद की और अमरीका ने भारत की। अमरीका ने भारत से वैक्सीन मांगे तो भारत ने तुरंत दे दिए और भारत ने वैंटीलेटर्स मांगे तो अमरीका ने भारत को दिए। मानवता की खातिर एक-दूसरे के हक में खड़े हुए अमरीका और भारत को लेकर चीन को तो तकलीफ होनी ही है। इसी तकलीफ के कारण चीन ने अपनी फौजें लद्दाख और कई जगह खड़ी कर दी हैं। वह नेपाल की ओर चल पड़ा है। चीन का कहना था कि उसके साथ चलो, लेकिन उसके साथ कैसे चला जा सकता है। नेपाल भी आंखें दिखाने लगा है तो इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं, के जवाब में बिट्टा ने कहा कि इस सबके पीछे चीन है। भारत इस समय कोरोना से जूझ रहा है। उसे डिस्टर्र्ब करने की यह बहुत बड़ी चाल है, लेकिन उसके मंसूबे कभी पूरे नहीं हो सकते, क्योंकि हमारी सेनाएं, हमारी सुरक्षा एजैंसियां पूरी मुस्तैदी के साथ खड़ी हैं। भारत कभी पहल नहीं करता। चीन और पाकिस्तान बड़ी गलतफहमी में हैं। 

मोदी की तारीफ क्यों न करूं?
मोदी की तारीफ के पीछे क्या कारण है, पर बिट्टा बोले-मोदी कोई मुशर्रफ नहीं हैं, मोदी कोई नवाज शरीफ नहीं हैं और न ही वह इमरान खान हैं। उन्होंने देश के लिए बड़ा काम किया है। मैं उनकी तारीफ क्यों न करूं? 70 साल की कैंसर की बीमारी धारा-370 को तोडऩे की उन्होंने हिम्मत की है। मैं तो उनकी तारीफ करूंगा। भारत कोरोना बीमारी से लड़ नहीं रहा होता तो आज भारत का नक्शा कुछ और होता। पाकिस्तान अपनी चालें चलता है, मगर पाकिस्तान की कोई भी चाल कामयाब नहीं हो सकती, जब तक हमारे सैनिक सीमा पर सीना ताने खड़े हैं।

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