Edited By Sunita sarangal,Updated: 06 Nov, 2020 09:00 AM

यह उछाल कुछ दिनों के दौरान देखने में आया है। 4 नवम्बर को जहां 4,908 मामले रिकॉर्ड किए गए, वहीं वीरवार को 5,036.....
चंडीगढ़(अश्वनी): खेतों में जल रही पराली ने पंजाब को एक बार फिर 2016 जैसी स्थिति में पहुंचा दिया है। 2016 में 50,608 जगह पराली जलाने के मामले रिकॉर्ड किए गए थे। वहीं, इस बार अब तक कुल आंकड़ा 49,112 तक पहुंच गया है।
यह उछाल कुछ दिनों के दौरान देखने में आया है। 4 नवम्बर को जहां 4,908 मामले रिकॉर्ड किए गए, वहीं वीरवार को 5,036 जगह पराली जली। इस बार धान की कटाई के बाद एक दिन में आगजनी का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। यहां सबसे ज्यादा 829 जगह पराली जलाई गई। प्रदेश के करीब 10 जिलों में स्थिति यह रही कि 200 से 800 जगह पराली जलाने के मामले रिकॉर्ड किए गए। दूसरे नंबर पर बठिंडा रहा, जहां 653 जगह पराली जली। मोगा में 611, फिरोजपुर और मानसा में 438, मुक्तसर में 436, बरनाला में 356, लुधियाना में 304 जगह पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं।
42 फीसदी तक पहुंची दिल्ली प्रदूषण में भागीदारी
पराली जलाने से पैदा प्रदूषण ने आबो-हवा को बेहद खराब कर दिया है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली के प्रदूषण में वीरवार को 42 फीसदी हिस्सेदारी पराली से पैदा प्रदूषण की रही। मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वैदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च द्वारा रिकॉर्ड आंकड़ों मुताबिक, हवा का रुख बदलने से पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के आसपास इलाके में जल रही पराली के प्रदूषण ने दिल्ली की आबो-हवा को इस कदर खराब कर दिया है कि कुछ किलोमीटर की दूरी पर दिखाई देना बंद हो गया है। आसमान में धुएं के गुबार ने एक चादर की शक्ल ले ली है। संभावना जताई गई है कि अगले कुछ दिनों तक हालात ऐसे ही बने रह सकते हैं।