भगवंत मान को सांसद से CM बनाने वाला संगरूर, 99 दिन में क्यों हुआ AAP से दूर?

Edited By Vatika,Updated: 27 Jun, 2022 10:30 AM

sangrur loksabha election

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के सवा 3 महीने बाद हुए संगरूर लोकसभा उप-चुनाव में मिली हार ने

लुधियाना(विक्की): पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के सवा 3 महीने बाद हुए संगरूर लोकसभा उप-चुनाव में मिली हार ने जहां पार्टी नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है वहीं पिछले समय दौरान पार्टी के वालंटियर्स और वर्करों की हो रही अनदेखी को भी इस प्रदर्शन का मुख्य कारण माना जा रहा है। लोकसभा उप-चुनाव के नतीजे आने के बाद सोशल मीडिया पर कई पार्टी वर्करों ने खुलकर अपनी बात रखी है।

सूत्रों की मानें तो सरकार बनने के बाद लगातार कुछ विधायकों की ओर से की जा रही अनदेखी से नाराज कई वालंटियर्स तो संगरूर उप-चुनाव में प्रचार के लिए भी नहीं निकले। सोशल मीडिया पर कइयों ने यहां तक तंज कस दिया कि जिन वालंटियर्स की मेहनत के बाद पार्टी ने 92 विधायकों के साथ पंजाब में सरकार बनाई अब वही 92 विधायक एकत्रित होकर एक एम.पी. तक नहीं जिता सके। आखिर क्या कारण रहे कि भगवंत मान को 2 बार सांसद फिर सी.एम. बनाने वाला संगरूर सरकार बनने के सिर्फ 99 दिनों में ही ‘आप’ से दूर होने लग गया है? इस बात में कोई दोराय नहीं कि भगवंत मान ने मुख्यमंत्री बनते ही कई साहसिक फैसले लिए हैं लेकिन सरकार बनने से पहले तक वोटरों से सम्पर्क कायम रखने वाला पार्टी का वालंटियर और वर्कर कहीं न कहीं इस उप-चुनाव से दूर रहा है।

इस पराजय को लेकर राज्य की बिगड़ी कानून व्यवस्था के साथ कई अन्य कारण भी बताए जा रहे हैं। पार्टी से जुड़े कुछ पुराने वर्करों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उन्होंने पंजाब में ‘आप’ को मजबूत करने के लिए वर्ष 2014 से लेकर 2022 तक जमीनी स्तर पर काम किया लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले ‘आप’ ज्वाइन करने वाले नेताओं ने सरकार बनते ही अपने चहेतों को ही विभिन्न हलकों में तरजीह दी। यहां तक कि पुराने वालंटियर्स के कहने के बावजूद भी कई विधायकों ने तो धन्यवादी दौरे तक नहीं किए। कइयों का कहना है कि हलके में होने वाले विकास कार्यों के उद्घाटन समारोहों में उनको शामिल होने तक का न्यौता भी नहीं भेजा जाता। सरकार में पार्टी वर्करों की हो रही कथित अनदेखी बारे पार्टी प्लेटफार्म पर बात उठाए जाने के बावजूद भी सुनवाई नहीं होने पर वह पुराना वर्कर भी घर बैठ गया जो 2019 तक भगवंत मान के लोकसभा उपचुनाव के लिए भी प्रचार करने संगरूर जाता रहा है।

रेत की बजाय सस्ती कर दी शराब
पार्टी वर्करों का कहना है कि सरकार के मंत्री अगर विधायकों के फोन नहीं उठाते तो आम वर्कर इस बारे क्या उम्मीद कर सकता है? पिछले दिनों लुधियाना के एक विधायक ने सरेआम मंत्री के बारे में मीडिया में ऐसा बयान भी दिया था कि कई बार प्रयास करने के बाद भी मंत्री उनका फोन नहीं उठा रहे। कुछ अन्य का कहना है कि पार्टी चुनावों से पहले तो रेत सस्ती करने के दावे करती रही, लेकिन सरकार बनने के बाद रेत के रेट कंट्रोल करने की बजाय शराब सस्ती कर दी जिसका जमीनी स्तर पर आम जनता पर विपरीत असर पड़ा। 

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