Edited By Vatika,Updated: 01 Aug, 2024 03:13 PM
ऐसे में अभिभावकों के माता-पिता द्वारा स्कूलों के समय में बदलाव की मांग की जा रही है।
लुधियाना(विक्की): बढ़ती गर्मी के साथ बरसाती मौसम में बड़ रही उमस और लगातार हो रही बिजली कटौती ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों की पढ़ाई को बुरी तरह प्रभावित करके रख दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति तो और भी दयनीय है, जहां बिजली की समस्या पहले से ही गंभीर है।
कक्षाओं का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे छात्रों का ध्यान पढ़ाई से हटकर गर्मी से बचने पर केंद्रित हो गया है। क्लासेज में बच्चे कापियों और किताबों को हाथ से हिलाकर उससे हवा लेकर अपना पसीना सुखाते आम देखे जा सकते हैं क्योंकि स्कूलों की क्लास में बच्चे बेशक ज्यादा हैं लेकिन पंखा केवल एक है। इस हालात में बच्चे क्या पढ़ाई करते होंगे इस बात का अंदाजा तो आसानी से लगाया जा सकता है। पंखे बंद होने से कक्षाएं तपती हुई भट्ठियों में तबदील हो गई हैं। छात्रों का कहना है कि उन्हें पढ़ाई करने के बजाय पसीना पोंछने में ही अधिक समय लग रहा है। शिक्षक भी इस स्थिति से काफी परेशान हैं। वे बताते हैं कि अघोषित बिजली कटौती के कारण वे छात्रों को ठीक से पढ़ा नहीं पा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षण सामग्री दिखाने के लिए प्रोजेक्टर और कंप्यूटर का उपयोग करना तो दूर की बात है, बुनियादी शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। ऐसे में अभिभावकों के माता-पिता द्वारा स्कूलों के समय में बदलाव की मांग की जा रही है।
पीने के पानी की किल्लत
बिजली कटौती के कारण पानी की पंपिंग भी प्रभावित हो रही है। बिजली कटौती के कारण स्कूलों में पानी की टंकियां खाली हो जाती हैं, जिससे छात्रों को पीने के पानी तक के लिए भटकना पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में पानी की कमी से छात्रों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
छात्रों का स्वास्थ्य खराब
लगातार गर्मी और पानी की कमी के कारण छात्रों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। कई छात्रों को चक्कर आना, सिरदर्द और उल्टी जैसी समस्याएं हो रही हैं। कुछ छात्र तो कक्षाओं से बीच में ही घर चले जाते हैं। विद्यार्थी अजय ने बताया, "बिजली नहीं होने के कारण कक्षाओं में बैठना मुश्किल हो गया है। पसीना आता रहता है और हम पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते।" बच्चों की सेहत और शिक्षा को लेकर अभिभावक काफी चिंतित हैं। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह स्कूलों में बिजली की पर्याप्त व्यवस्था करे और छात्रों के स्वास्थ्य का ध्यान रखे।
जनरेटर और इन्वर्टर की कमी
सरकारी स्कूलों में जनरेटर और इन्वर्टर की अनुपलब्धता एक बड़ी समस्या बन गई है। बिजली कटौती के समय स्कूलों में कोई वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत नहीं होने के कारण पंखे, लाइट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बंद हो जाते हैं। इससे न केवल विद्यार्थियों और शिक्षकों को गर्मी और उमस का सामना करना पड़ता है, बल्कि पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित होती है। इस कमी के कारण विद्यार्थियों को कक्षाओं में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है और उनकी शिक्षा पर बुरा असर पड़ता है।
क्या कहना है कि विद्यार्थियों के माता-पिता का
हमारे बच्चों की पढ़ाई की स्थिति बेहद खराब हो गई है। गर्मी के कारण भी बच्चे स्कूल में असहज महसूस कर रहे हैं। बिजली की कटौती के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। हमें सरकार से उम्मीद है कि वे इस स्थिति पर ध्यान देंगे और शीघ्र समाधान निकालेंगे।-सुखविंदर, एक अभिभावक।
हमारे बच्चों की पढ़ाई पहले ही बहुत प्रभावित हो चुकी है और अब यह बिजली कटौती हमारे बच्चों के भविष्य के लिए और भी हानिकारक साबित हो रही है।" - राकेश, अभिभावक।
बिजली नहीं होने के कारण कक्षाओं में बैठना मुश्किल हो गया है। पसीना आता रहता है और हम पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते।-अजय, विद्यार्थी।