पंजाब के लड़के ने करा दी बल्ले-बल्ले, अपने इस खास Project के जरिए दे रहा रोजगार

Edited By Vatika,Updated: 06 Nov, 2025 04:09 PM

punjab project

एकतरफ जहां मौजूदा हालात में कूड़ा प्रबंधन जिला प्रशासन व नगर निगम

अमृतसर(नीरज): एकतरफ जहां मौजूदा हालात में कूड़ा प्रबंधन जिला प्रशासन व नगर निगम के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है और हर चौक चौराहों पर कूड़े के ढेर नजर आते हैं तो वहीं एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी के बेटे हर्षजोत ने आई.ए.एस. या पी.सी.एस. सरकारी अधिकारी बनने के बजाय कचरे से मुक्ति को जहां अपना आय का साधन बना लिया है, वहीं युवाओं को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं। अमृतसर के रहने वाले युवा उधमी हर्षजोत ने 12वीं की कक्षा के बाद देश को कचरा मुक्त करने का सपना देखा और बॉयोरेडिमेशन का अध्यन शुरू करते हुए अपनी फर्म बनाई और कूड़ा प्रबंधन में काम शुरु किया। हर्षजोत अभी तक जहां युवाओं को रोजगार प्रदान करक रहे हैं, वहीं 3 लाख मीट्रिक टन से अधिक ठोस अपशिष्ट का वैज्ञानिक ढंग से निस्तारण किया है। इस काम को पूरा करने के बाद 15 एकड़ से अधिक जमीन को उपयोग के योग्य बनाने में सहायता मिली है व 30 हजार टन कार्बनडाईआक्साइड के उत्सर्जन को रोका गया है।

कौन से जिलों में चलाए प्रोजैक्ट
जानकारी के अनुसार हर्षजोत अब तक पठानकोट में एक लाख मीट्रिक टन तथा नंगल में 30 हजार मीट्रिक टन अपशिष्ट पदार्थों का निपटारा किया है। इसके अलावा फाजिल्का, जलालाबाद, सुल्तानपुर लोधी व भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड जैसी कई परियोजनाओं को पूरा किया है, जिससे न केवल पर्यावरण स्वच्छ बना है, बल्कि भूमि को दोबारा उपयोग शुरू हुआ है। पड़ोसी देश हिमाचल में भी सफलतापूर्वक काम कर चुके हैं।

मिशन 2.0 आत्मनिर्भर भारत बनाना
हर्षजोत ने बताया कि उनका प्रयास भारत मिशन (अर्बन) 2.0 आत्मनिर्भर भारत और भारत को कार्बन मार्कीट जैसे राष्ट्रीय अभियानों से जुड़े हुए हैं उनकी कंपनी अपशिष्ट से इंधन बनाती है और फिर सीमैंट, पेपर आदि औद्योगिक इकाइयों को उर्जा का विकल्प देती है, जिससे कोयले पर निर्भरता घटती है और ग्रीन हाउस उत्सर्जन में कमी आती है। इसका सीधा सामाजिक लाभ यह है कि इस से प्रक्रिया से सार्वजनिक स्वास्थय और सामाजिक स्वच्छता बेहतर होती है, साथ ही भूमि की भी बचत होती है, नगर निगमों के खर्चे में कमी आती है।

भारत में तकनीक की कमी नहीं
हर्षजोत ने बताया कि भारत में तकनीक की कमी नहीं है, बल्कि युवाओं के कौशल को निखारकर उसे सही दिशा प्रदान करने की जरुरत है। उन्होंने बताया कि कूड़ा प्रबंधन में वह खुद मशीनरी संभालने, साइट की निगरानी करने व कंप्यूटर विज्ञान के साथ पढ़ाई करते हुए तकनीकी समाधान विकसित करने का काम करते रहे हैं। यदि इमानदारी से काम करें तो कचरा प्रबंधन देश का सबसे बड़ा जलवायु अनुकूलन उद्योग बन सकता है। क्यूआर आधिरत घर-घर कचरा संग्रहण व एस.टी.पी. अपशिष्ट मोनिटरिंग के लिए वेब व मोबाइल एप्लीकेशन जैसी तकनीक पर काम कर रही है।

राजनीति व नीतिगत समर्थन की जरुरत
युवा उद्यमियों की पहल को यदि नीति निर्माता का साथ मिले तो परिवर्तन हर हाल में संभव है। हर्षजोत ने बताया कि देश में प्रतिदिन 1.6 लाख टन कचरा बनता है, लेकिन उसका बहुत छोटा सा भाग ही संसाधित हो पाता है। उन्होंने कहा कि भारत जब नेट-जीरो 2070 लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है तो युवा ही परिवर्तन ला सकते हैं। नवाचार, तकनीक और इमानदार निष्पादन मिलकर कचरे को भी राष्ट्रीय संपति में बदल सकते हैं।

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