Edited By Subhash Kapoor,Updated: 09 Sep, 2024 08:51 PM
पंजाब में कैंसर रोग से ग्रसित बड़ी संख्या में लोग हैं, जिन्हें दवाइयों पर काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। कईयों को इस नामुराद बीमारी से राहत मिल जाती है, लेकिन कुछ लोगों को इस बीमारी के कारण जिंदगी से हाथ धोना पड़ता है।
जालंधर
अनिल पाहवा
पंजाब में कैंसर रोग से ग्रसित बड़ी संख्या में लोग हैं, जिन्हें दवाइयों पर काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। कईयों को इस नामुराद बीमारी से राहत मिल जाती है, लेकिन कुछ लोगों को इस बीमारी के कारण जिंदगी से हाथ धोना पड़ता है। कैंसर पेशेंट्स पर पैसा खर्च करने वाले परिवार की हालत अलग से खराब होती है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए तो फिलहाल जरूरी कदम नहीं उठाए जा रहे लेकिन इसके इलाज पर लोगों को मामूली सी राहत मिलती दिख रही है। यह राहत जी.एस.टी. दर में कटौती के बाद मिल सकती है।
इसी संबंध में जी.एस.टी. कौंसिल की तरफ से एक बड़ा कदम उठाया गया है, जिससे देश भर में कैंसर पीड़ितों के साथ-साथ पंजाब के भी कैंसर पीड़ित लोगों को भी बड़ी राहत मिल सकती है। केंद्र सरकार की तरफ से आज कैंसर की दवाइयों पर लगाया जाना वाला जी.एस.टी. 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिसके बाद कैंसर की दवाइयों की कीमतों में कुछ गिरावट होती दिख रही है।
गौरतलब है कि पंजाब में पिछले कुछ समय से कैंसर पीड़ितों की संख्या में तेजी से बढ़ौतरी हुई है, जिसके कारण इस रोग से मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। एक आंकड़े के अनुसार पटियाला, बठिंडा, लुधियाना जहां पर कैंसर के मरीज अधिक हैं, 2020 में 22276 लोगों की मौत हुई थी। 2021 में कैंसर से इन इलाकों में 22786 तथा 2022 में 23301 लोगों की कैंसर के कारण मौत हो गई है। 2022 में 40 हजार के करीब कैंसर के नए मामले सामने आए थे। जिस तरह से ये आंकड़े सामने आ रहे हैं आने वाला समय इससे भी भयानक हो सकता है। पंजाब से बीकानेर को जाने वाली कैंसर स्पैशल ट्रेन इस बात का उदाहरण है कि स्थिति किस तरह से बद से बदत्तर हो रही है। पंजाब में कैंसर का एक बड़ा कारण फसलों में प्रयोग हो रहे कीटनाशक हैं, जबकि राज्य में जमीन के अंदर के पानी की खराब हो रही स्थिति भी बड़ा कारण है। लुधियाना में 14 किमी. लंबा बुड्ढा नाला इस बीमारी का एक बड़ा कारण है।
दरअसल लुधियाना में रंगाई तथा इलैक्ट्रो प्लेटिंग की हजारों इंडस्ट्री हैं, जहां से कैमिकलयुक्त गंदा पानी या तो सीवरेज में या फिर जमीन के अंदर छोड़ा जा रहा है। सीवरेज से यह पानी बुड्ढा नाला में गिरता है, यह बुड्ढा नाला बाद में सतलुज में जाकर गिरता है। आंकड़े के अनुसार बुड्ढा नाला एक दिन में 200 मिलियन लीटर सीवरेज वेस्ट लेकर सतलुज में जाता है और यही सतलुज हरिके पत्तन के पास ब्यास दरिया से जाकर मिलता है और यहां से राजस्थान की तरफ कैमिकल युक्त नहर जाती है, जिसमें लुधियाना का कैमिकल तथा गंदा पानी मालवा बैल्ट से होता हुआ राजस्थान को जाता है। यही कारण है कि इन इलाकों में कैंसर तेजी से बढ़ रहा है।