Edited By Urmila,Updated: 20 Dec, 2025 02:32 PM

पंजाब में सैकड़ों ऐसी सड़कें हैं जहां न तो दिशा सूचक बोर्ड लगे हैं, न पुलों पर रेलिंग, न सड़क के किनारों और बीच में सफेद-पीली पट्टियां बनी हैं।
संगरूर (विवेक सिंधवानी) : पंजाब में सैकड़ों ऐसी सड़कें हैं जहां न तो दिशा सूचक बोर्ड लगे हैं, न पुलों पर रेलिंग, न सड़क के किनारों और बीच में सफेद-पीली पट्टियां बनी हैं। सामान्य दिनों में यह लापरवाही नजरअंदाज हो जाती है, लेकिन सर्दियों में पड़ने वाली घनी धुंध के दौरान यही कमियां गंभीर सड़क हादसों का कारण बनती हैं। आए दिन दुर्घटनाओं में लोगों की जान जोखिम में पड़ रही है और कई परिवारों में मातम पसरा रहता है।
हैरानी की बात यह है कि ऐसी अव्यवस्थाएं अब केवल ग्रामीण या लिंक सड़कों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी देखने को मिल रही हैं। इसका ताजा उदाहरण संगरूर से दिल्ली जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग है, जो संगरूर के महावीर चौक से शुरू होता है। यह सड़क बठिंडा-जीरकपुर बाइपास तक सिंगल लेन (बिना डिवाइडर) है, जबकि बाइपास के बाद यह फोरलेन में बदल जाती है।
संगरूर शहर से बाइपास तक इस सड़क पर पिछले दो वर्षों से न तो किनारों पर और न ही बीच में सफेद-पीली पट्टियां मौजूद हैं। धुंध के समय वाहन चालक इन्हीं पट्टियों के सहारे अपनी लेन का अंदाजा लगाते हैं, लेकिन इनके अभाव में खासकर रात के समय वाहन चालक भटक जाते हैं और दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान दिलाते हुए शहर संगरूर विकास मंच के कार्यकारी सदस्य मनधीर सिंह राजोमाजरा ने बताया कि बीते दो-तीन दिनों में घनी धुंध के कारण इसी सड़क पर पांच-छह सड़क हादसे हो चुके हैं। हालांकि सौभाग्य से इन घटनाओं में अभी तक कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन हालात बेहद चिंताजनक हैं।
तकनीकी दृष्टि से भी इस सड़क में कई खामियां हैं। बठिंडा-जीरकपुर बाइपास के पास यह सड़क हल्का सा मोड़ लेती है। धुंध के दिनों में यह मोड़ और अधिक खतरनाक साबित होता है, क्योंकि वाहन चालक दिशा का सही अनुमान नहीं लगा पाते और कई बार गलत लेन में चले जाते हैं, जिससे आमने-सामने की टक्कर का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा संगरूर शहर के भीतर इस सड़क का एक हिस्सा, लगभग 500 मीटर, महावीर चौक से लेकर डिप्टी कमिश्नर की सरकारी रिहायश तक, पिछले डेढ़ साल से सीवरेज कार्य के चलते बंद पड़ा है। दिन के समय इस छोटे से हिस्से को पार करने में आधा से पौना घंटा तक का जाम लग जाता है। हैरानी की बात यह है कि सीवरेज डाले जाने का काम सात-आठ महीने पहले ही पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक सड़क की मरम्मत और पुनर्निर्माण नहीं किया गया है, जबकि यह सड़क सीधे डिप्टी कमिश्नर की रिहायश के सामने से गुजरती है। माना जा रहा है कि सीवरेज विभाग द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग को रोड कटिंग शुल्क भी जमा करवा दिया गया होगा, फिर भी काम पूरा न होना प्रशासनिक सुस्ती को दर्शाता है।
शहर संगरूर विकास मंच ने जिला प्रशासन और राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग से मांग की है कि संगरूर से बाइपास तक सड़क के किनारों और बीच में सफेद-पीली पट्टियां तुरंत लगवाई जाएं। साथ ही बाइपास से जहां सड़क मोड़ लेती है, वहां से लेकर पुल के नीचे तक स्पष्ट पट्टियां बनाई जाएं ताकि वाहन चालक रास्ते से न भटकें। इसके अलावा महावीर चौक से डिप्टी कमिश्नर की रिहायश तक के 500 मीटर लंबे हिस्से का निर्माण शीघ्र पूरा कर लोगों को रोजाना लगने वाले जाम से राहत दिलाई जाए।
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