सुखबीर न परिवार संभाल पा रहे न पार्टी, चुनाव कहां से जीतेंगेः मनोरंजन कालिया

Edited By Kamini,Updated: 29 May, 2024 03:53 PM

manoranjan kalia targeted sukhbir badal

पंजाब के पूर्व मंत्री व भाजपा नेता मनोरंजन कालिया ने अकाली दल तथा सुखबीर बादल को आड़े आथों लिया है तथा कहा है कि सुखबीर तो परिवार नहीं संभाल पा रहे, पार्टी कहां से चला लेंगे।

जालंधर (अनिला पाहवा) : पंजाब के पूर्व मंत्री व भाजपा नेता मनोरंजन कालिया ने अकाली दल तथा सुखबीर बादल को आड़े आथों लिया है तथा कहा है कि सुखबीर तो परिवार नहीं संभाल पा रहे, पार्टी कहां से चला लेंगे। आझ उन्होंने पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत की, प्रस्तुत हैं उसके अंश

प्र.-पंजाब में चुनावों को लेकर क्या माहौल है ?

उ. - पंजाब में पहली बार भारतीय जनता पार्टी 13 की 13 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि लोगों का भरपूर सहयोग मिलेगा। आज पंजाब के लोग आम आदमी पार्टी से काफी निराश हैं क्योंकि आम आदमी पार्टी लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरी है। मान सरकार ने राज्य के लोगों से जो वायदे किए थे, उन्हें पूरा करने में असफल रही है, जिस कारण लोगों में काफी रोष है। वहीं कांग्रेस एक डूबता जहाज है। पुराने से पुराने कांग्रेसी नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं। जालंधर से मास्टर गुरबंता सिंह की बहु कर्मजीत कौर चौधरी और लुधियाना से पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह के पोते रवनीत बिट्टू, जोकि पुराने कांग्रेसी रहे हैं, ने भाजपा ज्वाइन की है। भाजपा की तरफ से उन कांग्रेसियों के खुला निमंत्रण है, जिन्हें कांग्रेस पार्टी में रहते मान सम्मान नहीं मिला। 

प्र.- क्या भाजपा कांग्रेस मुक्त की बजाय कांग्रेस युक्त हो गई है ?

उ.- जब पार्टी बढ़ती है, तो उसमें दूसरी पार्टियों से लोग जरूर आते हैं, नए भी आते हैं और पुराने भी। सवाल यह उठता है कि हम उन्हें कैसे स्वीकार करते हैं। अगर हम संकुचित दिल रखते हैं तो पार्टी उभर नहीं सकती। अगर कोई पी.एम. मोदी की नीतियों से प्रभावित होकर पार्टी में शामिल होना चाहता है तो हम उनका स्वागत करते हैं। 

प्र.- पार्टी में इंपोर्ट नेताओं से भाजपा का पुराना वर्कर नाराज हो रहा है

उ. देखिए, यह एक दृष्टिकोण है। अगर ज्यादा से ज्यादा लोग हमारी पार्टी में शामिल हो रहे हैं तो पुराने से पुराना वर्कर भी इस चीज को असैप्ट कर रहा है। आज समय ने करवट ली है। दूसरे अन्य सभी राजनीतिक पार्टियां चरमरा गई हैं और इन्हीं दलों के लोग पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हो रहे हैं। 

प्र.- क्या वर्कर मजबूरी में काम कर रहा है

उ.- मुझे नहीं लगता कि कोई हमारा वर्कर घर बैठा है, हर वर्कर चाहे वे नया हो या पुराना हो, अपनी-अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। हर वर्कर पार्टी की नीतियों से बंधा हुआ है। हमारा हर वर्कर अपनी-अपनी जगह पूरी तरह से एडजस्ट है। 

प्र.- क्या आप पंजाब व जालंधर की डिवैल्पमैंट से संतुष्ट हो

उ.- मैं बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं। होना यह चाहिए कि जो पार्टी सत्ता में आती है, उसे ज्यादा से ज्यादा काम करना चाहिए और जनता की सुख-सुविधाओं की तरफ ध्यान देना चाहिए, लेकिन आजकल सरकार अपनी सुख सुविधाओं पर ही ध्यान दे रही है, सिर्फ अपनी प्रापर्टी की तरफ ध्यान दे रहे हैं। मैं जब पहली बार विधायक बना और मंत्री बना तो मैंने हमेशा जालंधर को प्रमुख रखते हुए काम किया और इसी सोच के साथ हमेशा काम किया। जब मैं हैल्थ मनिस्टर बना तो उस दौरान हमने 90 साल पुराने जालंधर के सिविल अस्पताल का नव निर्माण किया। फर्स्ट मैडीकल कालेज पिम्स बनाया। शहर में बी.एम.सी. चौक फ्लाईओवर, खालसा कालेज जैसे प्रोजैक्ट व करीब 800 करोड़ रुपया जालंधर को दिया। 

प्र.-अकाली दल से अलग-अलग चुनाव लड़ने में क्या फर्क है

उ.-आज का अकाली दल अपने खून की लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन जितना कद स्व. स. प्रकाश सिंह बादल का था, उतना उनके सुपुत्र सुखबीर बादल का नहीं बन पाया। अकाली दल में जहां पार्टी टूट रही है वहीं परिवार भी टूट रहा है। आप आदेश प्रताप सिंह कैरों के मामले को ही देख लें, क्या प्रकाश सिंह बादल जिंदा होते तो क्या सुखबीर यह कदम उठा पाते। सुखबीर परिवार ही नहीं संभाल पा रहे, तो पार्टी को संभालना तो दूर की बात है। मुझे तो लगता है अकाली दल कोई सीट ही नहीं जीत पाएगा।

प्र.- भाजपा कितनी सीटे जीतेगी

उ.-13 सीटों में से सबसे ज्यादा सीटे जीतने वाली पार्टी भाजपा ही है, क्योंकि जिस उम्मीद के साथ लोगों ने आम आदमी पार्टी को सत्ता पर बिठाया और भारी बहुमत के साथ जिताया। लेकिन उन्होंने जो गारंटियां दीं, उसमें लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। 'आप' ने कहा था कि 2 महीने के अंदर पंजाब को नशा मुक्त कर देंगे, लेकिन आम आदमी पार्टी के विधायक कुंवर विजय प्रताप ने ही कह दिया कि नशा खत्म तो क्या होना था, हालात ऐसे हो गए हैं पुलिस आफिसर ही नशा बेच रहे हैं। माइनिंग को लेकर भी पंजाब सरकार बड़े-बड़े दावे करती थी, लेकिन सब फेल साबित हुए।
 

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