Edited By Urmila,Updated: 12 Dec, 2025 01:15 PM

पंजाब यूनिवर्सिटी की चल रही परीक्षाओं में स्थानीय एक कॉलेज में परीक्षा प्रबंधन की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है।
लुधियाना (विक्की): पंजाब यूनिवर्सिटी की चल रही परीक्षाओं में स्थानीय एक कॉलेज में परीक्षा प्रबंधन की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है जिसका खामियाजा एक ही कमरे में बैठे लगभग 20 विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। बी.कॉम के स्टैटिस्टिक्स विषय की परीक्षा के दौरान इन छात्रों को बी.कॉम के बजाय बी.बी.ए. का प्रश्न पत्र दे दिया गया।
प्रभावित विद्यार्थियों ने जानकारी दी कि परीक्षा कुल तीन कमरों में चल रही थी। कॉलेज प्रशासन ने अपनी गलती सुधारते हुए 2 कमरों में तो सही प्रश्नपत्र बंटवा दिए लेकिन तीसरे कमरे में बैठे करीब 20 विद्यार्थियों को पेपर बदलना प्रशासन भूल गया''। जब छात्रों ने शुरुआत में ही इन्विजिलेटर को टोकते हुए पेपर चैक करने को कहा, तो वहां मौजूद सुपरिंटैंडैंट ने यह तर्क देकर उन्हें चुप करा दिया कि इंगलिश के पेपर की तरह यह पेपर भी दोनों कक्षाओं का संयुक्त (कंबाइन) है।
परीक्षा के बाद खुला राज
सुपरिंटैंडैंट के आश्वासन पर इन 20 छात्रों ने बी.बी.ए. का पेपर ही हल कर दिया। करीब 3 घंटे बाद जब परीक्षा खत्म हुई और वे केंद्र से बाहर निकले तो अन्य छात्रों से चर्चा करने पर पता चला कि उनका प्रश्नपत्र बिल्कुल अलग था। यह जानकर छात्रों के होश उड़ गए कि केवल उनके कमरे में ही गलत पेपर बंटवाए गए थे।
जब छात्रों ने दोबारा प्रशासन से संपर्क किया तो अपनी गलती मानने के बजाय अधिकारियों ने उलटा छात्रों को ही दोषी ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि आपको पहले बताना चाहिए था जबकि छात्र परीक्षा शुरू होने पर 2 बार आपत्ति जता चुके थे। कॉलेज की तरफ से यह भी अजीबोगरीब तर्क दिया गया कि उनका पेपर अब बी.बी.ए. के हिसाब से ही चैक हो जाएगा।
पंजाब यूनिवर्सिटी से लगाई न्याय की गुहार
इस घटना से परेशान छात्रों ने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के परीक्षा कंट्रोलर को लिखित शिकायत ईमेल की है। पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह मुद्दा केवल फीस या री-अपीयर का नहीं, बल्कि उनके भविष्य का है। उन्होंने मांग की है कि इस गंभीर लापरवाही की जांच हो। बी.कॉम के सही सिलेबस के अनुसार मूल्यांकन सुनिश्चित किया जाए। भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जाए।

“परीक्षा के दौरान हमने बार-बार बताया कि प्रश्न पत्र गलत है लेकिन किसी ने बात नहीं सुनी। 3 घंटे बाद पता चला कि हमारा ही पेपर गलत था। हमारी मेहनत और समय दोनों बर्बाद हो गए। अब अगर पेपर गलत मानकर जांचा गया, तो इसका सीधा असर हमारी पढ़ाई और भविष्य पर पड़ेगा।”


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