Ludhiana : बुड्‌ढे नाले में गंदगी फैलाने का मामला, 76 डेयरी संचालकों पर सख्त Action

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 11 May, 2024 11:36 AM

ludhiana action against 76 dairy operators spreading filth in budha nala

ताजपुर रोड पर बुड्‌ढा नाला के पास पिछले कुछ समय से लगातार डेयरी संचालक गंदगी गिरा रहे हैं। इसकी शिकायतें लगातार विभाग तक पहुंच रही हैं।

पंजाब डेस्कः लुधियाना के ताजपुर रोड पर बुड्‌ढे नाले के पास पिछले कुछ समय से लगातार डेयरी संचालक गंदगी गिरा रहे हैं। इसकी शिकायतें लगातार विभाग तक पहुंच रही हैं। इसके चलते सरकारी नियमों का जमकर उल्लंघन हो रहा है। अब थाना जमालपुर पुलिस ने सख्ती करते हुए बड़ी कार्रवाई कर डाली है। पुलिस ने 76 डेयरी संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। अभी सभी आरोपियों की गिरफ्तारी होनी बाकी है। इस मामले में पुलिस ने रजत ग्रोवर कार्यकारी इंजीनियर लुधियाना जल निकास कम माइनिंग एंड जियोलॉजी मंडल जल स्रोत विभाग पंजाब दफ्तर की तरफ से 15 अप्रैल को दी गई शिकायत पर की है।

क्या है मामला 

यह मामला उत्तरी भारत नहर और जल निकासी अधिनियम, 1873 के तहत दायर किया गया है। जानकारी के मुताबिक, डेयरी मालिक अपने कचरे को बुड्‌ढे नाले में डंप करते है, जिससे नाले में प्रदूषण होता है। ताजपुर रोड पर जल आपूर्ति-सह-खनन और भूविज्ञान विभाग द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में डेयरी फर्म और अन्य व्यवसायों सहित 76 स्थानों का पता चला, जो नाले को प्रदूषित करने के जिम्मेदार पाए गए हैं। जमालपुर पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी दिलबाग सिंह ने कहा, “विभाग के इंजीनियर  रजत ग्रोवर की शिकायत के बाद, हमने बुड्डे नाले के पास ताजपुर रोड पर एक सर्वेक्षण किया, जिसमें डेयरी फार्म के मालिकों को गंदगी नाले में बहाते हुए पाया, जिसके बाद 76 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। 

NGT के निर्देश के बाद किया गया था Survey 

पिछले महीने, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों के बाद, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने जिले भर में विभिन्न स्थानों पर बुड्‌ढे  नाले से एकत्र किए गए नमूनों पर एक रिपोर्ट पेश  की। रिपोर्ट में रासायनिक ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) और जैव रासायनिक ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) के उच्च स्तर का पता चला, जिससे पानी सिंचाई के लिए उपयुक्त नहीं है। पीपीसीबी के कार्यकारी इंजीनियर गुरमीत सिंह द्वारा 300 डाइंग यूनिट का मामला सामने लाया गया, जिनमें से करीब 265 यूनिट बुड्‌ढे  नाले के  क्षेत्र में आते है। यह नाला कूम कलां गांव से निकलता है और सतलुज नदी के समानांतर बहता है, वलीपुर कलां में पहुंचकर ये मिल जाते है।

जांच के घेरे में डाइंग यूनिट

पर्यावरण कार्यकर्ता जे.एस. गिल ने कहा, “डेयरी मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, लेकिन बुड्डे नाले को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार डाइंग यूनिट अभी भी बिना किसी एफ.आई.आर. या कार्रवाई के जांच के दायरे में हैं। कुछ महीने पहले, डाइंग यूनिट को कुछ दिनों के लिए अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप नाले में पानी साफ हो गया था। हालांकि, स्थिति गंभीर बनी हुई है क्योंकि पानी दुर्गंध के साथ काला बना हुआ है।” गिल ने इलेक्ट्रोप्लेटिंग इकाइयों और अन्य उद्योगों द्वारा रासायनिक एसिड पानी को नाले में छोड़ने के हानिकारक प्रभाव पर भी प्रकाश डाला, जिससे इसकी गुणवत्ता और खराब हो गई और यह सिंचाई और अन्य उद्देश्यों के लिए अनुपयुक्त हो गया। उधर, विभाग के कार्यकारी इंजीनियर रजत ग्रोवर ने कहा, “मैंने 6 महीने पहले पुलिस कमिश्नर को नाम दिए थे क्योंकि हमने सर्वेक्षण किया था जहां हमें 76 डेयरी मालिक मिले जो अपने डेयरी के गंदे पानी को नाले में बहा रहे थे और फिर मैंने इस पत्र में पुलिस कमिश्नर को उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की सिफारिश की थी।”

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