Edited By Sunita sarangal,Updated: 24 Oct, 2021 12:12 PM
शहर के सरकारी स्कूलों में जहां पढ़ाई सुचारू रूप के साथ चल पड़ी है, वहीं अब अध्यापकों की कमी परेशान करने लग पड़ी है। चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के लिए सबसे बड़ी परेशानी अध्यापकों की कमी है। शिक्षा विभाग में 1300 से ज्यादा अध्यापक सेवामुक्त हो चुके हैं।
चंडीगढ़ (आशीष): शहर के सरकारी स्कूलों में जहां पढ़ाई सुचारू रूप के साथ चल पड़ी है, वहीं अब अध्यापकों की कमी परेशान करने लग पड़ी है। चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के लिए सबसे बड़ी परेशानी अध्यापकों की कमी है। शिक्षा विभाग में 1300 से ज्यादा अध्यापक सेवामुक्त हो चुके हैं। कुछ अध्यापक स्कूल छोड़ कर जा चुके हैं। वही नई भर्ती नहीं हो रही है। ऐसे में स्कूल खुलने पर सभी बच्चों को अध्यापक मिलना मुश्किल हो रहा है। विभाग से लेकर स्कूल मैनेजमेंट अलग-अलग योजना तैयार कर रहे हैं।
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रोटेशन में क्लास बुलाने की हो रही प्लानिंग
अध्यापकों की कमी को देखते हुए अलग-अलग सरकारी स्कूल बच्चों को रोटेशन में स्कूल बुलाने की प्लानिंग कर रहे हैं जिससे कोरोना नियमों का पालन बेहतर तरीको साथ हो सके और पढ़ाई भी न रुके।
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स्लम एरिया के स्कूलों में ज्यादा परेशानी
अध्यापक कम होने साथ सबसे ज्यादा परेशानी स्लम एरिया में स्थित स्कूल को आएगी। स्लम एरिया में कई स्कूलों की इमारत 40 से 45 साल पुरानी है, जिसके कमरे छोटे हैं और बच्चों की संख्या के अनुसार कम हैं। स्कूलों में बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल बहलाना, गवर्नमेंट मॉडल हाई स्कूल हल्लोमाजरा, गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल मौलीजागरां, खुड्डा लाहौरा, सारंगपुर में परेशानी ज्यादा है। इन स्कूलों में बने हुए कमरों में 25-30 बच्चे एक समय में बैठ सकते हैं। कोरोना नियमों का पालन करने के लिए एक कमरो में 15 से 18 विद्यार्थियों को बैठाना है। यदि सभी बच्चे स्कूल आते हैं तो उनको बिठाने से लेकर पढ़ाई करवाने वाले अध्यापकों की कमी है।
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