मैं पंजाब में लागू नहीं होने दूंगा कृषि बिल: कैप्टन

Edited By Vatika,Updated: 25 Sep, 2020 09:30 AM

i will not allow agricultural bill to be implemented in punjab captain

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा में पास किए गए नए कृषि बिलों को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है।

जालंधर: केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा में पास किए गए नए कृषि बिलों को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। पूरे देश का किसान इन बिलों से असंतुष्ट नजर आ रहा है लेकिन पंजाब और हरियाणा में समीकरण केंद्र सरकार की खिलाफत वाले नजर आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसान सड़कों पर हैं और राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस पार्टी के कै. अमरेन्द्र सिंह द्वारा इस बिल का विरोध किया गया तथा विधानसभा सत्र भी बुलाया गया और केंद्र सरकार से अपील की गई कि इन बिलों की समीक्षा की जाए तथा किसानों की शंकाएं दूर की जाएं। 

दूसरी तरफ अकाली दल भी इस बात का श्रेय ले रहा है कि हमने केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया और केंद्र को सुझाव दिए थे लेकिन केंद्र सरकार ने हमारी एक नहीं मानी। वहीं तीसरा दल आम आदमी पार्टी दोनों पार्टियों को राजनीतिक निशाने पर ले रहा है। बेशक यह मसला काफी गंभीर हो चुका है तथा किसान सड़कों पर हैं लेकिन इस समय सबसे बड़ा सवाल यह है कि आगे क्या होगा। पंजाब सरकार की अगली रणनीति क्या होगी। क्या किसानों को विरोध के बाद शांत हो जाना पड़ेगा या फिर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के पास इस बिल को लेकर कोई रणनीति है तो वह क्या है?

इस संबंध में जब पंजाब केसरी के संवाददाता रमनदीप सिंह सोढी द्वारा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस बिल को पंजाब में लागू नहीं होने देंगे। केंद्र सरकार खेती का कारोबार अंबानियों और अडानियों के हाथ में रख देना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को धरनों की खुली छूट है और उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। कै. अमरेन्द्र सिंह से जब पूछा गया कि कृषि बिल को लेकर जो स्थिति बनी हुई है वह आपके ध्यान में है? किसान सड़कों पर हैं। धरने लग रहे हैं। आप इस स्थिति को कैसे देखते हैं तो कैप्टन ने कहा कि यह जो कुछ हुआ है यह सब गलत और असंवैधानिक है। फैडरल ढांचे के मुताबिक कृषि का अधिकार राज्य के पास है और एग्रीकल्चर सब्जैक्ट स्टेट सब्जैक्ट है। जिस तरह से केंद्र ने बिना पूछे धक्के से यह बिल पास कर दिया है इसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह संवैधानिक उल्लंघना है।

यह किसानों के भविष्य की लड़ाई है
मुख्यमंत्री ने कहा-केंद्र सरकार ने मंडी बोर्ड ही खत्म कर दिया। मंडी बोर्ड खत्म हो गया तो पंजाब सरकार राज्य का विकास कैसे करेगी? सड़कें कैसे बनाएगी? लिंक रोड कैसे बनेंगे? यह सब मंडी बोर्ड संभालता है। केंद्र सरकार ने जो कुछ भी किया है इसमें हमारे किसान फंसेंगे और मरेंगे। मुझे अफसोस इस बात का है कि यह लड़ाई किसानों के भविष्य की है, यह कांग्रेस वर्सेज अकाली दल या आम आदमी पार्टी नहीं है। ये दल इसे क्यों वर्सेज बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी दलों को इकट्ठे होकर किसानों के साथ चलना चाहिए और यही कारण था कि मैंने पहले किसान यूनियनों की और फिर सर्वदलीय मीटिंग बुलाई थी। अकाली दल को छोड़कर। अकाली दल शोर मचा रहा था और इससे सहमत नहीं था। इसके बाद हमने विधानसभा सत्र बुलाया। विधानसभा सत्र में सभी दल यूनाइटेड थे लेकिन अकाली दल वाक्आऊट कर गया था। इसमें अकालियों का क्या खेल है। क्या सिर्फ इसलिए कि आपने दिल्ली में अपना एक मिनिस्टर रख लिया या उनके साथ आपके संबंध हैं कि अगले इलैक्शन में फायदा मिल जाएगा? अब पंजाब में अकाली दल शोर मचा रहा है कि हमने अपना एक मंत्री हटा लिया है लेकिन आप तो अभी भी उनके साथ जुड़े बैठे हैं। अकाली दल और एन.डी.ए. एक ही पेड़ की शाखाएं हैं। यह समझते हैं कि पंजाब इस बात को समझता नहीं है। शोर मचा रहे हैं कि हम चक्का जाम कर देंगे। आप ने तो किसानों को पूरी तरह खत्म कर दिया है। 

जब बिल कौंसिल ऑफ मिनिस्टर के पास गया होगा तब अकाली दल ने विरोध क्यों नहीं किया?
आज तलवंडी साबो से सुखबीर बादल ने ऐलान किया है कि हम एक तारीख से विभिन्न धार्मिक स्थलों से आंदोलन शुरू करेंगे और कैप्टन अमरेंद्र सिंह के घर तक पहुंचेंगे। आपको जिम्मेदार ठहरा रहे हैं कि 2017 और 2019 के मैनीफैस्टो का हवाला दिया जा रहा है कि सी.एम. के मैनीफैस्टो में पहले ही केंद्र के तीनों बिल शामिल थे?इस पर कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा कि यह बिल्कुल गलत बात है। हम एम.एस.पी. एक्ट को और मजबूत करेंगे। अगर यह खुद या इनका कोई आदमी मैनीफैस्टो को पढ़ सकता है तो ध्यान से पढ़े कि हमने मैनीफैस्टो में कहा था कि एम.एस.पी. रहेगी और हम इसे और मजबूत करेंगे तथा किसानों के हितों की रखवाली करेंगे। यह तो सारे पंजाब को पता है कि ये लोग ऑर्डीनैंस की सपोर्ट करने वाले हैं। यह लोग झूठ बोलने के आदी हैं। अब ये लोग पंजाब में किसानों के बीच जाकर क्या कहेंगे कि हम ऑर्डीनैंस के हक में थे। हमने आर्डीनैंस को बनाया है। आज मैं कोई ऑर्डीनैंस बनाता हूं तो वह मंत्रिमंडल में जाता है। जब इन्होंने केंद्र में ऑर्डीनैंस बनाया था तो यह कैबिनेट के पास गया होगा, कौंसिल ऑफ मिनिस्टर के पास गया होगा तब अकाली दल ने विरोध क्यों नहीं किया? हरसिमरत कौर बादल को तब विरोध करना चाहिए था। आप कुछ करते तो हैं नहीं और पंजाब में आकर शोर मचाए जा रहे हैं। 


तोमर झूठ बोल रहे हैं
गत दिवस हमारी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ बात हुई थी तो उन्होंने कहा था कि जब हमने हाई पावर मीटिंग बुलाई थी तो उसमें कै. अमरेन्द्र सिंह भी शामिल हुए और पंजाब के मंत्री भी। इस बात में कितनी सच्चाई है कि केंद्र सरकार की इस मीटिंग में पंजाब ने भी इन बिलों को लेकर अपना पक्ष रखा था।  इस पर कैप्टन ने कहा कि तोमर झूठ बोल रहे हैं। क्या तोमर को पता है कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने यह कमेटी बनाई थी तो उसमें पंजाब मैंबर नहीं था। मैंने इसका विरोध किया था और प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर तीन पत्र लिखकर भेजे थे। देश के अनाज भंडारण में सबसे ज्यादा हिस्सा पंजाब का है और हमें कमेटी का मैंबर नहीं बनाया जा रहा है। तब इनकी पहली मीटिंग हुई थी। इसके बाद इन्होंने हमें मैंबर बना दिया। तब सिर्फ वित्तीय मुद्दे पर बात करनी थी। पॉलिसी को लेकर कोई बात नहीं थी। हमारे वित्त मंत्री मनप्रीत बादल मीटिंग में गए थे। उन्होंने जब पार्लियामैंट में बिल देखा तो उसमें एक पेज पर कुछ हिस्से में लिखा है कि इस संबंध में मनप्रीत बादल के साथ डिस्कशन हुई है लेकिन कहीं कोई पॉलिसी नहीं, कहीं कोई बिल नहीं और कहीं ऑर्डीनैंस का जिक्र नहीं। तीसरी मीटिंग में उन्होंने हमारे कृषि अधिकारियों को बुलाया था। मीटिंग में हमारे अधिकारी काहन सिंह पन्नू गए थे तो वहां उन्हें बताया गया कि हमने फैसला कर दिया है और आपको तो सिर्फ सूचना देने के लिए बुलाया गया है। इस बिल को लेकर न तो पंजाब के साथ और न ही किसी दूसरी स्टेट के साथ बात हुई है। स्वयं ही फैसला करके बिल पास कर दिया है।  

मेरे घर आने से किसानों को क्या फायदा होगा
जब कैप्टन से यह पूछा गया कि हरसिमरत बादल कह रही हैं कि मनप्रीत बादल उस समय इस पर बोले भी थे और हस्ताक्षर भी किए थे तो क्या वह झूठ बोल रही हैं। इस पर कैप्टन ने कहा, ‘‘मैंने आप को बताया है कि दुर्भाग्यवश यही समस्या है कि अब यह लड़ाई आपस में ही बना रहे हैं, पंजाब की नहीं बना रहे हैं। पंजाब वर्सेज एक्ट जो आएगा उसकी लड़ाई नहीं बना रहे हैं बल्कि अकाली दल वर्सेज कांग्रेस बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हमसे घबराए हुए हैं क्योंकि हमने स्टैंड ले लिया है। सुखबीर बादल ने सिर्फ यही कहा है कि हम कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के घर जाएंगे तो बड़े शौक के साथ आएं लेकिन क्या इससे किसानों का कोई फायदा हो जाएगा। 


हम एक्शन लेंगे और लड़ाई लड़ेंगे
जब कैप्टन से यह पूछा गया कि मुख्यमंत्री होने के नाते आपको कोई रास्ता दिखाई देता है, क्योंकि बिल रा’यसभा से पास होकर कानून बनने के लिए राष्ट्रपति के पास चला गया है। क्या हमें कोई छूट मिल सकती है तो मुख्यमंत्री ने कहा कि हम इसका सौ फीसदी हल निकालेंगे। मैं जहां बता दूं कि पिछली बार हमने पानी पर अपना स्टैंड लिया था और अब भी हम इस पर कोई एक्शन जरूर लेंगे। अपने लीगल एडवाइजर से इस संबंध में बात करेंगे। जो बात होगी वह मैं पंजाब के लोगों के सामने रखूंगा। मैं एक बात कहना चाहूंगा कि मैं किसानों को डूबने नहीं दूंगा, मरने नहीं दूंगा। पूरी लड़ाई लड़ेंगे और मैं यह भी कहता हूं कि सभी अपनी पाॢटयों को भुला दें और किसानों के हक में एक साथ खड़े हो जाएं। मैं इस पर स्टैंड लेने को तैयार हूं। मैं आशा करता हूं कि अकाली दल भी हमारे साथ आए और ‘आप’ भी। इसके अलावा भाजपा को छोड़कर जो कोई पार्टी भी हमारे साथ जुडऩा चाहती है, जुड़ सकती है। हम लड़ाई लड़ेंगे।  


सभी पार्टियां कहें तो मैं धरने की अगुवाई करने को तैयार हूं 
कैप्टन साहिब आप ने सभी पार्टियों को काल दी है तो क्या कैप्टन अमरेन्द्र सिंह इस धरने की अगुवाई करेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि वह हर समय इसके लिए तैयार हैं और उन्होंने हर समय पंजाब के हक में संघर्ष की अगुवाई की है। उन्होंने कहा कि दरबार साहिब के मसले पर संसद से किसने इस्तीफा दिया था, वह मैंने ही दिया था। उसके बाद कोई सांसद संसद से बाहर नहीं आया। पानी के मसले पर टर्मिनेशन एक्ट भी मैं ही लेकर आया था। मुझे मालूम है कि अब इस मसले पर क्या होगा। हमारे पास कुछ भी नहीं रहना। कृषि के अधिकार को रा’य से निकाल कर केंद्र ने अपने हाथ में ले लिया। उन्होंने कहा कि धान या गेहूं कोई ट्रेड नहीं है। किसान तो इसे अपना और देश का पेट भरने के लिए पैदा करते हैं। यह ट्रेड कैसे हो गया। जब आप मंडी ही नहीं छोड़ेंगे तो इसे वहां खरीदेगा कौन और एम.एस.पी. कौन देगा। 


धान, गेहूं के अलावा किसी फसल पर एम.एस.पी. सर्पोटिव नहीं 
कैप्टन साहिब आपकी स्टडी के मुताबिक मंडियां खत्म होने के अलावा इस बिल से किसानी पर और क्या-क्या प्रभाव पड़ सकते हैं। इस पर कैप्टन ने कहा कि पंजाब के 75 प्रतिशत किसान इस समय पांच किले से भी कम जमीन के मालिक हैं और आधे से ’यादा अढ़ाई एकड़ के। आज तो उसे पता है कि सरकार ने धान और गेहूं पर इतनी एम.एस.पी. दी है और उसे पता है कि इस पर इतना पैसा उसे  मिलना है यही एम.एस.पी. रखी गई थी मक्की पर लेकिन यह एम.एस.पी. सर्पोटिव नहीं थी। एफ.सी.आई. सपोर्ट करती थी गेहूं और धान को। इसी तरह एम.एस.पी. कॉटन पर रखी गई थी। दालों पर एम.एस.पी. रखी गई है। आप एम.एस.पी. रख देते हैं लेकिन सपोर्ट कोई नहीं करता। जब हम विधानसभा सत्र में बहस कर रहे थे तो मुझे किसी ने कहा कि मक्की पर एम.एस.पी. 1200 रुपए रखी गई है लेकिन होशियारपुर में हमें 600 रुपए में मक्की बेचनी पड़ी।  किसी को क्या मालूम कि अब जब एम.एस.पी. ही नहीं रहेगी तो किसानों का क्या हाल होगा। उन्होंने कहा कि जब एम.एस.पी. ही खत्म हो जाएगी तो किसी को पता होगा कि उसको कितनी आमदन होगी और वह अपने ब"ाों को रोटी कहां से देगा। 


भाजपा की मंशा-अंबानी और अडानी खरीदें किसानों की फसल
भाजपा के रवैये को लेकर जब कैप्टन अमरेन्द्र सिंह से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि भाजपा की मंशा यह है कि किसान की फसल अब एफ.सी.आई. की बजाय अंबानी और अडानी खरीदें। मुझे नहीं मालूम कि इनके दोस्त कौन हैं। यही इनकी मंशा है। यह कोई नहीं समझ रहा कि 60 वर्ष से हमारा मंडी बोर्ड चल रहा है। सभी गांवों में हमने मंडियां रखी हुई हैं और 60 वर्ष से किसान इन मंडियों में जाकर अपनी फसल बेचते हैं। अभी कोरोना काल में ही देखें कि कितने अ‘छे तरीके से हमारी मंडियों में गेहूं की खरीद हुई थी।  जब सब कुछ ठीक चल रहा है और एक सिस्टम में चल रहा है। सिर्फ इसलिए कि केंद्र इसे बदलना चाहते हैं। बिल ला दिया गया। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत शांता कुमार से हुई। शांता कुमार ने इस कमेटी की रिपोर्ट बनाई और जाकर कहा कि एफ.सी.आई. और एम.एस.पी. को बंद कर दो। उसको मुख्य रखते हुए इन्होंने यह बिल बनाकर रख दिया। रा’यसभा में तो इन्होंने बहस तक नहीं होने दी।     

मास्क की बजाय लोग जुर्माना भरकर हो रहे हैं खुश 
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना को लेकर पंजाब के लोग गंभीर नहीं। केवल 25 फीसदी लोग ही मास्क पहन रहे हैं तथा मास्क पहनने की बजाय लोग जुर्माना भर कर खुश हैं। उन्होंने लोगों को आगाह किया कि खांसी या जुकाम को हल्के में न लिया जाए। साथ ही यह भी कहा कि कोरोना काल के दौरान लूट मचाने वाले अस्पतालों पर शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई होगी।

 

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