रूस और यूक्रेन बीच छिड़ी जंग में फंसे भारतीयों की मदद के लिए उठे हाथ

Edited By Urmila,Updated: 04 Mar, 2022 02:22 PM

hands raised to help indians trapped in the war between russia and ukraine

सिख धर्म का प्रारंभिक सिद्धांत हरेक के भले पर आधारित है। इसमें बिना किसी भेदभाव के सभी की मदद करने का संकल्प है। सिख गुरुओं के इसी उपदेश को आगे बढ़ाते हुए सिख धर्म के...

जालंधरः सिख धर्म का प्रारंभिक सिद्धांत हरेक के भले पर आधारित है। इसमें बिना किसी भेदभाव के सभी की मदद करने का संकल्प है। सिख गुरुओं के इसी उपदेश को आगे बढ़ाते हुए सिख धर्म के साथ जुड़े संगठन अब रूस और यूक्रेन बीच छिड़ी जंग के कारण यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों और विद्यार्थियों की मदद के लिए आगे आए हैं। कुछ सिख संगठन वहां पहुंच भी गए हैं और राहत सेवा शुरू भी कर दी है। दिल्ली के सिखों की नुमाइंदगी करने वाली दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी भारत सरकार की मदद के साथ यूक्रेन के बार्डर पर सेवा करने जा रही है।

कमेटी ने पोलेंड और चेकोस्लोवाकिया की योजना बनाई है। पहले पड़ाव में पोलेंड में लंगर लगाने और मेडिकल सेवा समेत अन्य मदद करने की केंद्र सरकार से इजाजत मांगी है। कमेटी ने इसके लिए बाकायदा कुल 20 लोगों की 2 टीमें तैयार की हैं जो यूक्रेन की सरहद पर जाकर लंगर की सेवा करेगी। समिति के प्रधान हरमीत सिंह कालका के नेतृत्व में कमेटी के अधिकारी, कर्मचारी और सेवक राहत सामग्री और जरूरी मेडिकल सामग्री के साथ जल्दी दिल्ली से कूच करेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से जरूरी इजाजत मांगी है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी पहले भी देश के अलग-अलग शहरों में आफतों, बाढ़, भूचाल में मदद के लिए आगे रही है।

1984 के सिख दंगा पीड़ितों को राहत जारी रहेगी
केंद्र सरकार ने प्रवासियों और वतन लौटने वाले लोगों के लिए राहत व समूची योजना के अंतर्गत 7 मौजूदा उप-योजनाओं को वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 तक के लिए 1452 करोड़ रुपए के कुल खर्च के साथ जारी रखने के संकल्प को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय की इस समूची योजना के अंतर्गत मिलने वाली सहायता का लाभपात्रियों तक पहुंचना यकीनी होगा। इसमें पाकिस्तान अधिकारिक जम्मू और कश्मीर और छंब इलाकों के उजड़े परिवारों को राहत और फिर से बसाने, श्रीलंकाई तमिल शरणर्थियों को राहत सहायता, त्रिपुरा में राहत कैंपों में रह रहे पीडितों को राहत सहायता, 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को बढ़ी हुई राहत, आतंकवाद, सांप्रदायिक और आतंकवादी हिंसा और सरहद पारों भारतीय इलाको में गोलीबारी और बारूदी सुरंग और आई.ई.डी. धमाकों के पीड़ितों समेत आतंकवादी हिंसा के साथ प्रभावित गैर-सेना पीड़ितों के परिवारों को वित्तीय मदद और ओर सहूलियतें, केंद्रीय तिब्बती राहत कमेटी (सी.टी.आर.सी.) को सहायता अनुदान, भारत सरकार के कूचबेहार जिले में स्थित 51 पुराने बंगलादेशी एंकलेव में मूलभूत ढांचो के विकास के लिए और बंगलादेश में पहले भारतीय एंकलेव से वापस लौटे 922 लोगों के फिर से बसाने के लिए पश्चिमी बंगाल सरकार को सहायता अनुदान भी मुहैया कर रही है।

गुरद्वारा कमेटी की नई सत्ता पर हो सकता है संकट
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में नई मैनेजमेंट विरुद्ध विरोधी पार्टी ने कुछ दिन पहले अंदरूनी चयन और जनरल हाऊस के दिन हुए हंगामे, बवाल की लगभग 16 घंटो की वीडियो रिकार्डिंग अदालत को सौंपी है। इस वीडियो में सदस्यों सम्बन्धित 7 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस रेखा पल्ली की कोर्ट में सुनवाई है। इस दौरान अदालत सभी प्रमुख घटनाक्रम वाले वीडियो देखेगी जिस पर सवाल उठाया गया है, ऐसा विरोधी पक्ष की तरफ से दावा किया जा रहा। विरोधी पक्ष के दावे पर यकीन करें तो दोबारा अंदरूनी चयन होनी तय है। इसलिए मौजूदा कमेटी की नई मैनेजमेंट पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि सत्ताधारी पार्टी के पास जरूरी सदस्यों की बहुमत है।

लाल किले पर मनाया जाएगा दिल्ली फतेह दिवस
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से बड़े स्तर पर दिल्ली फतेह दिवस का आयोजन लाल किले पर 6 से 7 अप्रैल को किया जाएगा। इस दौरान विशेष कीर्तन दरबार, खालसायी खेल गत्तके का आयोजन होगा इसलिए लाल किले से लेकर मिठाईपुल तक एक जरनैली मार्च भी निकाला जाएगा। इस मार्च में जत्थेदार साहब, संत समाज पर ओर पंथक जत्थेबंदियां भी शामिल होंगी। कहते हैं कि 1783 ई. में बाबा बघेल सिंह, बाबा जस्सा सिंह आहलूवालीया, बाबा जस्सा सिंह रामगढ़िया और दूसरे सिख जनरलों के नेतृत्व में सिंहों ने मुगल हाकिम सम्राट शाह आलम (दूसरे) को हरा कर दिल्ली पर जीत हासिल की थी। इसके बाद जनरलों ने लाल किले पर केसरी निशान साहब लहराया है। यह एक ऐतिहासिक घटना है और आज भी उसकी निशानियां दिल्ली में मौजूद हैं। वह हजारी अदालत का नाम सिख सेना की 30,000 मजबूत सेना के नाम पर रखा गया जिन्होंने इस स्थान पर डेरा लगाया था। इसी तरह मोरी 0गेट का नाम रखा गया। लाल किले में दाखिल होने के लिए सिख सेना दिल्ली की दीवार में सेंध लगाकर दिल्ली में दाखिल हुए थे जिसके बाद इसका नाम मोरी गेट पड़ा। इसके अलावा मिठाईपुल वह स्थान है जहां सिख सेना जनता बीच मिठाईयां बांटते थे। 

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