पंजाबी गायक गुरदास मान को हाईकोर्ट से राहत, जानें पूरा मामला

Edited By Kalash,Updated: 30 Jun, 2024 10:43 AM

gurdas maan gets relief from high court

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस द्वारा आई.पी.सी. की धारा 295-ए के तहत दर्ज मामले में गायक गुरदास मान द्वारा सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में दायर की गई कैंसिलेशन रिपोर्ट को रद्द करने से इनकार कर दिया है।

चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस द्वारा आई.पी.सी. की धारा 295-ए के तहत दर्ज मामले में गायक गुरदास मान द्वारा सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में दायर की गई कैंसिलेशन रिपोर्ट को रद्द करने से इनकार कर दिया है।    

इस धारा के तहत किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान कर उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर किए गए और खतरनाक कामों के लिए सजा का प्रस्ताव है। गुरदास मान ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि लाडी शाह श्री गुरु अमर दास जी के वंशज हैं।

जस्टिस संदीप मौदगिल ने कहा कि इस बात का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सबूत नहीं है कि गुरदास मान ने लाडी शाह को श्री गुरु अमरदास जी के वंशज के रूप में स्वीकार करने के लिए किसी विशेष समुदाय के किसी व्यक्ति या समूह पर दबाव डाला हो। यह पूरी तरह से व्यक्ति के विश्वास पर निर्भर करेगा कि वह उसके दावे को स्वीकार करता है या नहीं। अदालत भी संवेदनशीलता का ध्यान रखती है पर इसके साथ ही उसे चीजों को तार्किक रूप से भी देखना पड़ता है।

अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा की जानी चाहिए क्योंकि यह आत्म-अभिव्यक्ति के माध्यम से व्यक्ति की स्वायत्तता, गरिमा और कल्याण को सक्षम बनाता है। इस तरह किसी व्यक्ति और उक्त अपराध के तहत मामला चलाने के लिए जानबूझकर अपमान इस हद तक होना चाहिए कि व्यक्ति को सार्वजनिक शांति भंग करने या कोई अन्य अपराध करने के लिए उकसाया जा सके। 

जज ने कहा कि निचली अदालत ने स्पष्ट रूप से यह निष्कर्ष निकाला है कि गुरदास मान की वीडियो फुटेज वाली पेन ड्राइव और यहां तक ​​कि इसकी पंजाबी में ट्रांसक्रिप्ट को देख कर नहीं कहा जा सकता कि गुरदास मान ने जानबूझकर याचिकाकर्ता या समुदाय को कोई नुकसान पहुंचाया है या किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से ये किया है। 

अदालत ने इस तथ्य का नोटिस लिया है कि गुरदास मान ने इस संबंध में माफी मांग ली है और उसकी माफी का ट्रांसक्रिप्ट भी रिकॉर्ड में रखा गया है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कैंसिलेशन रिपोर्ट रद्द करने की रिपोर्ट को स्वीकार करने के निचली अदालत के फैसले से सहमती प्रकट की है।  

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