Edited By Vatika,Updated: 20 Aug, 2019 10:30 AM
बाढ़ को लेकर 85 गांव खाली करने के आदेश दिए गए हैं लेकिन इसके बावजूद लोग घर छोडऩे को तैयार नहीं हैं जिसके चलते अलर्ट के बावजूद इंसानी जिंदगी खतरे के साए में वक्त गुजार रही है।
जालंधर/शाहकोट(पुनीत, अरुण): बाढ़ को लेकर 85 गांव खाली करने के आदेश दिए गए हैं लेकिन इसके बावजूद लोग घर छोडऩे को तैयार नहीं हैं जिसके चलते अलर्ट के बावजूद इंसानी जिंदगी खतरे के साए में वक्त गुजार रही है। बीती रात शाहकोट के कई निचले इलाके में पानी भरना शुरू हो गया था जिसके बाद लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के निर्देश दिए गए लेकिन देखने में आया कि लोग अपने घरों की छतों पर खड़े होकर स्थिति पर नजर बनाए हुए थे लेकिन घर छोडऩे को तैयार नहीं थे।
कुछ एक लोग जिनके घरों में पानी भरना शुरू हो गया वे राहत शिविरों और अपने जान-पहचान वालों के यहां जाकर रुके। बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित शाहकोट सब-डिवीजन का इलाका हुआ है जबकि फिल्लौर के भी कई इलाकों में बाढ़ का पानी भर आया है, नकोदर में इक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़कर सब कुछ ठीक रहा। पानी भर जाने से लोहियां के कुछ गांवों की सड़कों का सम्पर्क आपस में कट गया। सुरक्षा बलों द्वारा बाढ़ को लेकर किए गए पुख्ता इंतजामों के चलते लोगों को बड़ी राहत मिली। जहां से लोगों का निकल पाना बेहद मुश्किल माना जा रहा था, वहां पर सुरक्षा बलों के जवानों ने किश्तियों के जरिए लोगों को बाहर निकाला। वहीं लोगों का सामान बाहर निकलवाने में भी आर्मी व सुरक्षा बलों के जवानों ने अहम भूमिका निभाई। इसके साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर डटे रहे, जिसके चलते जवानों में भी राहत कार्यों को लेकर उत्साह भरा रहा। कुछ एक लोग जहां अपना सामान ट्रालियों में भरकर लेकर जाते देखे गए वहीं कुछ लोगों द्वारा अपने घरों के अन्दर सामान को इकट्ठा कर लिया गया था ताकि आपदा स्थिति में उन्हें सामान आदि इकट्ठा करने में समय न लगे।
लोग घर छोड़ सुरक्षित स्थानों को निकलें : डी.सी.
डी.सी. जालन्धर वरिन्द्र शर्मा ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करते हुए लोगों से अपील की कि वे अपने घर-बार छोड़ कर सुरक्षित स्थानों अथवा रिलीफ सैंटरों में चले जाएं। वहां पर प्रशासन द्वारा लोगों के रहने व खाने-पीने के लिए उचित प्रबंध किए गए हैं। डी.सी. ने बताया कि बार-बार अपील करने के बाद भी लोग अपना घर-बार छोडऩे को तैयार नहीं हैं।
लोग लगाएं ठीकरी पहरे : एस.एस.पी.
प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद एस.एस.पी. देहाती नवजोत सिंह माहल ने लोगों से अपील की कि वे अपना घर-बार छोड़ कर रिलीफ सैंटरों पर जाएं पर इसके साथ ही अपने गांवों में ठीकरी पहरे जरूर लगाएं। इलाके में होने वाली किसी भी तरह की संदिग्ध सरगर्मी पर नजर बनाए रखें। प्रशासन को हर तरह की सूचना दें। लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस हर गांवों में तैनात है।
मंगलवार को बंद रहेंगे सब-डिवीजन के सभी स्कूल
सतलुज दरिया में आई बाढ़ के कारण बनी एमरजैंसी हालत को मुख्य रखते हुए प्रशासन द्वारा सब-डिवीजन के सभी सरकारी, गैर-सरकारी एवं मान्यता प्राप्त स्कूलों व अन्य शिक्षण संस्थानों में छुट्टी का ऐलान किया गया है। एस.डी.एम. शाहकोट डाक्टर चारुमिता ने बताया कि पानी का स्तर और बढ़ रहा है। लोहियां इलाके में 2 जगह बांध को नुक्सान पहुंचा है, जिसके कारण बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए 20 अगस्त को सभी शिक्षण संस्थाएं बंद रखी जाएंगी।
अभी तो हम 1988 की बाढ़ को ही नहीं भुला पाए
गांव दानेवाल नजदीक बांध पर बैठे कुछ परिवारों के साथ जब बाढ़ जैसी हालत पर बात करने की कोशिश की गई तो परिवार की एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने बताया कि इस बार पानी का स्तर देखकर हालात बिल्कुल उसी तरह से लग रहे हैं जैसे 1988 की बाढ़ के दौरान पैदा हुए थे। उस समय बाढ़ के खतरे को देखते हुए हम अपने कच्चे मकानों को छोड़ कर सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए थे पर इस दौरान हमारी गैर-हाजिरी में हमारे घर का सामान ही कोई गायब कर गया। इस कारण इस बार प्रशासन के कहने पर भी अपना घर-बार छोडऩे को तैयार नहीं हैं।
वर्षा न होने की दुआ मांगते रहे लोग
कुछ दिनों से हो रही वर्षा ने भी इंसानी जिंदगी को प्रभावित कर रखा है, आज अगर वर्षा होती तो हालात और भी खराब हो सकते थे लेकिन गनीमत रही कि वर्षा नहीं हुई। आगामी 1-2 दिनों में बाढ़ प्रभावित इलाकों में वर्षा न ही हो तो अ‘छा है क्योंकि निचले इलाकों में पानी की निकासी का कोई प्रबंध नहीं है, ऐसे में वर्षा के कारण हालात बिगड़ सकते हैं।