Edited By Radhika Salwan,Updated: 25 Jun, 2024 05:58 PM
पंजाब वन्यजीव विभाग ने मंगलवार को कथलौर वन्यजीव अभ्यारण्य में लगी भीषण आग से हुए नुकसान का पता लगाने की कवायद पूरी कर ली है।
पंजाब डेस्क: पंजाब वन्यजीव विभाग ने मंगलवार को कथलौर वन्यजीव अभ्यारण्य में लगी भीषण आग से हुए नुकसान का पता लगाने की कवायद पूरी कर ली है। परमजीत सिंह पठानकोट के प्रभागीय वन अधिकारी ने कहा कि अभी वह डेटा संकलित कर रहे हैं, डेटा संकलित होने के बाद वह सटीक विवरण बताने की स्थिति में होंगे।
मंगलवार को जिला प्रशासन द्वारा सेना से दमकल विभाग की गाड़ियां मंगवाई गई, तब जाके भीषण आग पर काबू पाया जा सका।
बताया जा रहा है कि आग लगने से काफी पेड़ जल गए होंगे, लेकिन अधिकारियों ने कहा है कि सही संख्या कुछ दिनों बाद ही पता चल पाएगी। डिप्टी कमिश्नर आदित्य उप्पल का कहना है कि वन्यजीव विभाग नुकसान का आकलन करने के बाद कुल नुकसान का ब्योरा दे पाएगा।
कथलौर की पठानकोट से दूरी 25 किलोमीटर है। यह 1,867 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें घना जंगल है। यह विभिन्न वनस्पतियों और जीवों का घर है। वन्यजीव अधिकारियों द्वारा किए गए अनुमानों अनुसार आग ने क्षेत्र का लगभग 800 से 1,000 एकड़ वन भूमि को प्रभावित किया है। यह चीतल, सांभर, हॉग हिरण और बार्किंग हिरण सहित हिरणों की कई प्रजातियों का घर है।
मानव गतिविधि को नियंत्रित करने और प्राकृतिक स्थान की रक्षा करने के लिए वन्यजीवों को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। पर्यावरण के प्रति संवेदनशील, बफर और कोर ज़ोन। पर्यटकों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र से आगे जाने की अनुमति नहीं है। वन्यजीवों का मुख्य आश्रय कोर ज़ोन है।
बता दें कि वन विभाग किसी भी कर्मचारी को 15 अप्रैल से 30 जून तक कहीं भी जाने की अनुमति नहीं देता। इसका कारण वहां के कर्मचारी ने बताया कि गर्मियों के मौसम के चलते और अधिक गर्मी होने के कारण ऐसा किया जाता है क्योंकि गर्मियों के मौसम में आग लगने की संभावना काफी रहती है।
अधिकारियों का कहना है कि गर्मी अधिक होने के कारण उत्तर भारत में जंगलों में आग लगने की घटनाएं काफी बढ़ रही है। बता दें कि सिर्फ हिमाचल प्रदेश में ही 1500 आग लगने की घटनाएं वन विभाग द्वारा दर्ज की गई हैं।