बीमारियों की फसल बो रहे किसान,अन्न से लेकर दूध तक में कैंसर के अवशेष

Edited By swetha,Updated: 23 Sep, 2019 11:05 AM

farmers sowing diseases cancer residues from grain to milk

यूरोनियम युक्त है मालवा का भूमिगत पानी

जालंधरः सरकारों के तमाम प्रयासों के बावजूद पंजाब में कैंसर का कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा। पूरे देश का अनाज से पेट भरने वाले राज्य पंजाब और हरियाणा कैंसर से सहम उठे हैं। खतरनाक पहलू यह है कि पंजाब में कैंसर के मरीज लगातार बढ़े रहे हैं। प्रति एक लाख लोगों में 100 लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। बठिंडा से चलकर राजस्थान के बीकानेर जाने वाली ट्रेन (नंबर 54703) का नाम अबोहर-जोधपुर एक्सप्रैस है लेकिन इसे ‘कैंसर एक्सप्रैस’ के नाम से भी जाना जाता है।  कैंसर एक्सप्रैस एक ट्रेन ही नहीं बल्कि उन सैंकड़ों लोगों की जीवन रेखा भी है, जो हर 20 दिनों में बठिंडा से बीकानेर के आचार्य तुलसी कैंसर संस्थान का सफर तय करते हैं। हर रोज उत्तर भारत से सैंकड़ों लोग बीकानेर के आचार्य तुलसी कैंसर संस्थान में अपना इलाज कराने जाते हैं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इसमें सबसे ज्यादा मरीज भारत के कृषि प्रधान राज्य पंजाब से जाते हैं।

यूरोनियम युक्त है मालवा का भूमिगत पानी 
पंजाब में बढ़ते कैंसर के लिए अन्य कारणों के साथ-साथ कीटनाशकों का बेतहाशा इस्तेमाल और पानी में यूरेनियम की मात्रा को बताया जाता है। हालत यह है कि अनाज के एक दाने से लेकर दूध तक में कैंसर के अवशेष आ चुके हैं। कारण यह है कि पशुओं को जो चारा खिलाया जाता है, वह भी तो कीटनाशकयुक्त है। ऊपर से पशुओं में दूध बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल हो रहा है। वहीं पंजाब के मालवा क्षेत्र में कुछ स्थानों पर भूमिगत जल में यूरेनियम की मात्रा पाई गई है।

PunjabKesari

मालवा में कैंसर के सर्वाधिक मरीज
 स्वास्थ्य विभाग पंजाब के आंकड़े बताते हैं कि जहां साल 2017 में पंजाब में कुल 8,799 कैंसर के मरीज पाए ग,ए वहीं साल 2018 के पहले 4 महीनों जनवरी से अप्रैल में ही राज्य में कैंसर के 3,089 मरीज सामने आए। विभाग मई से दिसम्बर तक का आंकड़ा भी जुटा रहा है। माझा की तुलना में मालवा में कैंसर के सर्वाधिक मरीज हैं। मालवा में प्रतिवर्ष 1,089 कैंसर के नए केस सामने आ हैं। मालवा के 11 में से 4 जिले मुक्तसर, मानसा, फरीदकोट और बठिंडा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। जहां कैंसर विकराल रूप धारण कर चुका है। वहीं माझा और दोआबा के क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं हैं। पंजाब केसरी की ओर से एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। देश में ऑर्गैनिक खेती का ढिंढोरा तो पीटा जा रहा है लेकिन ऑर्गैनिक खेती कैसे हो, इसकी विधियां क्या हैं, इसके बारे में किसानों में जागरूकता की बेहद ज्यादा कम है। जो किसान ऑर्गैनिक खेती कर भी रहे हैं उनमें से काफी किसान फसल की उपज कम मिलने की आशंका के चलते चोरी-छिपे रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं।   

भारत दुनिया का 5वां सबसे बड़ा कीटनाशक निर्यातक देश 
भारत दुनिया का 5वां सबसे बड़ा कीटनाशक निर्यातक देश है। विश्व भर में प्रति वर्ष लगभग 20 लाख टन कीटनाशक का उपयोग किया जाता है। टॉक्सिक लिंक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 108 टन सब्जियों को बचाने के लिए 6,000 टन कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है जबकि कुल कीटनाशकों में से करीब 60 फीसदी का उपयोग कपास में होता है।

कृषि मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित 18 कीटनाशक
वेनोमाइल, कार्बराइल, डायजिनोन, फेनारिमोल, फेंथिओन, लिनुरोन, मेथोक्सी ईथाइल, मिथाइल पेराथिओन, सोडियम साइनाइड, थियोमेटोन, ट्राइडेमोर्फ, ट्राइफ्लूरेलिन, अलाक्लोर, डाइक्लोरोक्स, फोरेट, फोस्फोमिडोन, ट्रायाजोफोज, ट्राइक्लोरोफोर्न। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, पंजाब द्वारा प्रतिबंधित 20 कीटनाशकफॉसफेमिडॉन, ट्राइक्लोरोफोन, बेन्फ्युरोकर्ब, डाईकोफोल, मिथोमाइल, थियोफॉनेट मिथाइल, एन्डोसल्फॉन, कार्बोसल्फॉन, क्लोरफेनापर, डाजोमेट, डाईफ्लुबेंजुरॉन, फेनिट्रोथिन, मेटलडीहाइड, कसुगामाइसिन, इथोफेनप्रोक्स (इटोफेनप्रोक्स) फोरेट, ट्राइजोफॉस, अलाकोलोर, मोनोक्रोटोफॉस।

99 फीसदी कीटनाशक मिट्टी, जल और हवा में 
सच्चाई यह है कि ज्यादातर किसान आज भी नहीं सोच पा रहे कि कीटों को मारने में इस्तेमाल होने वाली दवाएं अमृत तो हो नहीं सकतीं, जाहिर है कि ये जहर ही हैं। जितना हम छिड़कते हैं उसका एक प्रतिशत ही कीट पर पड़ता है बाकी 99 फीसदी तो मिट्टी, जल, फसल और हवा के हिस्से में ही आता है। अत: कीटनाशकों का अविवेकपूर्ण इस्तेमाल का खामियाजा वाया फसल, हवा, मिट्टी, जल, फसल उत्पाद के इंसान को ही झेलना होगा। 

कीटनाशकों का प्रवेशद्वार बनी हरित क्रान्ति
हरित क्रांति की जरूरत ने भारतीय कृषि में कई अतिरिक्त प्रयोगों का प्रवेश कराया। रासायनिक खादों, खरपतवार नाशक तथा रासायनिक कीटनाशक भी ऐसे प्रयोग की वस्तु बनकर आए और पूरे भारत के खेतों पर बिछ गए। उत्पादन बढऩे से इनके प्रति भारतीय किसानों की दीवानगी बढ़ती गई। इसी का लाभ उठाकर भारत में रासायनिक कीटनाशकों का एक भरा-पूरा उद्योग और बाजार तो खड़ा हो गया, लेकिन जैविक कीटनाशकों को प्रोत्साहित करने का विचार लंबे समय तक हमारे वैज्ञानिकों और उद्योगपतियों के इरादे से गायब रहा। किसानों को जिन जैविक कीटनाशकों को प्रयोग की जानकारी व अनुभव था, उन्हें पिछड़ा बताकर वैज्ञानिकों ने उन पर से किसानों का भरोसा घटाया। आधुनिक खेती के नाम पर वैज्ञानिक और सलाहकार भी रासायनिक कीटनाशकों का बाजार बढ़ाने में लग गए। खरपतवारनाशक दवाइयों की बिक्री बढ़ाने के लिए कम्पनियां आज भी डी.ए.पी. जैसे रंगीन उर्वरकों तथा उन्नत बीजों में खरपतवार के रंगे बीजों की मिलावट कर खेतों में नई-नई तरह के खरपतवार पहुंचाने का अनैतिक कर्म कर रही हैं।

PunjabKesari

60 लाख लोगों की हर साल देश में कैंसर से मौत
रिपोर्ट कहती है कि देश में जहां 1 लाख लोगों में से 90 लोगों में कैंसर पाया जाता है वहीं अमरीका में यह आंकड़ा 300 पहुंच जाता है। देश में हर साल 10 लाख नए मामले आ रहे हैं, 6 लाख की मौत हो जाती है और 70 फीसदी कैंसर से होने वाली मौतों का कारण बीमारी का देरी से पता चलना है। सबसे अफसोसजनक बात यह है कि दुनियाभर की 0.5 फीसदी औसत की तुलना में 15 फीसदी रोगी बच्चे हैं। देश में महिलाओं में खासकर बच्चेदानी के मुख में कैंसर की वजह से हर 8 मिनट में एक महिला की मौत होती है। 

महिलाओं में स्तन कैंसर की वजह से 2 में से एक महिला की मौत हो जाती है। सबसे ज्यादा हैड एंड नैक कैंसर के रोगियों की मौत होती है। हर दिन 2,500 लोगों की मौत तंबाकू से संबंधित रोगों के कारण होती है। हैड एंड नैक में ही धूम्रपान भी आता है। इसकी वजह से 5 पुरुषों में से 1 और 20 महिलाओं में से 1 की मौत हो जाती है। महिलाओं में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर ब्रैस्ट कैंसर है। देश में कैंसर के आंकड़ों पर नजर डालें तो लगभग 27 फीसदी महिलाएं ब्रैस्ट कैंसर से पीड़ित हैं, जबकि मुख के कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या 22.86 फीसदी है। अगर उम्र के लिहाज से देखें तो पाते हैं कि 35 से 45 वर्ष की महिलाओं में इस तरह के कैंसर ज्यादा पाए जाते हैं।

PunjabKesari

52.75 हजार टन के करीब फसलों पर कीटनाशक का इस्तेमाल 
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2014 से लेकर 2017 के बीच खेती में कीटनाशक की खपत लगातार हुई है। जानकार इसके पीछे किसानों के पर्यावरण को लेकर सजग होने और सरकार की ओर से जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात कहते हैं। 

फसलों पर अंधाधुंध फर्टीलाइजर्स का इस्तेमाल  

देश कि.ग्रा./हैक्टेयर
कतर    6,898.70 
सिंगापुर  2,759.60
सिशली  1,750.00
मलेशिया   1,726.60
न्यूजीलैंड 1,578.90
कुवैत  1,097.80
ओमान   0887.70
यू.ए.ई.  0855.50
हांगकांग     0841.00
भारत     0175.00
पंजाब  0243.00

किस देश में सबसे ज्यादा कीटनाशक का उपयोग 

देश कि.ग्रा./हैक्टेयर
चीन    1,806
संयुक्त राष्ट्र  386
अर्जेंटीना 265
थाईलैंड   87
ब्राजील   76
इटली  63
फ्रांस  62
कनाडा 54
जापान 52
भारत   40

मालवा से ज्यादा अमृतसर और लुधियाना में कैंसर के मरीज
पंजाब में कपास का गढ़ मालवा प्रमुख रूप से कैंसर बैल्ट के रूप में जाना जाता है लेकिन अब इसका स्थान अमृतसर और लुधियाना ने ले लिया है। मुख्यमंत्री कैंसर राहत कोष में सहायता के लिए इन दोनों जिलों के काफी संख्या में मरीज पहुंचे हैं। इन दोनों जिलों ने बठिंडा, मानसा तथा मुक्तसर को पीछे छोड़ दिया है। अब तक मालवा को कपास की खेती के लिए प्रयोग किए जाने वाले कीटनाशकों के इस्तेमाल के कारण कैंसर बैल्ट के रूप में जाना जाता था। आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि राज्य सरकार ने जनवरी 2012 से 23 अगस्त 2017 तक पूरे पंजाब में कैंसर के 42,564 मामलों के लिए 539.16 करोड़ रुपए की राहत राशि जारी की थी। पंजाब स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार अमृतसर में 4692, लुधियाना 4052, बठिंडा में 3250, गुरदासपुर में 2859, जालंधर में 2801 तथा तरनतारन में 2204 कैंसर मरीज पाए गए हैं। तरनतारन तथा अमृतसर माझा में जबकि जालंधर दोआबा क्षेत्र में आता है। इसके चलते यहां मरीजों का अधिक होना हैरानीजनक है। इस तरफ सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है। 

ट्रेन में कैंसर मरीज के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा
पंजाब में खतरे के स्तर से ज्यादा गंभीर हो चुकी कैंसर की बीमारी का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि रोजाना बठिंडा से बीकानेर जाने वाली एक ट्रेन को लोगों ने कैंसर ट्रेन का नाम दे दिया है। पूछताछ खिड़की पर अक्सर, लोग इस ट्रेन की इन्क्वायरी कैंसर ट्रेन बोलकर करते हैं। रेलवे कर्मचारी भी इस नाम के आदी हो गए हैं और उन्हें कोई आपत्ति नहीं होती। रोजाना रात को तकरीबन 9 बजकर 25 मिनट पर चलने वाली इस ट्रेन में लगभग 12 कोचेज हैं। इस ट्रेन में कैंसर मरीज की मुफ्त यात्रा की सुविधा है। मरीज के साथ 1 यात्री को किराए में 75 प्रतिशत तक की छूट भी मिलती है। रोज लगभग 200 से ज्य़ादा कैंसर मरीज इसमें सवार होते हैं। सबकी मंजिल होती है बीकानेर का आचार्य तुलसी रिजनल कैंसर ट्रीटमैंट और रिसर्च सैंटर। 325 किलोमीटर का सफर करके और कुछ 20 से ज्यादा स्टेशनों से होती हुई, सुबह यह ट्रेन बीकानेर पहुंचती है।

 

PunjabKesari
इस संबंधी सिख इतिहासकार व अग्रणी किसान इकबाल सिंह लालपुरा का कहना है कि पंजाब में कैंसर की मूल वजह फसलों पर अंधाधुंध खादों और कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल है। कुदरती खेती (ऑर्गैनिक कृषि) इसका बदल है लेकिन इसकी खेती और बाजारीकरण के बारे में गांव स्तर पर जानकारी का अभाव है। जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल किसान कैसे कर सकते हैं किसी ने भी गांव स्तर पर ज्ञान देने की कोशिश नहीं की। कुछ किसान व्यापार के लिए यह खेती करते हैं लेकिन आम किसानों तक इसकी पहुंच नहीं है। सरकार को आम किसान को जैविक खाद और जैविक कीटनाशक दवाइयों का बदल देना होगा। जैविक खेती बारे ज्ञान और अनुसंधान दोनों बारे गांव स्तर पर किसानों को जागरूक किए जाने की आवश्यकता है। दूसरी बात जल संरक्षण की है। जल संरक्षण को लेकर केवल बातें ही हो रही हैं। पानी को रोकना कैसे है और उसका संरक्षण कैसे करना है, इस बारे में भी गांव स्तर पर जानकारी देनी होगी। किन तकनीकों का इस्तेमाल करके आम आदमी गांव में पानी बचा सकता है लोगों को जागरूक किए जाने की आवश्यकता है।     

                                                                                                                                                                                                  -रिपोर्ट-सोमनाथ कैंथ, हरमन (जालंधर/गुरदासपुर)

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!