पंजाब के लिए खतरे की घंटी! किसानों की उड़ी नींद, अचानक खड़ी हो गई बड़ी समस्या

Edited By Kamini,Updated: 07 Jul, 2025 01:37 PM

alarm bells for punjab

पिछले कुछ दिनों से पहाड़ी इलाकों में बादल फटने और भारी बारिश के कारण डैमों में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।

सुल्तानपुर लोधी : पहाड़ी व मैदानी इलाकों में हो रही भारी बारिश ने एक बार फिर दोआबा क्षेत्र के प्रमुख हलके सुल्तानपुर लोधी के अधीन पड़ते मंड क्षेत्र के गांवों की दिन की नींद को उड़ा दिया है। ब्यास नदी में लगातार बढ़ रहे जलस्तर के कारण किसानों को अपनी फसलों की चिंता सताने लगी है।

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पिछले कुछ दिनों से पहाड़ी इलाकों में बादल फटने और भारी बारिश के कारण डैमों में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जिसे समय-समय पर रिलीज करना पड़ता है। ऐसे में यह पानी फिर ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ा देता है और इस विधानसभा क्षेत्र से होते हुए हरिके पतन तक पहुंच जाता है। अगर सरकार मांग के अनुसार पानी का भंडारण करके हरिके पतन से धीरे-धीरे पानी छोड़ने का आदेश दे तो इन गांवों को बाढ़ से बचाया जा सकता है। अन्यथा हर बार यह बारिश का पानी इन गांवों को अपनी चपेट में ले लेता है और किसानों द्वारा लगाई गई धान की फसल को भारी नुकसान होता है। 

किसान बाढ़ के प्रवाह को रोकने के लिए अस्थायी बांध बनाते हैं, लेकिन भारी बारिश के कारण वे टूट जाते हैं और पानी गांवों में घुस जाता है, जिससे न केवल फसलों को नुकसान पहुंचता है, बल्कि घरों, पशुओं और मनुष्यों को भी नुकसान पहुंचता है। आजादी के 78 साल बाद भी किसी सरकार ने देश के अन्न उत्पादक किसानों को हर साल आने वाली बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं की है। परिणामस्वरूप, बाढ़ प्रभावित इन गांवों के किसान कर्ज के बोझ के कारण आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं। बाढ़ समय पर आने के बावजूद उन्हें सरकार की ओर से पूरा मुआवजा नहीं मिल पाता, जिससे क्षेत्र के किसान नेताओं में भारी रोष है।

बाढ़ प्रभावित गांवों के किसानों का क्या कहना है?

इस संबंध में किसान संघर्ष कमेटी के प्रमुख नेता परमजीत सिंह बाऊपुर का कहना है कि पंजाब सरकार हर साल कई घोषणाएं करती है, लेकिन ये खोखली साबित होती हैं। उन्होंने कहा कि किसान अभी 2023 की विनाशकारी बाढ़ से उबर भी नहीं पाए हैं और अब लगातार हो रही बारिश ने हमारा दिन खराब कर दिया है। ब्यास नदी पर हमेशा ध्यान केंद्रित रहता है कि जलस्तर कितना बढ़ा या घटा है। उन्होंने कहा कि ब्यास नदी में बढ़े पानी से कई स्थानों पर किसानों के खेतों में पकी मक्की की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है तथा धान की फसल भी खराब होने का डर है। उन्होंने कहा कि सरकार को बाढ़ संभावित क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए अब से हरिके से थोड़ी मात्रा में पानी छोड़ना चाहिए।

इस मौके पर किसान तरलोचन सिंह दोदा वजीर, जसविंदर सिंह, कुलदीप सिंह बाऊपुर ने कहा कि ब्यास नदी में लगातार जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का संभावित खतरा लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन केवल बंद दरवाजों के पीछे से आदेश जारी करता है। वे वास्तविकता जानने की कोशिश नहीं करते। जब पानी सिर से ऊपर से गुजर जाता है और सब कुछ नष्ट हो जाता है, तब प्रशासन भी जागता है और तब वे गांवों में घूमते हैं, खानापूर्ति करते हैं, बंद कमरे में बैठते हैं और रिपोर्ट जारी करते हैं। किसानों ने मांग की है कि सरकार पहले से उचित प्रबंध करके इस आसन्न आपदा को टाले।

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