पंजाब में सरकार बनने के बाद देश में 'आप' के पहले सासंद बने सुशील रिंकू के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

Edited By Urmila,Updated: 14 May, 2023 11:39 AM

exclusive interview with sushil rinku

जालंधर के लोकसभा उपचुनाव इस बार जालंधर से पंजाब की आम आदमी पार्टी की अगली नीतियों का श्रीगणेश हुआ है।

जालंधर (अनिल पाहवा) : जालंधर के लोकसभा उपचुनाव इस बार जालंधर से पंजाब की आम आदमी पार्टी की अगली नीतियों का श्रीगणेश हुआ है। पार्टी के पास अब जो एकमात्र सांसद है, वह जालंधर से है। भगवंत मान के संगरूर सीट से इस्तीफे के बाद यह पहली बार होगा, जब आम आदमी पार्टी का सांसद लोकसभा में बैठेगा और अपने मुद्दे रखेगा। सुशील रिंकू के तौर पर पंजाब को सांसद मिला है, जिससे कई तरह की उम्मीदें हैं। जालंधर सीट से जीत के बाद प्रमाण पत्र हासिल कर पंजाब कार्यालय पहुंचे सुशील रिंकू ने विशेष बातचीत में पंजाब और जालंधर को पहल देने पर तो जोर दिया ही, साथ ही उन्होंने 8 महीने नहीं, बल्कि 6 साल का रोडमैप बनाने की बात कही। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश :-

प्र.- सांसद बनने के बाद पहला काम क्या होगा?

उ.- जालंधर के लोगों ने जिस तरह से अपना प्यार मुझ पर बरसाया है, मैं उसके लिए हर एक मतदाता का आभारी हूं। चुनाव प्रचार के दौरान मैंने जो वायदे लोगों के साथ किए हैं, उन्हें निभाना मेरी पहल है, इसके लिए चाहे मुझे दिन-रात एक करना पड़े, मैं करूंगा। केंद्र से फंड लाना हो या पंजाब सरकार से कोई प्रोजैक्ट पास करवाना हो, मैं पीछे नहीं हटूंगा। क्योंकि लोगों ने जो विश्वास जताया है, उसे हर तरह से कायम रखना होगा। 

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प्र. जालंधर के लिए पहली सूची में कौन-से काम है?

उ. - जालंधर में बहुत से काम है, जो आम जनता के लिए करवाए जाना समय की मांग है। खासकर स्मार्ट सिटी के तौर पर जालंधर काफी पिछड़ रहा है, उस पर काम करने की जरूरत है। सड़कों की हालत को सुधारना जहां मेरी पहल होगी, वहीं स्पोर्ट हब के तौर पर जाना जाता जालंधर दोबारा इस क्षेत्र में विकास कर उसके लिए काम करना समय की जरूरत है। इन चीजों के अलावा मेरी प्राथमिकता वाली सूची में आदमपुर एयरपोर्ट, रेलवे ट्रैक पर जरूरी फ्लाईओवर या अंडरब्रिज तथा पी.ए.पी. चौक के नक्शे का सुधार शामिल है, जिसे हर हाल में पूरा करूंगा। 

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प्र. इतना सारा काम और समय है कम, कैसे मैनेज करोगे?

उ.- बेशक कहा जा रहा है कि 8-9 महीने का समय बचा है, उसके बाद 2024 का चुनाव आ जाएगा, लेकिन मैं इस सबको अलग नजरिए से देखता हूं। मेरे लिए 8-9 महीने का समय नहीं, बल्कि 6 साल का समय है, जिसके लिए मैंने अपना रोडमैप तैयार किया हुआ है, जिसके लिए मैंने आज से ही प्रयास शुरू कर दिए हैं। मुझे तो इस बात का फायदा मिला है कि जनता का भरपूर समर्थन है और मेरे पास योजनाओं के लिए रोडमैप तैयार है। 

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प्र. जालंधर में अपनी जीत के लिए आप किसे कारण मानते हैं?

उ.- देखिए पंजाब में पहले से ही आम आदमी पार्टी की सरकार है। सी.एम. के तौर पर भगवंत मान का काम लोगों ने 13 महीने के दौरान देखा है। लोगों के अंदर आम आदमी पार्टी को लेकर एक विश्वास बन गया है। जालंधर में मुझे जिताने के लिए सी.एम. मान ने बेहद ज्यादा मेहनत की है, इसके लिए मैं उनका आभारी हूं। इसके अलावा पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पंजाब के विधायक व मंत्रियों ने अपना पूरा योगदान दिया। 

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प्र. विपक्षी दलों की हार को आप कैसे देखते हैं?

उ.- पंजाब में अब राजनीति का ट्रैंड बदल गया है। अब आप जो कहोगे, आपको वो करना होगा। अब लोग लीडरों की बातों में आने वाले नहीं रहे और यह बदलाव किया है आम आदमी पार्टी ने। इसी कारण लोगों ने 13 महीने के कार्यकाल के बाद मुझे भारी समर्थन दिया है। जहां तक विपक्षी दलों की बात है तो कांग्रेस की राजनीति अब पुरानी बात हो गई है। जालंधर की सीट पर करीब 24 साल से कांग्रेस का सांसद है, लेकिन उस हिसाब से जालंधऱ की तरक्की नहीं हुई, जहां तक अकाली दल व भाजपा की बात है तो इन दलों से लोगों का मन भर चुका है क्योंकि भाजपा जैसे दल घटिया राजनीति करते हैं, जो लोगों को अब बर्दाश्त नहीं है। 

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प्र. 'आप' तथा पहली सरकारों में क्या अंतर है?

उ.- जैसा मैंने पहले कहा कि पंजाब में राजनीति का ट्रैंड बदल गया है। आम आदमी पार्टी ने 13 महीने के कार्यकाल में मुफ्त बिजली, लोगों को नौकरी, 580 मोहल्ला क्लीनिक शुरू करके लोगों में अपना विश्वास पैदा किया है। बाकी राजनीतिक दल अकसर अपने कार्यकाल के आखिरी साल में काम शुरू करते हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार ने पहले दिन से ही काम शुरू कर दिया और नतीजा आपके सामने है। 

प्र.- बसपा-अकाली दल गठबंधन को क्यों नहीं मिली सफलता?

उ.- मेरे ख्याल में शिरोमणि अकाली दल को संभालने में बड़े बादल साहब की अहम भूमिका रही है। उनके जाने के बाद पार्टी को संभालना आसान काम नहीं। पार्टी का ग्राफ पिछले कुछ सालों से लगातार नीचे जा रहा है। राज्य में सत्ता चलाने वाली पार्टी पंजाब में 3 सीटों तक सिमट गई। जहां तक बसपा की बात है तो पंजाब खासकर जालंधर का वोटर बसपा से नाराज है, यही कारण है कि इस गठबंधन को लोगों ने सिरे से नकार दिया।

प्र.- संसद में जाकर कौन से मुद्दे उठाने को देंगे पहल?

उ.- पंजाब एक बार्डर स्टेट है। पाकिस्तान का बार्डर पंजाब के कई प्रमुख जिलों के साथ लगता है। लेकिन पंजाब को उस हिसाब से फंड नहीं मिलता। पड़ोसी देश राज्य में अराजकता फैलाने में कोई कमी नहीं छोड़ता। ऐसे में राज्य के विकास के लिए कई तरह की जरूरतें हैं जिसके लिए फंड चाहिए। पंजाब को अधिक से अधिक फंड मिले, इसके लिए मेरा प्रयास रहेगा। इसके अलावा महंगाई एक बड़ा मुद्दा है, जिस पर कोई बात नहीं करता। हर आम व्यक्ति को महंगाई सीधे तौर पर प्रभावित करती है और आम आदमी पार्टी की तरफ से सांसद के तौर पर मैं इस मुद्दे को संसद में उठाकर लोगों को किसी न किसी तरह से राहत दिलवाने की कोशिश करूंगा। 

प्र.- कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाई है, इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
उ.-
आम आदमी पार्टी ने मुझे मौका दिया और पार्टी के हर वर्कर से लेकर सी.एम. भगवंत मान तक ने कोई कमी नहीं छोड़ी। मुझे सफलता मिली, यह एक टीम की तरह काम हुआ, जिसका नतीजा है कि पार्टी को सफलता मिली। लेकिन कांग्रेस में परिवारवाद का ही बोलबाल रहा है, जिस कारण पार्टी को लगातार नुक्सान हो रहा है और पार्टी का ग्राफ तेजी से नीचे आ रहा है। 

प्र.- 'आप' की 'बदलाव' की नीति कितनी कारगर?

उ.- यह तो आपके सामने है, एक के बाद एक पार्टी को सफलता मिल रही है क्योंकि पार्टी ने वो पुरानी पारंपरिक राजनीति को गुड बाय बोल दिया और एक बदलाव के साथ राजनीति में काम करना शुरू किया। पंजाब में अब लोग मुफ्त बिजली भी ले रहे हैं और राज्य की भगवंत मान सरकार लोगों पर चढ़े कर्जे को भी उतार रही है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर पंजाब को दोबारा ट्रैक पर लाने के लिए प्रयास में सफलता मिल रही है और यह इस बात का प्रमाण है कि बदलाव की नीति सफल हो रही है। दूसरे दलों को अब या तो राजनीति छोड़नी पड़ेगी या फिर लोगों के बीच जाकर उनका काम करके वोट लेने की जो नीति है, उस पर चलना पड़ेगा और इस नीति को 'आप' ने ही पंजाब में लोगों से परिचित करवाया है।  

 पिता से विरासत में मिली राजनीति

जालंधर के नए सांसद सुशील रिंकू राजनीति में नए नहीं हैं, बल्कि उन्हें विरासत में पिता से राजनीति मिली है। उनके पिता श्री राम लाल जालंधर नगर निगम में पार्षद रहे। उसके बाद सुशील रिंकू भी राजनीति में आ गए। 2006 में पहली बार पार्षद बने, 2007 में उनकी पत्नी सुनीता रिंकू भी पार्षद बनी। 2012 में वह फिर पार्षद बने और 2017 में वह पहली बार जालंधर वैस्ट विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर विधायक चुने गए।

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