पर्यावरण फ्रैंडली चुनाव अभियान के लिए आयोग इस बार गंभीर

Edited By swetha,Updated: 09 Apr, 2019 12:03 PM

environment friendly election campaign this time

बेशक राजनीतिक पार्टियां प्रदूषण के विषय पर गंभीर नहीं हों और अपने चुनाव मैनिफैस्टो में वह इस मुद्दे को प्रमुखता से शामिल भी नहीं करती हो।  पर  देश में बढ़ रही प्रदूषण की समस्या के प्रति भारतीय चुनाव आयोग जरूर गंभीर है।

चंडीगढ़(भुल्लर):बेशक राजनीतिक पार्टियां प्रदूषण के विषय पर गंभीर नहीं हों और अपने चुनाव मैनिफैस्टो में वह इस मुद्दे को प्रमुखता से शामिल भी नहीं करती हो।  पर  देश में बढ़ रही प्रदूषण की समस्या के प्रति भारतीय चुनाव आयोग जरूर गंभीर है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पर्यावरण फ्रैंडली माहौल रखने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं। राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों के माध्यम से राजनीतिक दलों के नेताओं से इसके लिए औपचारिक तौर पर सिर्फ अपील ही नहीं की जा रही, बल्कि चुनाव अभियान के दौरान प्रदूषण की समस्या पर नियंत्रण के लिए विस्तारित रूप से दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं, जिन्हें लागू करवाने के लिए चुनाव अधिकारी सक्रिय हैं। पंजाब में भी मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय की ओर से राजनीतिक दलों से सीधा संपर्क कर पर्यावरण फ्रैंडली माहौल में चुनाव प्रचार करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। चुनाव अभियान में लाऊड स्पीकरों के व्यापक इस्तेमाल के मद्देनजर ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए भी आवश्यक पाबंदियां लागू की गई हैं। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण इंजीनियर कुलदीप कुमार को प्रदूषण के मामलों से निपटने के लिए राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

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प्लास्टिक सामग्री के इस्तेमाल पर भी होगा नियंत्रण 
भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के आग्रह पर चुनाव आयोग ने प्लास्टिक के इस्तेमाल से पैदा होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए भी विशेष कदम उठाए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान बहुत से पोस्टर, काट-आऊट्स, बड़े बोर्ड, बैनर, राजनीतिक इश्तिहार आदि प्लास्टिक के बने होते हैं। मतदान के बाद ऐसा सारा मैटीरियल रद्दी या कबाड़ बन जाता है। प्रचार में इस्तेमाल किया गया घटिया किस्म का प्लास्टिक बाद में नालियों के बहाव में रुकावट, आवारा पशुओं द्वारा निगले जाने, भूमि और जल प्रदूषण का कारण बनता है, जिससे मानवीय स्वास्थ्य और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इनमें से कुछ प्लास्टिक पोली विनाइल क्लोराइड (पी.वी.सी.) आधारित होते हैं, जो कि बहुत हानिकारक हैं। पोस्टर, कट-आऊट्स, होर्डिंग्स, बैनर आदि पी.वी.सी. से बने होते हैं, जो जलने के बाद बहुत हानिकारक धुआं छोड़ते हैं, जिससे पर्यावरण खराब होता है। चुनाव प्रचार के समय ऐसे हानिकारक प्लास्टिक मैटीरियल की जगह कम्पोस्टेबल बैग्स, कपड़ा, री-साइकल्ड पेपर और अन्य ऐसी वस्तुएं इस्तेमाल में लाने की सलाह दी गई है, जो कि पर्यावरण के लिए कम हानिकारक हैं। 

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पोल्यूटर पेज नियम के अनुसार वसूली जाएगी कीमत: डा. राजू
पंजाब के मुख्य चुनाव अधिकारी डा. एस. करुणा राजू का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान पैदा होने वाले प्रदूषण के मामलों में पर्यावरण कानून के मुताबिक ही कार्रवाई होगी। प्रदूषण फैलाने का कोई भी मामला हो, उसमें पोल्यूटर पेज नियमों के अनुसार राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों से बनती कीमत वसूली जाएगी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण लाभकारी और कुदरती मैटीरियल को उत्साहित करने की जरूरत है। लोकसभा चुनाव-2019 ऐसी नई प्रवृत्ति अपनाने के लिए एक उपयुक्त अवसर है जब ऐसे चिर-स्थायी मैटीरियल को उत्साहित करके अमल में लाया जा सकता है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट रूल्ज-2016 और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमैंट रूल्ज-2016 और अन्य संबंधित कानूनों के मुताबिक ही स्थानीय म्यूनिसिपल स्तर पर प्रचार सामग्री से संबंधित कूड़े-कर्कट का निपटारा किया जाएगा।

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ध्वनि प्रदूषण संबंधी तय मापदंड
राज्य में पहले से तय ध्वनि प्रदूषण संबंधी नियमों का सख्ती से पालन की हिदायत दी गई है। नियमों के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में दिन के समय 75 डैसीबल और रात के समय 70 डैसीबल ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए। व्यापारिक क्षेत्र में दिन के समय 65 डैसीबल और रात के समय 55 डैसीबल ध्वनि प्रदूषण न हो, रिहायशी क्षेत्र में दिन के समय 55 डैसीबल और रात के समय 45 डैसीबल ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए। साइलैंस जोन में दिन के समय 50 डैसीबल और रात के  समय 40 डैसीबल ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के प्रावधान 

  • रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाऊड स्पीकर और साऊंड एम्पलीफायर के इस्तेमाल पर रोक। 
  • इस समय के दौरान पाबंदी के उल्लंघन पर लाऊड स्पीकर या साऊंड एम्पलीफायर सहित साथ लगा सारा सामान होगा जब्त।
  • लाऊड स्पीकर या साऊंड एम्पलीफायर का ट्रक /टैम्पो, टैक्सियों, वैन, थ्री-व्हीलर, स्कूटर, साइकिल और रिक्शा आदि पर इस्तेमाल के लिए संबंधित अथॉरिटी से मंजूरी लेना जरूरी। 
  • वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर संबंधी सूचित करना भी जरूरी।

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