दुकानों पर पाबंदी के बावजूद भी पतंग उड़ते हैं चाइना डोर से

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Dec, 2017 09:35 AM

despite the ban on shops  people fly kites from china door

सरकार द्वारा राज्य में चाइना डोर को बेचने व स्टोर करने पर चाहे पाबंदी है परंतु फिर भी राज्य में इसका प्रयोग बंद नहीं हुआ और वर्ष में कई-कई बार डिप्टी कमिश्नरों को इस पर पाबंदी के हुक्म जारी करने पड़ते हैं। इस डोर का प्रयोग करने वाले शायद यह नही...

संगरूर (बावा): सरकार द्वारा राज्य में चाइना डोर को बेचने व स्टोर करने पर चाहे पाबंदी है परंतु फिर भी राज्य में इसका प्रयोग बंद नहीं हुआ और वर्ष में कई-कई बार डिप्टी कमिश्नरों को इस पर पाबंदी के हुक्म जारी करने पड़ते हैं। इस डोर का प्रयोग करने वाले शायद यह नही जानना चाहते कि इसके कारण पंजाब में जहां आम लोग प्रभावित हो रहे हैं वहीं इसने पक्षियों का भी भारी नुक्सान किया है। आम डोर के मुकाबले ज्यादा मजबूत होने के कारण पतंगबाजी के शौकीन लोग इसके प्रयोग को प्राथमिकता देते हैं ताकि वे विरोधी की पतंग काटकर अपना रौब जमा सकें। 

चाहे वे किसी हद तक अपने इस उद्देश्य में कामयाब हो जाते हैं परंतु वे आम लोगों का कितना नुक्सान कर रहे हैं शायद यह नहीं जानते। जानकारी के अनुसार चाइना डोर प्लास्टिक के धागे और लोहे के पाऊडर का मिश्रण होती है। यह प्लास्टिक का धागा जहां वातावरण का संतुलन बिगाड़ता है, वहीं राहगीरों की गर्दन का फंदा बनने के अलावा अनेकों पक्षियों की मौत का कारण भी बनता है। लोहे का पाऊडर लगा होने के कारण बिजली की तारों से छूने के कारण इसमें करंट भी आ सकता है व पतंग उड़ाने वाले व्यक्ति किसी बड़े हादसे का शिकार हो सकते हैं।

जिले में चाइना डोर बेचने पर पूर्ण पाबंदी : ए.डी.सी. 
ए.डी.सी. संगरूर उपकार सिंह ने बताया कि जिले में पतंग उडाने के लिए सिंथैटिक/प्लास्टिक की बनी डोर को बेचने, भंडारण करने और इसका प्रयोग करने पर 1 अप्रैल 2018 तक मुकम्मल तौर पर पाबंदी लगाई हुई है ताकि  सिंथैटिक डोर के प्रभाव से आम लोगों, पक्षियों और वातावरण को बचाया जा सके।  

चाइना तो सिर्फ नाम, बनती है लोकल स्तर पर : दुकानदार
पंजाब पुलिस द्वारा पिछले वर्ष बड़ी मात्रा में चाइना डोर के रोल बरामद किए गए जो इस बात की ओर इशारा करता है कि इसे स्थानीय स्तर पर ही बनाया जा रहा है। इनमें ज्यादातर रोल ‘मोनोकाइट’ ब्रांड के हैं, जिन पर बेंगलूर का पता व निर्माताओं का फोन नंबर भी लिखा होता है परन्तु उनके खिलाफ कोई कार्र्रवाई नहीं हो रही। इसके अलावा गाजियाबाद से ‘बाइब्रो’और नोएडा से ‘मोनोफिल’ ब्रांड के रोल भी पुलिस ने बरामद किए थे परन्तु इन मामलों में सिर्फ रिटेलरों पर ही मामले दर्ज हुए हैं।

नाम न छापने की शर्त पर एक पतंग विक्रेता ने बताया कि यह ड्रैगन डोर चाइना से आयात होती थी परन्तु अब स्थानीय स्तर पर बनने के कारण इसे सस्ते में बेचा जा रहा है। इसे चाइना डोर कहा जाता है परन्तु किसी भी हालात में यह चाइनीज नहीं है क्योंकि पतंग विक्रेता तक यह डोर बेंगलूर, गाजियाबाद आदि से पहुंचती है।

न दुकान न गोदाम, सीधी होम डिलीवरी
पतंग की डोर का कारोबार करते एक व्यापारी ने बताया कि अब जब बसंत पंचमी का त्यौहार नजदीक आ रहा है तो संगरूर में दूसरे जिले के पतंग और डोर के सप्लायर शहरों में बड़ी-बड़ी दुकानें किराए पर लेकर कारोबार शुरू करने वाले हैं। पुलिस की नजरों में पाक-साफ बनने के लिए ये सप्लायरों द्वारा डोर डिलीवरी अब न तो अपनी दुकान मे करवा रहे हैं और न ही गोदाम में। ऑनलाइन माल का आर्डर लेने के बाद सप्लाई बड़े स्तर पर सीधी दुकानदार/ग्राहक के घर जा रही है क्योंकि यह डोर सिर्फ उन्हीं लोगों को मिल रही है जो ग्रुप के मैंबर या फिर उनके विश्वासपात्र हैं। 

व्हाट्स एप और फेसबुक पर शुरू हुई डिमांड : एडवोकेट डली
हाईकोर्ट केवकील  ने कहा कि ‘‘हैरानी की बात है कि पुलिस की सख्ती के बाद भी चाइना डोर के सप्लायर बाज नहीं आ रहे। पुलिस से बचने के लिए चाइना डोर के कारोबारियों ने व्हाट्स एप और फेसबुक पर अपने ग्रुप पर पेज बना लिए हैं जिस पर दुकानदारों ने अपने पक्के ग्राहकों और सप्लायरों को डाल दिया है। कब, कैसे और कितनी डोर चाहिए, सारी बात सिर्फ व्हाट्स एप या फेसबुक पर हो रही है।
दसवीर सिंह डली, एडवोकेट हाईकोर्ट

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