Edited By Kalash,Updated: 26 Aug, 2024 05:35 PM
12 साल पहले नगर सुधार ट्रस्ट गुरदासपुर की सात नंबर स्कीम में मिली सिर कटी लाश के मामले में जिला अदालत ने एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है
गुरदासपुर : 12 साल पहले नगर सुधार ट्रस्ट गुरदासपुर की सात नंबर स्कीम में मिली सिर कटी लाश के मामले में जिला अदालत ने एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है, जबकि मामले में शामिल कुछ अधिकारियों को दोबारा कोर्ट में पेश होने के लिए समन भी जारी कर दिया गया है। वणर्नीय है कि इस मामले में एक महिला की हत्या के आरोप में उसके पति और पति के परिवार वालों को पुलिस ने हिरासत में लिया और प्रताड़ित किया। बाद में उक्त महिला जिंदा उठ जाती है और अपने दामाद को फंसाने के लिए उसके ससुर ने एक अन्य महिला की हत्या कर दी और उसे अपनी बेटी के कपड़े पहना दिए।
मामला यह है कि शिकायतकर्ता मनोज कुमार की शादी गोल्डी पुत्री बुआ मसीह निवासी गांव मान चोपड़ा से हुई थी। हालांकि शिकायतकर्ता का ससुर अपनी बेटी की शादी किसी अन्य लड़के से कराना चाहता था। इसलिए उसका इरादा शिकायतकर्ता को झूठे आपराधिक मामले में फंसाने का था। शिकायतकर्ता मनोज कुमार के ससुर बुआ मसीह ने उसे और उसके परिवार के अन्य सदस्यों को फंसाने के लिए शिकायतकर्ता की पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर 11 दिसम्बर 2011 की रात को दर्शना उर्फ गोगन नामक एक अन्य महिला की हत्या कर दी और उसका सिर काट दिया।
शव से कपड़े उतारकर फरियादी की पत्नी के कपड़े दर्शना उर्फ गोगन के शव पर डाल दिए गए। शिकायतकर्ता के ससुर का राजनीतिक प्रभाव था। उसने सिटी गुरदासपुर में झूठी शिकायत दी कि शिकायतकर्ता मनोज कुमार जो पुलिस कर्मचारी था और उसके परिवार के सदस्यों ने उसकी बेटी गोल्डी की हत्या कर दी है। कथित राजनीतिक दबाव में पुलिस ने पुलिस स्टेशन सिटी गुरदासपुर ने धारा 302, 201 और 34 आईपीसी के तहत झूठी कहानी बनाई तथा 12 दिसंबर 2011 के तहत झूठी एफ.आई.आर. नंबर 217 दर्ज की गई और उसी दिन दोपहर 2 बजे ए.एस.आई. जोगिंदर सिंह, एस.एच.ओ. जोगा सिंह, इंस्पेक्टर यादविंदर सिंह, डी.एस.पी. गरीब दास और डी.एस.पी. अजिंदर सिंह और अन्य पुलिस अधिकारियों ने उनके क्वार्टर पर छापा मारा और शिकायतकर्ता मनोज और उसके परिवार के अन्य सदस्य को हिरासत में ले लिया।
उपरोक्त पुलिस दल के अधिकारियों ने शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों को अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में 10 दिनों तक अवैध हिरासत में रखा और मनोज कुमार को अपनी पत्नी की हत्या को कबूल करने के लिए शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों को प्रताडित किया। पूछताछ के दौरान भी पुलिस पार्टी को पता चला कि शिकायतकर्ता को अंदरूनी चोटें आई हैं, जिसके कारण उसके पैर अभी भी सूजे हुए हैं और उसके हाथ भी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। इतना ही नहीं शिकायतकर्ता मनोज कुमार का कहना है कि पुलिस अधिकारियों द्वारा अवैध हिरासत में रखे जाने के सदमे से शिकायतकर्ता के माता-पिता और परिवार के एक अन्य सदस्य की मौत हो चुकी है।
बाद में शिकायतकर्ता ने अपने ससुराल परिवार की साजिश का पर्दाफाश किया और हाईकोर्ट की शरण ली। जिसके बाद शिकायतकर्ता के खिलाफ झूठी साजिश रचने और एक महिला की हत्या के आरोप में मामला दर्ज किया गया। जिसमें शिकायतकर्ता की पत्नी, उसके ससुर, साला और उनके साथियों समेत सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। माननीय न्यायालय द्वारा 9 मार्च 2017 को सज़ा सुनाई थी। सजा के बाद इनमें से कुछ को जमानत मिलने की भी खबर है।
उधर, हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जिला अदालत ने तत्कालीन पुलिस अधिकारी राम सिंह आई.पी.एस., तत्कालीन डी.आई.जी. अमृतसर कुंवर विजय प्रताप आई.पी.एस. , जसकीरत सिंह चाहल एस.पी., गुरचरण सिंह गोराया डी.एस.पी., अजिंदर सिंह डी.एस.पी., गरीब दास डी.एस.पी., यादविंदर सिंह , इंस्पेक्टर जोगा सिंह और जगदेव सिंह के विरूद्व शिकायतकर्ता मनोज कुमार और उनके परिवार के सदस्यों को अवैध हिरासत में रखने, यातना देने और दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप में मामला शुरू किया गया था।
जिला अदालत ने नियमों के तहत पुलिस अधिकारियों को पहले पेश होने के लिए समन जारी किया था। राम सिंह, कुंवर विजय प्रताप सिंह, गुरचरण सिंह, अजिंदर सिंह, इंस्पेक्टर जोगा सिंह, जसकीरत सिंह चहल को 07.09.2024 को फिर से पेश होने के लिए समन जारी किया गया है। जबकि मामले के एक अन्य कथित आरोपी एएसआई यादविंदर सिंह को अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है।
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