ट्राईसिटी में टूटा कोरोना का कहर,हालात हुए बेकाबू

Edited By prince,Updated: 25 Apr, 2021 05:10 PM

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ट्राईसिटी में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। कोरोना के नये वैरियेंट के आने और विकराल रूप लेने के बाद संक्रमितों को ईलाज मुहैया कराना मुश्किल हो चुका है।

चंडीगढ़: ट्राईसिटी में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। कोरोना के नये वैरियेंट के आने और विकराल रूप लेने के बाद संक्रमितों को ईलाज मुहैया कराना मुश्किल हो चुका है। चंडीगढ़,पंचकुला व मोहाली के हालात तो बेकाबू हो चुके हैं। यहां स्थित हर सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में कोविड मरीजों के निर्धारित बेड भर चुके है। नये संक्रमितों को न तो अस्पतालों में बेड मिल पा रहा है और न ही उन्हे आवश्यक दवाई मिल पा रही है। इतना ही नहीं मरीजों के रिश्तेदारों को डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाई न तो अस्पतालों में मिल रही है न ही मार्केट में। पर्याप्त मात्रा में मौजूद ऑक्सीजन को फेफड़ों तक पहुंचाने वाली मशीन नहीं मिल पा रही है। सरकारी व प्राइवेट दोनों ही अस्पतालों में दवाई तथा इलाज में जरूरी मशीनें सिर्फ दलालों के माध्यम से मिल पा रही है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के मरीजों तो भगवान के भरोसे ही कोरोना से जंग में अपनी भागीदारी निभा रहे है।

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बताया जा रहा है कि शहर में मौजूद इन अस्पतालों की बदतर होती इस हालात के जिम्मेदार बाहर से आए मरीज है। दिल्ली जैसे शहरों से बहुत सारे मरीज ऑक्सीजन व वेंटीलेटर के लिए शहर के अस्पतालों में भर्ती होने आ रहे है। जी. ऐम. सी. ऐच.-32 के एक सीनियर डाक्टर ने बताया कि किसी भी अस्पताल में आई.सी.यू खाली नहीं है। न ही वेंटीलेटर बेड मिल पा रहे है। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन किसी भी मरीज को कानूनी तौर पर भर्ती करने से इंकार नहीं कर सकता है। यही कारण है कि ट्राईसिटी के लोगों को अस्पतालों में इलाज मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यदि यही स्थिति रही तो जल्द ही शहर के हालात दिल्ली और यू.पी जैसे हो जाएंगे। उनका कहना है कि प्रशासन को हालात बद से बदतर होने से पहले इसपर कोई निर्णय लेना चाहिए।

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मरीजों को ऑक्सीजन चढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ऑक्सीजन एक्सीलेटर मशीन कही नहीं मिल पा रही है। लोगों का कहना है कि यह मशीन सिर्फ अस्पतालों को ही सप्लाई की जाती है बावजूद इसके अस्पालों द्वारा मरीजों के परिजनों को यह मशीन बाहर से लाने को कहा जा रहा है। अस्पतालों में मौजूद दलालों के माध्यम से ही परिजनों को यह मशीन मिल पा रही है। जिसके लिए दलालों द्वारा प्रति सप्ताह 5 से 10 हजार रूपए तक वसूले जा रहे है। यही नहीं कोविड मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली रेमडीसिवीर इंजेक्शन भी दलालों के माध्यम से ही उपलब्ध हो पा रहा है। जिसे निम्न आय वाले मरीजों को इसका मिलना काफी मुश्किल हो गया है।

 

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