Edited By Urmila,Updated: 17 Apr, 2022 10:57 AM

पंजाब की भगवंत मान सरकार ने 1 जुलाई से राज्य में बिजली के 300 यूनिट प्रति माह माफ करने का ऐलान कर दिया है। पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर भगवंत मान सरकार को मुफ्त बिजली के लिए कोस रहे
जालंधर (अनिल पाहवा): पंजाब की भगवंत मान सरकार ने 1 जुलाई से राज्य में बिजली के 300 यूनिट प्रति माह माफ करने का ऐलान कर दिया है। पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर भगवंत मान सरकार को मुफ्त
बिजली के लिए कोस रहे लोग अब नजर नहीं आ रहे हैं। निम्न तथा मध्यम वर्ग के चेहरे पर एक हल्की-सी खुशी है कि शायद उनके मेहनत के पैसे अब बच जाएंगे। महंगाई की मार से जूझ रहे इस वर्ग के लिए यह एक बड़ा तोहफा है लेकिन इस पूरे मामले में एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा होने लगा है कि अगर मुफ्त की बिजली मिलने लगी तो राज्य में बिजली की खपत बढ़ जाएगी।
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पंजाब में इस समय करीब 8000 मेगावाट बिजली की डिमांड है और यह गर्मी की वजह से और बढ़ेगी। अभी तक राज्य में करीब 4400 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो रही है। इस अंतर को पूरा करने के लिए पावरकॉम बाहरी जिलों से बिजली खरीद रहा है। बिजली की पूरी सप्लाई न होने के कारण ग्रामीण इलाकों में 4 से 6 घंटे तक के कट लग रहे हैं। पंजाब में जिस तरह से बिजली मुफ्त हो रही है उससे यह मांग और बढ़ सकती है क्योंकि लोग पहले के मुकाबले अब बेफिक्र होकर बिजली का प्रयोग करेंगे। जब बिल देने की फिक्र नहीं होगी तो संभवतः बिजली बचाने की फिक्र नहीं रहेगी।
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पंजाब में भगवंत मान सरकार ने प्रति माह 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने का ऐलान किया है। एस.सी., एस.टी. तथा स्वतंत्रता सेनानियों को यह राहत रहेगी कि वह 300 से ऊपर जितने भी यूनिट चलाएंगे उतने का बिल देंगे। बिजली के बेपरवाह उपभोग को बचाने के लिए मान सरकार ने बेशक सामान्य श्रेणी को कैपिंग दी है जिसमें महीने में 300 से एक यूनिट भी ऊपर होने पर सभी यूनिटों का बिल देना पड़ेगा। इससे संभवतः लोग महीने में कोशिश करेंगे कि 300 यूनिट बिजली का बिल न आए लेकिन इनमें वे लोग भी होंगे जिनका पहले ही करीब 200 यूनिट बिजली का बिल आता है वह संभवतः बिजली की खपत बढ़ा देंगे जिसका असर पंजाब की बिजली आपूर्ति पर पड़ेगा।
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पंजाब में किसानों को मुफ्त बिजली काफी समय से दी जा रही है लेकिन राज्य में अकाली-भाजपा सरकार ने ट्यूबवैल तथा घर के बिजली सप्लाई अलग करके बेवजह हो रही बिजली की खपत को नियंत्रित करने की कोशिश की गई। सरकार के इस फैसले से पहले पंजाब के गांवों में जहां बिजली मुफ्त थी, घरों में भी दिन भर ए.सी. और अन्य उपकरण चलते रहते थे लेकिन सरकार के फैसले के बाद काफी हद तक बिजली की खपत कम हुई। इस मामले में हरियाणा का कदम भी काबिले तारीफ था जिससे उसे काफी फायदा हुआ। हरियाणा में भी गांवों में मुफ्त बिजली दी जा रही थी लेकिन चौटाला सरकार ने आकर एक बड़ा फैसला लिया तथा एक रुपया प्रति यूनिट कृषि में प्रयोग होने वाली बिजली पर फिक्स कर दिया। इस दौरान कुछ हल्का विरोध तो हुआ लेकिन उसका असर राज्य की तरक्की पर देखने को मिल रहा है जबकि इसके विपरीत पंजाब में सरकारें लगातार बिजली सबसिडी के चक्कर में ही करोड़ों रुपए का कर्ज ले रही है।
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