Edited By Vatika,Updated: 24 Oct, 2019 01:07 PM
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 85 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि को अपर्याप्त बताते हुए रद्द कर दिया।
चंडीगढ़ (अश्वनी): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 85 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि को अपर्याप्त बताते हुए रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि इस मामूली वृद्धि से खेती लागत में हुई वृद्धि की भरपाई भी नहीं होगी।
केंद्र सरकार के इस फैसले को खानापूर्ति बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वृद्धि से किसानों की बड़ी समस्याओं का हल होना तो एक तरफ रहा, इससे संकट में डूबी किसानी को अंतरिम राहत मिलने की भी कोई उम्मीद नजर नहीं आती। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस का ऐलान न करने पर सख्त आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने फसल काटने के बाद पराली का निपटारा करने के लिए यह बोनस देने की मांग बार-बार उठाई थी, जिसको केंद्र ने कोई स्वीकृति नहीं दी। इससे पता लगता है कि मोदी सरकार किसानों का भला करने में बिल्कुल संजीदा नहीं जबकि देशभर के किसान बहुत बुरी स्थिति से गुजर रहे हैं और यहां तक कि कई किसानों ने खुदकुशी का रास्ता भी अपना लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहूं के भाव में की गई ताजा वृद्धि से राज्य सरकार की तरफ से की गई मांग की पूर्ति नहीं की गई।
कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र द्वारा भाव में वृद्धि का किया गया ऐलान न तो संकट में डूबी किसानी की उम्मीदों पर खरा उतरा है और न ही स्वामीनाथन आयोग द्वारा पहचान की गई समस्या की जड़ को सुलझाने के लिए उपयुक्त बैठता है। उन्होंने एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह अमल में लाने की मांग को दोहराया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार बाकी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने को यकीनी बनाने के लिए भी नाकाम सिद्ध हुई है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार इस तरफ ध्यान दे तो इससे जहां किसानों को गेहूं और धान के फसलीय चक्र, जिससे पानी का स्तर गिर रहा है, से बाहर निकाला जा सकेगा, वहीं किसानों की आय में भी फर्क पड़ेगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे राज्य सरकार किसानों की तत्काल समस्याओं को हल करने के लिए अपने स्तर पर कोशिशें कर रही है परंतु किसानों की मुश्किलों के स्थाई हल के लिए केंद्र सरकार द्वारा किसान समर्थकीय राष्ट्रीय नीति बनाने की जरूरत है।