कैप्टन की केंद्र को ललकार, 'इस्तीफा जेब में लेकर आया हूं, किसी के आगे नहीं झुकूंगा'

Edited By Vatika,Updated: 20 Oct, 2020 03:56 PM

captain amarinder singh assembly session

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने विशेष सत्र के दौरान सदन में खेती कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया।

चंडीगढ़:पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज विधानसभा में एलान किया कि प्रदेश के किसानों की खातिर यदि जरूरत पड़ी तो वह पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं और आगे भी यह लड़ाई लड़ी जाएगी । उन्होंने सदन में 4 प्रस्ताव पेश करने के बाद कहा कि किसानी का मामला गंभीर मामला है तथा इसको राजनीतिक रंग न दिया जाए । वह किसानों के साथ हो रहे अन्याय के आगे झुकने के बजाय पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। केन्द्र ने कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया तो वो न्याय के लिए उच्चतम न्यायालय तक जाएंगे।

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उन्होंने कहा कि इन कृषि कानूनों को लेकर राज्य की अमन-चैन और कानून व्यवस्था भंग होने और राष्ट्रीय सुरक्षा पर ख़तरा पैदा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता । कोई भी व्यक्ति धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और रोज़ी-रोटी पर लात मारने की बात बर्दाश्त नहीं कर सकता। मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘मैं इस्तीफ़ा देने से नहीं डरता। मुझे अपनी सरकार के बर्खास्त होने का भी डर नहीं। किसानों की बर्बादी हरगिज़ बर्दाश्त नहीं कर सकता ।'' उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय सिख सिद्धांतों पर हुए हमले का समर्थन या स्वीकृत करने की बजाय उन्होंने इस्तीफ़ा देने का रास्ता ही चुना था। कैप्टन सिंह ने कहा कि यदि कृषि कानून रद्द न किए गए तो नौजवान किसानों के साथ सडक़ों पर उतर सकते हैं जिससे अफरा-तफरी फैल जाएगी। इस समय जो हो रहा है उससे शांतिपूर्ण माहौल खराब हो सकता है। अस्सी तथा नब्बे के दशक में भी ऐसा ही हुआ था। चीन और पाकिस्तान राज्य के अमन-चैन को भंग करने के लिए मौके का लाभ उठाने की कोशिश में हैं जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर ख़तरा खड़ा हो सकता है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने खिलाफ अन्याय के विरूद्ध किसान को प्रदर्शन करने का हक हैं क्योंकि किसानों के पास अपने को और अपने परिवारों को बचाने के लिए लड़ाई लडऩे से सिवाय अन्य रास्ता नहीं बचा। उन्होंने किसानों से रेल रोको आंदोलन और सड़क यातायात ठप करने के बजाय आवश्यक वस्तुओं को लाने या बाहर ले जाने में रूकावट न डालने की अपील की । किसानों से अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम आपके साथ खड़े हैं और अब आपकी हमारे साथ खड़े होने की बारी है।'' उन्होंने कहा कि समूचा सदन उनके साथ है लेकिन राज्य कठिन समय से गुजऱ रहा है और बिजली उत्पादन संकट में है, खाद के लिए यूरिया नहीं है और न ही धान की मौजूदा आमद के लिए गोदामों में जगह है। वे ट्रेन आवाजाही को न रोकें । मुख्यमंत्री ने विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को खारिज करने के लिये चार बिल में चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि कृषि कानूनों के साथ पंजाब को ख़त्म करने की कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री की यह कार्यवाही न्यायपूर्ण है। भारतीय जनता पार्टी को राज्य की कृषि को बर्बाद करने के लिये जिम्मेदार बताते हुए उन्होंने कहा कि जब से अन्य राज्यों ने अनाज मुहैया करवाना शुरू किया तब से केंद्र सरकार ने पंजाब के किसानों को दरकिनार करना शुरू कर दिया । संवैधानिक गारंटियों की पालना करने में केंद्र नाकाम रहा । केन्द्र राज्य सरकार को वायदे के बावजूद जी.एस.टी. की अदायगी नहीं कर सका । उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार किसान भाईचारा और कृषि को तबाह नहीं करने देगी। उनकी सरकार के चार बिलों का उद्देश्य जहाँ केंद्रीय कानूनों से राज्य और यहाँ के कृषि सैक्टर को पैदा हुए खतरे को रोकना है, वहीं किसानों और उपभोक्ताओं के आशंकाओं को भी दूर करना है। अपराहन तक बिलों पर बहस जारी रही ।

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