Edited By Mohit,Updated: 29 Sep, 2020 06:55 PM
बसपा ने प्रदेश अध्यक्ष सरदार जसवीर सिंह गढ़ी के नेतृत्व में पटियाला में एक अद्भुत रोष प्रदर्शन व...............
पंजाबः बसपा ने प्रदेश अध्यक्ष सरदार जसवीर सिंह गढ़ी के नेतृत्व में पटियाला में एक अद्भुत रोष प्रदर्शन व मार्च का आयोजन किया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रभारी रणधीर सिंह बेनीवाल और विपुल कुमार शामिल थे। बेनीवाल ने कहा कि बसपा पंजाब में 2022 की मजबूत लड़ाई लड़ेगी। कार्यकर्ताओं के एक बड़े जमावड़े को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष सरदार जसवीर सिंह गढ़ी ने कहा कि कांग्रेस और शिअद-भाजपा ने पंजाब को मजबूत करने, आपसी रिश्तेदारियां को बनाने व पंजाबियों को लूटने के लिए सत्ता हासिल करते है। कांग्रेस ने 1984 में पंजाब में तोपखाने और सेनाएं भेजी व पंजाबियों का कत्लेआम किया, लेकिन कांग्रेस के महाराजा अमरेन्द्र सिंह ने लोकसभा से ड्रामा कर इस्तीफा दिया और शिरोमणि अकाली दल का गठन किया।
1992 का चुनाव कैप्टन ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष के रूप में लड़ा था, जो बाद में कांग्रेस में शामिल हुए और मुख्यमंत्री बने। अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल 1957 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने, लेकिन अकाली दल से पांच बार मुख्यमंत्री बने। शिअद-भाजपा और कांग्रेस नाटककार हैं जबकि नीले और सफेद पगड़ी का एक ही रिश्ता है, ये सब मिलकर दलित पिछड़े वर्गों को कुचलने का काम करते हैं। जंजुआ फैसले को अकाली सरकार ने दलित कर्मचारियों की पदोन्नति को रोकने के लिए 24 घंटे में लागू किया था, जबकि 2003 में कांग्रेस सरकार ने 2007 तक 85 संविधानिक संशोधन को लागू नहीं किया और अब जातिवादी मानसिकता के तहत 2022 तक इसे लागू नहीं करेगी। अकाली भाजपा सरकार ने दलित कर्मचारियों का विरोधी पत्र 10.10.2014 को जारी किया था जिसको अब कांग्रेस सरकार ने वैध मान लिया है। 2006 में बसपा संस्थापक साहिब कांसी राम जी की मृत्यु पर, कांग्रेस ने किसी भी दिन शोक या छुट्टी की घोषणा नहीं की।
गढ़ी ने कहा कि अब साधु सिंह धर्मसोत, जो वजीफा सकिम के घोटाले में शामिल है, को कांग्रेसी सरकार बचाने का काम कर रही है। कांग्रेस सरकार में दो लाख से अधिक दलित छात्रों को शैक्षणिक संस्थानों को छोड़ने और मजदूरी लिए मजबूर किया गया है। अपने भाषण में, गढ़ी ने 2022 के लिए कांग्रेस को बार-बार चुनौती दी और कहा कि बसपा ने पंजाब में आंदोलन की एक श्रृंखला शुरू की है, जिसके तहत 14 सितंबर फगवाड़ा, 18 सितंबर होशियारपुर, 24 सितंबर अमृतसर, 28 सितंबर बठिंडा और आज 29 सितंबर में पटियाला में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया हैं। आगे 3 अक्टूबर को संगरूर और 9 अक्टूबर को पयाल लुधियाना में बड़े पैमाने पर दलित पिछड़े वर्गो के लिए विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और बसपा ने सड़क की लड़ाई को तेज करने के लिए 2 अक्टूबर को राज्य स्तरीय बैठक बुलाई है।
गढ़ी ने कहा कि दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों को कानून के अनुसार सरकार बनाकर पहली प्राथमिकता के आधार पर दिया जाएगा। इस मौके पर्देश उप अधक्ष हरजीत सिंह लोंगिया, बलदेव मेहरा, जोगा सिंह पनौंडिया, नछत्तर पाल, भगवान सिंह चौहान, चमकौर सिंह वीर, अजीत सिंह भैणी, राजा राजिंदर सिंह, केसर सिंह बखसीवाला, जसप्रीत सिंह बीजा, राम सिंह गोगी, जगजीत सिंह छडबड, हरभजन सिंह बजहेडी, राम सरूप बहादुरगढ़, राज कुमारी कल्याण, मगहर सिंह तूर, सुख लाल, रणधीर सिंह चीमा, कुलविंदर सिंह समाना, चंद सिंह भट्टी, छज्जू सिंह, सुरजीत सिंह गोरियन, रोशन लाल, लाल चंद, जगतार सिंह रोरवाल, रवि कुमार, मास्टर प्रेम सिंह, दर्शन सिंह नदियाली आदि बसपा कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित थे।