ब्रेन डैड मरीज अब बचा सकेंगे Patients की जान, बनाई जा रही ये योजाना

Edited By Kalash,Updated: 09 Dec, 2024 03:05 PM

brain dead patients can save the lives of patients

ब्रेन डैड मरीज भी अब गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों की कीमती जान बचाने में मददगार साबित होंगे।

अमृतसर : ब्रेन डैड मरीज भी अब गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों की कीमती जान बचाने में मददगार साबित होंगे। नेशनल आर्गन ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन द्वारा ब्रेन डैड मरीजों के शरीर से महत्वपूर्ण अंग निकालकर जरूरतमंद मरीजों को मांग के अनुसार देने के लिए विशेष योजना बनाई जा रही है।

सरकारी मेडिकल कालेज के अधीन चलने वाले गुरु नानक देव अस्पताल में उक्त योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए रूप रेखा तैयार की जा रही है। अगर यह योजना अमल में आ जाती है तो भविष्य में कई कीमती जिंदगियां बचाई जा सकेंगी। अंगों की कमी असल में एक विश्व व्यापी समस्या है, लेकिन एशिया बाकी संसार से काफी पीछे है। भारत एशिया के दूसरे देशों से भी काफी पीछे है। ऐसा नहीं है कि ट्रांसप्लांट करने के लिए वांछित अंग नहीं हैं। लगभग हर व्यक्ति जो प्रकृति तौर पर या दुर्घटना में मरता है, एक संभावित दानी है। फिर भी अनगिनत मरीजों को कोई दानी नहीं मिलता है।

नेशनल आर्गन ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन द्वारा मरीजों की जान बचाने के लिए विशेष योजना बनाई जा रही है। गुरु नानक देव अस्पताल के एम.एस. डॉ. कर्मजीत सिंह ने कहा कि अगर यह योजना लागू होती है तो इससे कई मरीजों को लाभ मिलेगा। एम.एस. ने कहा कि शरीर का अंग एक ऐसी चीज है, जिससे शरीर अपना काम करता है और मरीजों के शरीर के अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, पिछले दिनों एक विशेष टीम अस्पताल आई थी, जिसके सदस्यों ने इस योजना के संबंध में अवगत करवाया गया था।

उन्होंने कहा था कि जरूरत पड़ने पर पी.जी.आई. से विशेष टीम बनाकर अंग ट्रांसप्लांट के लिए काम किया जाएगा। इसके अलावा भारत सरकार द्वारा भी विशेष डॉक्टर अस्पताल में भेजने की योजना है। उन्होंने कहा कि अंग ट्रांसप्लांट के लिए भारत सरकार द्वारा बनाए गए कानून के तहत काम किया जाएगा और इसमें मृतक मरीज के रिश्तेदार की मंजूरी और कानूनी दस्तावेज प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही काम किया जाएगा। फिलहाल लिवर, हृदय, मांसपेशियों, फेफड़े, गुर्दे, आंखें, हड्डियां आदि को इसमें शामिल किया गया है। डॉ. कर्मजीत सिंह ने कहा कि गुरु नानक देव अस्पताल पहले से ही मरीजों को अच्छी सेवाएं दे रहा है और अगर उसी योजना को लागू किया जाए तो गंभीर रूप से बीमार मरीजों की कीमती जान बेहतर तरीके से बचाई जा सकती है।

गौरतलब है कि भारत में अंगों की कमी है, जिन मरीजों को ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है और भारत में मुहैया अंगों में बहुत बड़ा अंतर है। अनुमान लगभग 1.8 लाख लोग हर वर्ष गुर्दे की असफलता से पीड़ित होते हैं, हालांकि गुर्दे के ट्रांसप्लांट की संख्या केवल 6000 के करीब है।
भारत में हर साल अनुमानित 2 लाख मरीज लीवर की विफलता या लीवर कैंसर से मर जाते हैं, जिनमें से लगभग 10-15 प्रतिशत को समय पर लीवर ट्रांसप्लांट से बचाया जा सकता है।

ऐसे में भारत में वार्षिक 25-30 हजार लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है पर करीब 1500 होते हैं। इसी तरह हर साल लगभग 50,000 व्यक्ति हृदय विफलता से पीड़ित होते हैं, लेकिन भारत में हर साल केवल 10 से 15 हृदय ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। कॉर्निया के मामले में हर साल 1 लाख की आवश्यकता के मुकाबले लगभग 25,000 ट्रांसप्लांट किए जाते हैं।

कानूनी कार्रवाई के बाद हो सकता है अंग प्रत्यारोपण

भारत सरकार द्वारा अंग प्रत्यारोपण करने के संबंध में विशेष कानून बनाया है और नियमों के तहत ही इसकी प्रत्यारोपण संभव है। भारत सरकार द्वारा पंजाब में पहले पी.जी.आई. में अंग प्रत्यारोपण किए जा रहे हैं और गुरु नानक देव अस्पताल में प्रत्यारोपण का काम शुरू करने की योजना बनाई जा रही है, लागू होती है तो भविष्य में इससे कई लोगों को फायदा होगा। कानून के मुताबिक हर दस्तावेज और हर पहलू को देखने के बाद अंग प्रत्यारोपण हो सकता है।

कीमती जानें बचाने के लिए बेहतरीन कार्य कर रही आर्गेनाइजेशन

गुरु नानक देव अस्पताल के मैडीकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. कर्मजीत सिंह ने कहा कि गंभीर से गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों की कीमती जानें बचाने के लिए नैशनल आर्गेन ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन बेहतरीन कार्य कर रही है। आर्गेनाइजेशन जरूरतमंद मरीजों को जहां अंग प्रदान कर रही है, वहीं भारत सरकार के सहयोग से विशेष नीतियां बना रही है। आर्गेनाइजेशन अब तक कई अनमोल जिंदगियां बचा जा चुकी है। इसका नेतृत्व करने वाले डॉक्टर और विशेषज्ञ विभिन्न राज्यों के सरकारी अस्पतालों को साथ लेकर काम करने की प्रक्रियाओं को अंजाम दे रहे हैं।

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