Edited By Sunita sarangal,Updated: 27 May, 2023 11:14 AM

इससे पहले मार्च महीने में यह यात्रा निकाले जाने की योजना थी, लेकिन पंजाब में वारिस पंजाब दे संगठन की गतिविधियों के....
जालंधर(अनिल पाहवा): पंजाब में ड्रग्स के मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अब तक 3 बार अभियान चलाने की योजना बनाई गई, लेकिन पार्टी की यह योजना ठंडे बस्ते में डाल दी जाती रही है। अब एक बार फिर से इस मामले को लेकर भाजपा पंजाब में तैयारी कर रही थी लेकिन अब खबर आई है कि ड्रग्स के खिलाफ भाजपा की यह चौथी यात्रा भी रद्द हो गई है।
नवम्बर 22 तथा मार्च 23 में इसलिए रद्द हुई यात्रा
इससे पहले मार्च महीने में यह यात्रा निकाले जाने की योजना थी, लेकिन पंजाब में वारिस पंजाब दे संगठन की गतिविधियों के कारण उस समय यात्रा को रद्द कर दिया गया। यात्रा का आगाज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से किया जाना था, लेकिन उनकी सुरक्षा को देखते हुए इस यात्रा को स्थगित करना पड़ा। इससे पहले नवम्बर 2022 में ड्रग्स के खिलाफ अमृतसर से यात्रा शुरू किए जाने की योजना बनाई गई थी। उस समय खुद अमित शाह ने अमृतसर से यात्रा का आगाज करना था। लेकिन हिमाचल तथा गुजरात के चुनावों को देखते हुए इस यात्रा को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद जनवरी महीने में इस ड्रग्ज विरोधी यात्रा के लिए अभियान चलाने की योजना बनी, लेकिन वो भी स्थगित हो गई।
इस बार केंद्र का अभियान बना कारण
पार्टी सूत्रों से मिली खबर के अनुसार ड्रग्स के खिलाफ इस बार यात्रा स्थगित करने के पीछे एक बड़ा कारण है कि पार्टी केंद्र की मोदी सरकार की 9 साल की उपलब्धियों को लेकर पूरे देश में अभियान चलाने जा रही है जिसके कारण इस यात्रा को फिलहाल पैंडिंग कर दिया गया है। इस बीच यह भी जानकारी सामने आ रही है कि पंजाब में भाजपा की स्थिति को लेकर भी केंद्रीय नेतृत्व खासा नाराज है।
पंजाब में भाजपा की स्थिति पर केंद्र निराश
हाल ही में जालंधर में हुए लोकसभा उपचुनाव में पार्टी की जमानत जब्त होना एक बड़ा झटका था। केंद्र की तरफ से पंजाब में सफलता के लिए हरसंभव सहायता मुहैया करवाई गई थी, यहां तक कि केंद्रीय नेताओं व मंत्रियों से लेकर हर तरह का फंड मुहैया करवाया गया था। लेकिन पंजाब में जालंधर का लोकसभा उपचुनाव होटलों के ए.सी. कमरों तक ही सीमित रह गया।
अकाली दल के साथ गठबंधन के मिल रहे संकेत
पार्टी में अब एक नए सिरे से एक नई चर्चा शुरू हो गई है, जिसमें शिरोमणि अकाली दल के साथ दोबारा गठबंधन को लेकर चर्चाएं छिड़ गई हैं। अकाली दल सुप्रीमो स्व. प्रकाश सिंह बादल के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी का उनके अंतिम दर्शन के लिए आना बेशक एक सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाह बताया गया था, लेकिन अब संसद के उदघाटन के मामले में अकाली दल का केंद्र को सपोर्ट करना कई तरह के संकेत जाहिर कर रहा है।
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