मिट जाएगा ‘निशान-ए-थर्मल’, खाक होगा झीलों के शहर की विरासत

Edited By Vatika,Updated: 18 Jul, 2020 05:10 PM

bathinda thermal plant

पंजाब की धरती को प्रकाश से रोशन करने वाला गुरू नानक देव थर्मल प्लांट अब अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है व इसके भाग्य के दिन का फैसला 20

बठिंडा (विजय/अमीता): पंजाब की धरती को प्रकाश से रोशन करने वाला गुरू नानक देव थर्मल प्लांट अब अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है व इसके भाग्य के दिन का फैसला 20 अगस्त को हो जाएगा। ऐसे में थर्मल का नामो निशान मिट जाएगा व शहर की रौनक बढ़ाने वाली झीलें भी खाक में मिल जाएगी जिसके लिए पंजाब सरकार ने पूरी तैयारी कर ली। 
मिली जानाकीर के अनुासर 17 अगस्त तक सरकार की ओर से गुपचुप तरीके से ई-टैंडरिंग द्वारा बिड जारी की है जिसमें इच्छुक पार्टियों को निमंत्रण दिया गया।

पंजाब स्टेट पॉवर कार्पोरेशन द्वारा टेंडर में फ्लौर कीमत 132 करोड़ रुपए रखी है व इसके बाद निलामी शुरू होगी। प्री-बिड ई.एम.डी. 2 करोड़ रुपए आंकी गई है जिस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। बिड अनुसार 110-120 मैगावाट बिजली उत्पादन करने वाले चारो यूनिटों को राख-ए-खाक में मिलाया जाएगा।  इसमें मशीनरी, सिविल वर्क, ब्वायलर के साथ बिजली उत्पादन के सभी उपकरण शामिल किए गए है जिसे ई-टैंडरिंग द्वारा बेचा जा रहा है। इस थर्मल प्लांट को 43 साल पहले लगाया गया था जिस पर 300 करोड़ रुपए खर्च आए थे। करीब 1,764 एकड़ भूमि पर थर्मल प्लांट, झीलें व थर्मल कालोनी बनी हुई है धीरे-धीरे इन सभी का सौदा किया जा रहा है। इसी के साथ ही सिविल लाईन की 47 एकड़ भूमि को भी बेचने की तैयारी की जा रही है व सिविल लाईन क्षेत्र की सभी सरकारी व गैर सरकारी बिल्डिंगों को खाली करवाया जा रहा है। सिविल लाईन क्षेत्र में रहने वाले सरकारी पदों पर तैनात अधिकारियों, कर्मचारियों को थर्मल कालोनी में शिफ्ट किया जा रहा है। जैसे ही सिविल लाईन क्षेत्र खाली होगा उसको सिटी सैंटर के नाम से बेच दिया जाएगा जबकि थर्मल को तोड़कर भूमि पर इंडस्ट्रीयल पार्क बनाया जाना है। 

फैसले की विरोधियों ने की अलोचना, सर्मथकों ने शहर का विकास बताया
सरकार के इस फैसले की विरोधी पार्टियों ने अलोचना की जबकि सर्मथकों ने इसे शहर के लिए विकास बताया। उनकी नजर में थर्मल प्लांट सफेद हाथी बन चुका है। कोयला वेस इस थर्मल प्लांट से बिजली उत्पादन पर बेहद खर्च करना पड़ता है जबकि बाहर से बिजली सस्ती मिल रही है जिस कारण इसे बंद किया गया। गौर है कि 2016 में तत्कालीन अकाली भाजपा सरकार ने गुरू नानक देव थर्मल प्लांट के नवीकरन पर 716 करोड़ रुपए खर्च किए थे ओर उसके 6 महीने बाद ही इसे बंद कर दिया गया था। थर्मल प्लांट को लेकर राजनीति भी गहराई, चुनाव से पहले 2017 में  कांग्रेस पार्टी ने थर्मल प्लांट को पुन: चलाने का वायदा किया था लेकिन सत्ता में आते ही सरकार वायदा भूल कर इसे बेचने पर आतुर हुई। 

किसान मांग रहे हैं अपनी जमीन वापस
सरकार ने थर्मल बेचने की प्रकिया पुरी कर ली है लेकिन कुछ किसानों ने सरकार से थर्मल प्लांट में गई अपनी जमीन वापस मांगनी शुरू कर दी है जिसके लिए उन्होंने न्यायलय का भी सहारा लिया। थर्मल में आई जमीन के मालिकों को कहना है कि उनकी जमीन तत्कालीन सरकार ने थर्मल प्लांट के लिए अधिग्रहत की थी जिसके लिए उन्होंने मामूली पैसे दिए गए थे लेकिन अब थर्मल प्लांट खत्म किया जा रहा है तो उनकी जमीन वापिस दी जाए। बहरहाल यह मामला अभी तक न्यालयल में लंबित पड़ा हुआ है जैसे ही बिड खुलकर सामने आएगी तो लोग भी अपनी जमीन पाने के लिए प्रयास तेज करेंगे।


थर्मल प्लांट बठिंडा को खत्म करना पंजाब को खत्म करने के बराबर : हरसिमरत कौर बादल
गुरू नानक देव थर्मल प्लांट को लेकर पंजाब सरकार को अलोचको का सामना करना पड़ रहा है बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि थर्मल प्लांट को खत्म करना पंजाब को खत्म करने के बराबर है। उन्होंने कहा कि गुरू नानक देव जी के 550वें प्रकाश दिवस पर कांग्रेस सरकार थर्मल प्लांट को तोडऩे की साजिशें कर रही है जिससे दुनिया भर के सिखों की भावनाए आहत हो रही है। उन्होंने इसके लिए मुख्य मंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल पर प्रहार करते हुए कहा कि इन्होंने पहले थर्मल प्लांट को चलाने की बात की थी अब वह उजाड़े की बात कर रहे है।  उन्होंने कहा कि झूठी सौगंध खाकर सरकार चलाने वाले मुख्य मंत्री पंजाब को बर्बाद करना चाहते है नई उद्योग तो वह ला नहीं सके बलकि थर्मल जैसे बड़े संस्थानों को तोड़कर वह अपने चहेतों की जेबे भरने की कोशिश कर रहे है। 

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