21 करोड़ का ‘अमरूत प्रोजैक्ट’ घोटाला, विजिलेंस से करवाई जाए जांच तो फंस सकते हैं ये अधिकारी

Edited By Urmila,Updated: 02 Jan, 2023 10:46 AM

amrut project scam of 21 crores officers may get trapped if investigation

केंद्र सरकार समय-समय पर राज्य सरकारों के लिए जहां आर्थिक पैकेज घोषित करती रहती है, वहीं केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं से राज्य सरकार को काफी फायदा भी मिलता है।

जालंधर: केंद्र सरकार समय-समय पर राज्य सरकारों के लिए जहां आर्थिक पैकेज घोषित करती रहती है, वहीं केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं से राज्य सरकार को काफी फायदा भी मिलता है। करीब 5 साल पहले चलाए गए स्मार्ट सिटी मिशन से जहां पंजाब जैसे राज्य को करोड़ों रुपए की आर्थिक मदद केंद्र सरकार से मिली, वहीं केंद्र की ही अमरूत योजना के तहत अब तक पंजाब को करोड़ों रुपए प्राप्त हो चुके हैं।

जालंधर की बात करें तो यहां निगम को कांग्रेस सरकार के दौरान अमरूत योजना के तहत केंद्र से भारी धनराशि मिली परंतु अमरूत योजना का ज्यादातर पैसा खुर्द-खुर्द ही हो गया और पूरी तरह इस्तेमाल भी नहीं हो पाया। पीने वाले पानी को सप्लाई करने वाली पुरानी पाइपों को बदलने और नई पाइपें बिछाने के नाम पर अमरूत योजना के तहत जालंधर निगम के लिए कुछ साल पहले करीब 84 करोड़ की ग्रांट पास हुई जिसके तहत एक एस.टी.पी. को भी अपग्रेड किया जाना था।

पंजाब सरकार के निर्देशों पर जालंधर निगम ने 84 करोड़ के काम के टैंडर भी लगाए परंतु कोई भी ठेकेदार कंपनी इतनी बड़ी धनराशि के काम करने को राजी नहीं हुई। ऐसे में जालंधर नगर निगम ने पानी की पाइपों को बदलने और नई पाइपें डालने के काम के लिए 21 करोड़ के 3 टैंडर लगाए जो 7-7 करोड़ रुपए के थे परंतु उन टैंडरों में भी भारी घोटाला हो गया जिसकी अब यदि विजिलेंस से जांच करवाई जाए तो उस काम के ठेकेदारों के अलावा कई अफसर और राजनेता तक फंस सकते हैं।


अफसरों ने मौके पर जाकर नहीं की कोई जांच , ठेकेदारों ने मनमर्जी की

कांग्रेस सरकार के पिछले 5 सालों दौरान जालंधर निगम का सिस्टम इतना बिगड़ा रहा कि ठेकेदारों से पूरी मिलीभगत होने के चलते अफसरों ने कभी किसी मौके पर जाकर न तो कोई जांच की, न सैंपल भरे, न किसी ठेकेदार को नोटिस जारी किए। उन्हें ब्लैकलिस्ट करना तो बहुत दूर की बात रही। इस सारे नैक्सस में कांग्रेसी नेताओं की भी एंट्री हुई जिस कारण अफसरों और ठेकेदारों ने खूब लूट मचाई। अमरूत योजना के तहत पानी की पुरानी पाइपों को बदलने और नई पाइपों को डालने के लिए 7-7 करोड़ रुपए के जो टैंडर लगाए गए उनके तहत मनमर्जी से काम हुए। 

फाइलों का पेट भरने के लिए उसमें इंस्पैक्शन रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज लगा तो दिए गए परंतु कई स्पॉट अभी ऐसे हैं जहां घोषणा के बावजूद काम ही नहीं करवाए गए। अगर इन कामों के मामले में जिम्मेदार अधिकारियों की पूरी जांच हो तो कई अफसर सस्पैंड तक हो सकते हैं। पता चला है कि सालों साल बीत जाने के बावजूद अभी भी 7 करोड़ रुपए के एक टैंडर का काम बाकी है। आरोप लग रहे हैं कि तीनों टैंडर लेने वाले ठेकेदारों ने न तो समय सीमा का ध्यान रखा और न ही क्वालिटी का।

लाभ सिंह नगर में ही 200 फुट पाइप को नहीं बदला, साल से गंदा पानी पी रहे लोग

केंद्र सरकार ने शहरी विकास के लिए करोड़ों रुपए की ग्रांट दी और राज्य सरकार या नगर निगम के अधिकारी उसका सही ढंग से इस्तेमाल ही न कर पाए तो इससे बड़ी नालायकी और नहीं हो सकती। कांग्रेस सरकार के राज दौरान जब वैस्ट विधानसभा क्षेत्र की पुरानी हो चुकी पाइपों को बदलने तथा नई पाइप लाइन बिछाने के लिए 7 करोड़ रुपए का टैंडर लगा तो उसके तहत शहीद बाबू लाभ सिंह नगर की एक नंबर गली की करीब 200 फुट पाइप को बदलने की भी बात हुई। तब नेताओं ने वह काम करवाने के लिए अफसरों की ड्यूटी तक लगाई परंतु आज तक वह 200 फुट पाइप तक नहीं बदली गई। इससे पता चलता है कि 7 करोड़ रुपए के टैंडर में कितना हेरफेर हुआ होगा। पाइप न बदलने के चलते लोग पिछले साल डेढ़ साल से गंदा पानी पीने को विवश हैं। इस कारण निगम प्रति लोगों का रोष बढ़ रहा है।

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