Edited By Urmila,Updated: 05 Dec, 2021 12:46 PM

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन को लेकर भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और शिरोमणि अकाली दल के पूर्व नेता सुखदेव सिंह ढींडसा के साथ बातचीत हो रही है।
चंडीगढ़: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन को लेकर भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और शिरोमणि अकाली दल के पूर्व नेता सुखदेव सिंह ढींडसा के साथ बातचीत हो रही है। संभावना है कि हम उनके दलों से गठबंधन करें। हम सकारात्मक भाव से दोनों दलों से बातचीत कर रहे हैं।
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याद रहे कि मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने के बाद सिंह कांग्रेस से अलग हो गए थे और उन्होंने पिछले दिनों पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी का गठन किया था, जबकि ढींडसा ने शिरोमणि अकाली दल से अलग होने के बाद शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) नाम से एक पार्टी बना ली थी। शाह ने कहा कि किसान आंदोलन का पंजाब और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में किसी प्रकार का कोई असर नहीं होगा।
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उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद अब कोई मामला नहीं रह जाता। उन्होंने दावा किया कि अगले चुनाव में भाजपा शानदार प्रदर्शन करेगी और उत्तर प्रदेश में फिर से सरकार बनाएगी। 2022 चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर बड़ा दिल दिखाया है। शाह ने कहा कि गठबंधनों को मतों के अंकगणित के साथ जोडऩा चुनावों के आकलन का सही तरीका नहीं है।
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उन्होंने कहा कि राजनीति फिजिक्स नहीं कैमिस्ट्री है। मेरे मुताबिक जब दो दल हाथ मिलाते हैं तो यह जरूरी नहीं है कि दोनों के वोट भी जुड़ेंगे। जब दो कैमिकल मिलते हैं तो तीसरे कैमिकल का भी निर्माण होता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमने पूर्व में भी देखा है कि जब सपा और कांग्रेस ने हाथ मिलाया और बाद में तीनों (सपा, बसपा और कांग्रेस) एक साथ आ गए...लेकिन जीत भाजपा की हुई। लोग जागरूक हैं। वोट बैंक के आधार पर बनने वाला गठबंधन अब लोगों का मार्गदर्शन नहीं कर सकता।
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विपक्ष से सवाल-दशकों से अनुच्छेद 370 के रहते क्या जम्मू-कश्मीर में शांति थी?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को विपक्ष से सवाल पूछा कि दशकों से अनुच्छेद 370 लागू था, लेकिन क्या तब जम्मू-कश्मीर में शांति थी? उन्होंने कहा कि 2019 में संविधान के इस अनुच्छेद के प्रावधान निरस्त होने के बाद घाटी में शांति, व्यवसाय के लिए अच्छा निवेश और पर्यटकों की आमद हुई है।
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शाह ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि जब तक अनुच्छेद 370 को बहाल नहीं किया जाता तब तक सरकार केंद्र शासित क्षेत्र में शांति कायम नहीं कर सकती। शाह ने कहा कि दशकों से अनुच्छेद 370 था। शांति क्यों नहीं थी? अगर शांति और अनुच्छेद 370 के बीच संबंध है तो अनुच्छेद 370 1990 में था तब शांति क्यों नहीं थी? अगर हम निशाना बनाकर की गई हत्याओं के आंकड़े भी शामिल करें तो यह 10 प्रतिशत के करीब भी नहीं हैं। इसका मतलब है कि वहां शांति है।
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सर्जिकल व हवाई हमले के बाद सरकार ने रक्षा नीति को विदेश नीति के साय से बाहर निकाला
सरकार ने पहली बार उरी और पुलवामा हमलों के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमलों के जरिए रक्षा नीति को विदेश नीति के साय से बाहर निकाला और ‘राष्ट्र प्रथम’ के इस कदम से भारत अमरीका और इसराईल जैसे देशों की सूची में शामिल हो गया। गृह मंत्री ने कहा कि अतीत में आतंकवादी आते थे और हमारे सैनिकों को मार कर वापस चले जाते थे और घुसपैठ की इन घटनाओं पर कोई जवाब नहीं दिया जाता था।
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