आबो-हवा को शुद्ध करने की कवायद,कृषि विभाग ने तय किया लक्ष्य

Edited By swetha,Updated: 22 Jul, 2019 08:38 AM

agricultural department

पंजाब कृषि विभाग द्वारा कुछ माह दौरान 42 हजार किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन उपकरण मुहैया करवाए जाएंगे। विभाग इस बार धान की कटाई के बाद नाड़ जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए व सर्दियों में आबो-हवा में सुधार के लिए कार्य कर रहा है।

चंडीगढ़(अश्वनी): पंजाब कृषि विभाग द्वारा कुछ माह दौरान 42 हजार किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन उपकरण मुहैया करवाए जाएंगे। विभाग इस बार धान की कटाई के बाद नाड़ जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए व सर्दियों में आबो-हवा में सुधार के लिए कार्य कर रहा है। अक्तूबर-नवम्बर में धान की कटाई दौरान आमतौर पर किसान खेत में बचे अवशेष जला देते हैं। इससे सर्दियों में वायु प्रदूषण स्तर में इजाफा हो जाता है। इससे निपटने के केंद्र सरकार ने एक स्कीम का आगाज किया था जिसके जरिए 42 हजार किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरणों की खरीद पर सबसिडी मुहैया करवाने के साथ ही नाड़ जलाने की घटनाएं रोकने के लिए लक्ष्य तय किया है। 

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2018-19 में  28 हजार किसानों को उपलब्ध करवाए गए थे उपकरण
इसी के तहत पंजाब सरकार ने 2018-19 में करीब 28 हजार किसानों को सबसिडी के जरिए उपकरण मुहैया करवाए हैं। विभाग के अधिकारियों की मानें तो उपकरणों के कारण ही गत वर्ष आगजनी की घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई थी। उम्मीद है कि इस बार भी सबसिडी देने से उपकरणों का प्रयोग बढ़ेगा और नाड़ जलाने की घटनाओं में बड़ी गिरावट आएगी। 

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केंद्र सरकार की 1151.80 करोड़ की स्कीम
वायु प्रदूषण रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 1151.80 करोड़ के साथ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्कीम का आगाज किया था। 2018-19 दौरान किसानों को सबसिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी का वितरण, फसल अपशिष्ट प्रबंधन मशीनरी के कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना और किसानों को जागरूक बनाने के लिए सूचना, शिक्षा व संचार कार्यकलापों को करने के लिए धनराशि आबंटित की थी जिसमें पंजाब सरकार को 269.38 करोड़ जारी किए थे। वहीं हरियाणा को 137.84 करोड़ और उत्तर प्रदेश को 148.60 करोड़ दिए थे। अब 2019-20 में पंजाब को 248 करोड़ आबंटित किए हैं। यह धनराशि हरियाणा और उत्तर प्रदेश की तुलना में काफी ज्यादा है। 

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पंजाब में 150 लाख टन फसल अवशेष की चुनौती
कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो पंजाब में हर वर्ष करीब 65 लाख एकड़ क्षेत्र में धान की पैदावार होती है जिससे करीब 200 लाख टन अवशेष खेतों में बचे रह जाते हैं। करीब 50 लाख टन फसल अवशेष का ही प्रबंधन होता है जबकि बाकी 150 लाख टन अवशेष हर वर्ष बड़ी चुनौती बनकर उभरते हैं। किसान आग लगा देते हैं, जिससे आबो-हवा प्रदूषित होती है। एक टन धान की नाड़ जलाने से न केवल 400 किलो आर्गैनिक मैटर बर्बाद हो जाते हैं बल्कि धुएं से आबो-हवा में महीन प्रदूषित कणों में इजाफा हो जाता है। नई केंद्रीय स्कीम से खेत में फसल अवशेष प्रबंधन को काफी बल मिला है। उम्मीद है कि आने वाले समय में इस समस्या से निजात मिलेगी।

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