Edited By Vatika,Updated: 20 Feb, 2025 04:07 PM
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मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान सरकार की तरफ से फर्जी ट्रैवल एजैंटों के खिलाफ सख्त
अमृतसर(नीरज): मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान सरकार की तरफ से फर्जी ट्रैवल एजैंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश मिलने के बाद जिला प्रशासन लगातार फर्जी ट्रैवल एजैंटों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। जिला प्रशासन ने 52 और ट्रैवल एजैंसियों व आइलैंटस कोचिंग सैंटरों को नोटिस दिया है। वहीं अमरीका से डिपोर्ट होकर आए लोगों की शिकायत पर जिला अमृतसर व तरनतारन की पुलिस ने 2 और ट्रैवल एजैंटों पर मामले दर्ज किए हैं।
जानकारी के अनुसार मेहता के निवासी हरप्रीत सिंह, जो हाल ही में अमेरिका से डिपोर्ट होकर भारत आया है, के बयान पर मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि भारतीयों के अमरीका से डिपोर्ट होने के बाद अमृतसर पुलिस ने ट्रैवल एजैंटों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। ट्रैवल एजैंट अजनाला का निवासी बताया जा रहा है, जिसके खिलाफ ग्रामीण पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया है। हरप्रीत सिंह ने अमेरिका जाने के लिए ट्रैवल एजैंट को 40 लाख रुपए दिए थे। ट्रैवल एजैंट को गिरफ्तार करने के लिए अमृतसर ग्रामीण पुलिस द्वारा लगातार छापेमारी की जा रही है। वहीं जिला तरनतारन के गांव भील ढावेले निवासी गुरसेवक सिंह के बयानों पर पुलिस ने दिल्ली निवासी एजैंट के खिलाफ मामला दर्ज किया है जिसमें गुरसेवक सिंह से अमरीका भेजने के लिए 45 लाख रुपए ठगे थे।
जानकारी के अनुसार डी.सी. साक्षी साहनी के निर्देशानुसार ए.डी.सी. (ज) दफ्तर की तरफ से एक बार फिर से 52 ट्रैवल एजैंसियों व आइलैटस कोचिंग सैंटरों को नोटिस जारी किया गया है। इन सैंटरों को सिर्फ एक ही नोटिस जारी किया जाता है और यदि 15 दिन के भीतर संबंधित सैंटर, जिसको नोटिस जारी किया जाता है। अपने लाइसैंस की रिनुअल नहीं करवाता है तो उसका सैंटर का लाइसैंस रद्द कर दिया जाता है। इससे पहले ट्रैवल एजैंसी चलाने वाले कारोबारियों व आइलैटस कोचिंग सैंटरों को प्रशासन की तरफ से तीन नोटिस दिए जाते थे यह नोटिस 15-15 दिन की अवधि में जारी किए जाते थे, लेकिन ए.डी.सी. ज्योति बाला की तरफ से अपना पदभार संभालने के बाद इस मामले को काफी गंभीरता से लिया गया फिलहाल ए.डी.सी. दफ्तर की तरफ से अभी तक 35 सैंटरों के लाइसैंस रद्द किए जा चुके हैं।
क्या है द पंजाब ट्रैवल प्रोफैशनल रैगुलेशन एक्ट 2012
फर्जी ट्रैवल एजैंटों के जाल में फंसकर सीरिया में मारे जाने दर्जनों पंजाबियों का मामला व अन्य मामले सामने आने के बाद सरकार की तरफ से द पंजाब ट्रैवल प्रोफैशनल रैगुलेशन एक्ट 2012 बनाया गया, जिसके तहत किसी भी ट्रैवल एजैंसी चलाने वाले, टिकटिंग का काम करने वाले आइलैटस कोचिंग सैंटर चलाने वाले कारोबारी को ए.डी.सी. दफ्तर में आवेदन देना पड़ता है, जिसमें एक काम के लिए 25 हजार रुपया फीस भरनी पड़ती है। कुल चार कैटेगरी होती हैं, यदि किसी कारोबारी ने चारों कैटेगरी, जिसमें ट्रैवल एजैंसी, टिकटिंग, कोचिंग सैंटर आदि का काम करना है तो उसके लिए एक लाख रुपया फीस निर्धारित की गई है। आवेदनकर्त्ता को अपने रिहाइशी प्रूफ, आधार कार्ड, तीन वर्ष की इनकम टैक्स रिटर्न, यदि किराएदार हैं तो रजिस्टर्ड रैंट डील आदि आवेदन के साथ लगानी पड़ती है। इसके साथ साथ पुलिस जांच रिपोर्ट व एस.डी.एम. दफ्तर की रिपोर्ट साथ में लगानी पड़ती है, तब जाकर प्रशासन की तरफ से लाइसैंस जारी किया जाता है।
पांच लाख तक जुर्माना व 6 वर्ष तक सजा का प्रावधान
बिना लाइसैंस काम करते यदि कोई ट्रैवल एजैंट या कोचिंग सैंटर पकड़ा जाता है तो उसके लिए सख्त सजा का प्रावधान रखा गया है। द पंजाब ट्रैवल प्रोफैशनल रैगुलेशन एक्ट 2012 के तहत सरकार की तरफ से आरोपी व्यक्ति के खिलाफ पांच लाख रुपये जुर्माना व 6 वर्ष तक की सजा का प्रावधान रखा गया है। हालांकि पुलिस की तरफ से जब भी किसी फर्जी ट्रैवल एजैंट के खिलाफ पर्चा दर्ज किया जाता है तो धोखाधड़ी की धारा शामिल की जाती है फिर भी इतनी सख्त कानून होने के बावजूद आए दिन फर्जी ट्रैवल एजैंट किसी न किसी युवा को अपनी ठगी का शिकार बना लेते हैं।
कोचिंग सैंटरों में चैकिंग करने की जरुरत
अब जहां अमेरिका से डिपोर्ट होकर पंजाब आने वाले युवाओं का मामला हर तरफ चर्चा में चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ एक सच्चाई यह भी है कि प्रशासन की तरफ से पिछले लंबे समय से ट्रैवल एजैंसियों व आइलैंट्स कोचिंग सैंटरों में चैकिंग नहीं की गई है। नियमानुसार सभी लाइसैंस होल्डर सैंटरों को अपने दफ्तर के बाहर व अन्दर बोर्ड पर और मीडिया में देने वाले विज्ञापनों पर अपना लाइसैंस नंबर प्रकाशित करना अनिवार्य होता है, लेकिन कई लाइसैंसी इस काम में अनियमतिताएं करते हैं।
अपने देश में ही रोजगार मिले तो विदेश जानी की क्या जरुरत
वॉयस ऑफ अमृतसर के प्रधान विजय अग्रवाल ने कहा कि जिस प्रकार से भारतीय युवाओं को जंजीरों में बांधकर भेजा जा रहा है वह एक मार्मिक दृश्य रहता है, लेकिन यदि केन्द्र व राज्य सरकार अपने ही देश में युवाओं को रोजगारर के अवसर प्रदान करे तो विदेश जाने की क्या जरुरत है।