'आप' ने स्वीकार की सेहत मंत्री ओ.पी. सोनी की चुनौती

Edited By Urmila,Updated: 13 Dec, 2021 01:25 PM

aap  accepted health minister o p sony s challenge

आम आदमी पार्टी (आप) के प्रवक्ता और विधायक अमन अरोड़ा और यूथ विंग पंजाब के प्रधान और विधायक गुरमीत सिंह मीत हेयर ने सांझे बयान के द्वारा पंजाब के उपमुख्यमंत्री और सेहत मंत्री ओ.पी. सोनी को चुनौती की स्वीकार करते कहा...

चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी (आप) के प्रवक्ता और विधायक अमन अरोड़ा और यूथ विंग पंजाब के प्रधान और विधायक गुरमीत सिंह मीत हेयर ने सांझे बयान के द्वारा पंजाब के उपमुख्यमंत्री और सेहत मंत्री ओ.पी. सोनी को चुनौती की स्वीकार करते कहा कि विचार-विमर्श (डिबेट) के लिए मंत्री साहिब अपनी पसंद की जगह, तारीख और चैनल चुन कर बता दें। जिक्रयोग्य है कि कांग्रेसी मंत्री ओ.पी. सोनी ने अपने साथी मंत्री परगट सिंह के रास्ते पर चल रहे हैं और उन्होंने आम आदमी पार्टी को पंजाब और दिल्ली की सेहत प्रणाली पर बहस के लिए चुनौती दी है, जिससे पता लग सके कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने कार्यकाल में सेहत सेवाओं में क्या सुधार किए हैं। 

अमन अरोड़ा ने सेहत मंत्री ओ.पी. सोनी पर आंकड़ों को गुमराह बताया है। उन्होंने कहा कि मालूम होता कि पंजाब के सेहत मंत्री ओ.पी. सोनी ने ‘इंटरव्यू’ दौरान पंजाब और दिल्ली की सेहत प्रणाली और इलाज व्यवस्था की तुलना की है और दावा किया है कि पंजाब हर मामले में दिल्ली से आगे है। मंत्री के इस दावे से पता लगता है कि वह सेहत व्यवस्था के मामले में दिल्ली सरकार को चुनौती देते हैं। मंत्री की तरफ से पेश किए आंकड़ों के बारे अमन अरोड़ा ने कहा कि पंजाब और दिल्ली की सेहत सेवाओं की तुलना करने की जल्दी में सेहत मंत्री ओ.पी. सोनी यह भूल गए कि पंजाब की सेहत व्यवस्था राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित मापदंडों और डबल्यू.एच.ओ. के म्यारों पर खरी नहीं उतरती।

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पंजाब के गांवों के राष्ट्रीय सेहत नियमों अनुसार 700 से अधिक प्राथमिक सेहत केंद्र होने चाहिएं परन्तु इनकी संख्या सिर्फ 416 है। इसी तरह गांवों के क्षेत्र में आबादी हिसाब से लगभग 200 सी.एच.सी. की जरूरत है परन्तु पंजाब के पास सिर्फ 87 हैं। इन 87 सी. एस.सी. में से 80 सी. एच.सी. में कोई माहिर डाक्टर नहीं है। अरोड़ा ने कहा कि राज्य में कुछ प्राथमिक और समुदायक सेहत केन्द्रों की इमारतें को असुरक्षित बताया गया है। कई-कई केन्द्रों में इलाज के उपकरण भी उपलब्ध नहीं हैं। 2019 की केंद्रीय सेहत और कल्याणकारी वित्तीय रिपोर्ट में राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक पी.एच.सी. किसी भी प्रमाण को पूरा नहीं करता है और इसलिए उनको सही नहीं माना गया है। ओ.पी. सोनी बताएं कि पंजाब के लोगों को उनकी सरकार ने प्राथमिक सेहत केन्द्रों के लिए क्या दिया है? 

अरोड़ा ने कहा कि सोनी सिर्फ आंकड़ों के साथ लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सेहत मंत्री को इनकी सही स्थिति की वास्तविकता जानने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि सेहत मंत्री को सत्य नहीं पता, जिसके अधीन राज्यों के सरकारी अस्पताल, उप केंद्र, पी.एच.सी. और सी.एच.सी. चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि बादल-भाजपा और कांग्रेस के राज में पंजाब के सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक और सामाजिक सेहत केन्द्रों में सेहत और इलाज व्यवस्था पूरी तरह फेल हो चुकी है, क्योंकि किसी ने कभी भी सेहत सेवाओं की तरफ ध्यान नहीं दिया। बल्कि निजी क्षेत्र पंजाब में बढ़े-फूले हैं और अब निजी अस्पतालों इलाज महंगा हो गया है। आम लोग इलाज का खर्च भी नहीं उठा सकते और सिर्फ प्रभु की कृपा पर ही निर्भर हैं।

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विधायक अरोड़ा ने कहा राष्ट्रीय सेहत मिशन अधीन काम करते सेहत अधिकारी, डाक्टर, नर्स, क्लर्क और अन्य कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लगातार धरने दे रहे हैं परन्तु राज सरकार आंखें बंद करके बैठी है। कांग्रेस सरकार ने जनतक सेहत प्रणाली को उत्साहित करने और मेहनत करने वाले लोगों को अच्छी तनख्वाह नहीं दी। अरोड़ा ने आगे कहा कि यदि ओ.पी. सोनी पंजाब के लोगों को अच्छी सेहत सेवाएं देना चाहते हैं तो उनको अलग-अलग सेहत मुलाजिमों के साथ समझौता करना चाहिए जो कि मौजूदा समय में किसी न किसी कारण से हड़ताल पर है, जबकि पंजाब में डाक्टरों, माहिर डाक्टरों, नर्सें और फार्मासिस्टों की अधिक से ज्यादा आसामियां खाली पड़ीं हैं। 

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