Edited By Kalash,Updated: 01 Apr, 2023 02:29 PM

एक तरफ जहां पावरकॉम द्वारा बिजली की बचत कर लोगों को आर्थिक मुनाफा कमाने की सलाह दी जा रही है
मोगा : एक तरफ जहां पावरकॉम द्वारा बिजली की बचत कर लोगों को आर्थिक मुनाफा कमाने की सलाह दी जा रही है, वहीं नगर निगम द्वारा स्ट्रीट लाइटों का नया दिया गया ठेका सरकारी खजाने को चूना लगा रहा है। इस मामले को लेकर अब नगर निगम के पार्षद भी एकसुर नहीं हैं।
जानकारी के अनुसार नगर निगम के जनरल हाऊस की बैठक दौरान इस ठेके के कारण पार्षद आमने-समने होने उपरांत अब इस मामले को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। नगर निगम के पार्षद गुरप्रीत सिंह सचदेवा जो पहले दिन से ही इस ठेके को रद्द करवाने के लिए जोर अजमाइश करते हुए यह दावा कर रहे हैं कि यह ठेका रद्द हो, अब यह मामला शिरोमणि अकाली दल के पार्षद जगजीत सिंह जीता ने भी उठाया है। पार्षद जीता ने आज इस मामले पर तीव्र प्रतिक्रिया जाहिर करते गुए हैरानी प्रकट की कि जब यह ठेका दिया गया था तब यह मामला चर्चा का विषय बना था, इस उपरांत 42 पार्षदों ने भी इसका विरोध किया था।
उन्होंने कहा कि बिजली की बचत के लिए 34 करोड़ का प्रोजैक्ट बहुगिनती पार्षदों के विरोध के बावजूद पास किया गया लेकिन अब सरकारी आंकड़े इस बात की गवाही भरते हैं कि 70 लाख से अधिक का और बोझ बिजली बिल का नगर निगम पर पड़ रहा है। जीता ने कहा कि 18 वाट की ट्यूबों का प्रकाश नहीं है लेकिन फिर भी तब उम्मीद थी कि बिजली की बचत होगी क्योंकि कंपनी ने दावा किया था लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि नगर निगम को लाखों का वित्तीय बोझ पड़ रहा है लेकिन प्रकाश नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर जल्द ही पार्षदों की बैठक बुलाई जाएगी।
इस मामले को बड़े स्तर पर उठाने वाले गुरप्रीत सिंह सचदेवा ने विवरण सहित इस प्रोजैक्ट की अंदरूनी खामियों को उजागर करते हुए कई तरह के पर्दे उठाए हैं। उन्होंने कहा कि 10 वषों के लिए दिए गए इस ठेके के तहत यह तय हुआ था कि 10 वर्ष बिल कम आएगा। सरकारी तौर पर सूचना के आधार पर एक्ट के तहत मिली जानकारी बताती है कि 76 लाख वार्षिक बिल अधिक आ रहा है। उन्होंने कहा कि कंपनी जब चाहे काम शुरू करती है और जब चाहे बंद कर देती है। शाम होते ही शहर अंधेरे में डूब जाता है। इतना कुछ होने के बावजूद कुछ पार्षद ठेकेदारी की पुश्तपनाही करते हैं। पार्षद ने कहा कि कंपनी द्वारा पहले लगा सामान भी उतारा गया है। नगर निगम को लोग अपने खून-पसीने की कमाई से टैक्स देते हैं जिस कारण शहर वासियों का पैसा बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा।
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