सीनियर सहायक संजीव कालिया ने दलजीत सिंह आहलूवालिया को भेजा लीगल नोटिस

Edited By Sunita sarangal,Updated: 26 Feb, 2020 10:50 AM

senior assistant sanjeev kalia sent legal notice to daljit singh ahluwalia

इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के चेयरमैन आहलूवालिया पर भ्रष्टाचार के मामले में दोहरे पैमाने का मामला गर्माया

जालंधर(चोपड़ा): इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया का भ्रष्टाचार के मामले में दोहरा पैमाना अपनाने का मामला उस समय गर्मा गया जब ट्रस्ट के सीनियर सहायक संजीव कालिया ने अपने वकील के मार्फत चेयरमैन आहलूवालिया को लीगल नोटिस भेजा। कालिया का नोटिस में कहना है कि ट्रस्ट चेयरमैन ने उनके खिलाफ पंजाब सरकार को एक डी.ओ. लैटर लिखा था जिसमें उन पर भ्रष्टचार में लिप्त होने सहित कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह सारे आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं।

सीनियर सहायक कालिया ने नोटिस भेजने के मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि चेयरमैन आहलूवालिया ने सरकार को भेजे डी.ओ. लैटर में लिखा है कि उनके जालंधर इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट में भ्रष्टाचार में शामिल होने के कारण ट्रस्ट को वित्तीय नुकसान पहुंचा है। चेयरमैन ने लैटर में जिक्र किया है कि उन्होंने पहले भी सीनियर सहायक का तबादला कहीं अन्य ट्रस्ट में करने का लिखा था परंतु वह बार-बार किसी न किसी तरीके से अपना तबादला जालंधर ट्रस्ट में करवा लेता है ताकि उसके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का खुलासा न हो सके या दबाया जा सके। वह पिछले 23 सालों से पंजाब के विभिन्न इम्प्रूवमैंट ट्रस्टों में कार्य करते आए हैं। उन्होंने कई आई.ए.एस. अधिकारियों के नीचे भी काम किया है परंतु आज तक उनके खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर कोई शिकायत नहीं हुई है। 

चेयरमैन आहलूवालिया ने निजी हितों के चलते उनके खिलाफ सरकार को डी.ओ. लैटर लिखा है। कालिया ने कहा कि इस सारे प्रकरण से जहां उनकी स्वच्छ छवि को नुकसान पहुंचा है वहीं उनके 86 वर्षीय पिता को इसका पता चलने पर उन्हें गहरा सदमा लगा है। कालिया ने चेयरमैन आहलूवालिया से पूछा है कि वह बताएं कि ट्रस्ट में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की कितनी शिकायतें आई हैं और कितनी शिकायतों पर उन्होंने कार्रवाई की और कितनी शिकायतों को ट्रस्ट ने कार्रवाई के लिए निकाय विभाग को रैफर किया है।

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वह आज तक सरकार द्वारा किसी भी मामले में चार्जशीट नहीं हुए हैं और न ही उन्होंने कभी कोई गलत काम किया है। उन्होंने नोटिस के माध्यम से चेयरमैन आहलूवालिया व अन्यों से 7 दिनों के भीतर उन पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों को सिद्ध करने को कहा है अगर आरोप सिद्ध नहीं हुए तो वह सार्वजनिक तौर पर अपने किए की माफी मांगें अन्यथा वह चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया व अन्यों के विरुद्ध माननीय अदालत में मानहानि का केस दायर करेंगे।

नोटिस नहीं मिला, मिलने पर ही दूंगा प्रतिक्रिया : चेयरमैन आहलूवालिया
इस संदर्भ में जब इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि सीनियर सहायक संजीव कालिया की तरफ से भेजा कोई नोटिस उन्हें नहीं मिला है, इस कारण वह इस मामले में कुछ नहीं कह सकते। जब नोटिस मिल जाएगा तो वह उसे पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया देंगे।

कालिया पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की आंच ने ई.ओ. जतिन्द्र सिंह को भी लपेटा
इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट में पिछले कई महीनों से तबादलों को लेकर महासंग्राम-सा चल रहा है। कभी ई.ओ. सुरिन्द्र कुमारी तो कभी सीनियर सहायक संजीव कालिया चेयरमैन आहलूवालिया के निशाने पर रहे हैं। हालांकि चेयरमैन आहलूवालिया दोनों अधिकारियों का तबादला कराने में सफल रहे हैं परंतु ई.ओ. सुरिन्द्र कुमारी के बाद सीनियर सहायक के पुन: हुए तबादले के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों की आंच ने जालंधर इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के मौजूदा ई.ओ. जतिन्द्र सिंह को भी लपेटे में ले लिया है। \

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चेयरमैन आहलूवालिया ने निकाय विभाग को भेजे अपने पहले डी.ओ. लैटर के चलते 19 दिसम्बर 2019 को कालिया का तबादला जालंधर इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट से इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट करतारपुर में कर दिया था परंतु 13 फरवरी 2020 को सरकार ने कालिया का तबादला वापस जालंधर ट्रस्ट में बतौर सीनियर सहायक कर दिया जिसके बाद कालिया ने ट्रस्ट कार्यालय जाकर अपनी ड्यूटी भी ज्वाइन कर ली परंतु कालिया का तबादला रद्द होने और उनकी वापसी जालंधर ट्रस्ट में होने पर चेयरमैन आहलूवालिया ने 17 फरवरी 2020 को एक नया डी.ओ. लैटर निकाय विभाग को भेजा और सिफारिश की कि भ्रष्टाचार मामलों के कारण सीनियर असिस्टैंट का तबादला कहीं अन्य किया जाए ताकि भ्रष्टाचार के मामलों को दबाया न जा सके। इसके बाद निकाय विभाग ने कालिया की बदली एक बार फिर से करतारपुर ट्रस्ट में कर दी।

एक सीनियर सहायक के बार-बार तबादला करवाने को लेकर लिखे गए डी.ओ. लैटर ने चेयरमैन आहलूवालिया की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है कि अगर एक नीचले स्तर का अधिकारी ट्रस्ट में काम करते हुए अपने द्वारा फैलाए भ्रष्टाचार के मामलों को दबा सकता है तो क्या एक ऐसा ई.ओ. जिसके खिलाफ पहले ही जालंधर ट्रस्ट की कई स्कीमों/एल.डी.पी. प्लाटों की अलॉटमैंट के मामले में व्याप्त भ्रष्टाचार की निकाय विभाग द्वारा उच्चस्तरीय जांच चल रही है, क्या वह उनके जालंधर ट्रस्ट में रहते प्रभावित नहीं होगी जबकि निकाय विभाग द्वारा जतिन्द्र सिंह के तबादले के आदेशों में उनके खिलाफ बरनाला ट्रस्ट से संबंधित केस जिसमें जतिन्द्र सिंह सस्पैंड चल रहे थे, को केवल उनके प्रार्थना पत्र को आधार बनाकर उन्हें जांच पूरी होने तक बहाल कर दिया गया जबकि पठानकोट ट्रस्ट के मामले जिसमें ई.ओ. जतिन्द्र सिंह करीब 3 महीने जेल काट कर आए हैं और अभी जमानत पर बाहर हैं, उस मामले में निकाय विभाग ने केवल इस शर्त पर बहाल करते हुए जालंधर ट्रस्ट का ई.ओ. लगा दिया है कि वह विजीलैंस विभाग की तरफ से चल रहे कोर्ट केस में होने वाले फैसले को मानने के पाबंध होंगे।

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