जिले के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी, हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में

Edited By Sunita sarangal,Updated: 09 Sep, 2019 11:16 AM

shortage of teachers in government schools

पढ़ाई के मामले में सरकारी स्कूल पहले ही प्राइवेट स्कूलों से काफी पिछड़े हुए हैं। आठवीं व दसवीं के प्राइवेट स्कूलों के परिणामों व सरकारी स्कूलों के परिणाम में काफी अंतर होता है।

बरनाला(विवेक सिंधवानी, गोयल): पढ़ाई के मामले में सरकारी स्कूल पहले ही प्राइवेट स्कूलों से काफी पिछड़े हुए हैं। आठवीं व दसवीं के प्राइवेट स्कूलों के परिणामों व सरकारी स्कूलों के परिणाम में काफी अंतर होता है। सरकारों द्वारा सरकारी स्कूलों में बढिय़ा सुविधाएं देने की बात की जाती है, परंतु है इसके बिल्कुल विपरीत। बच्चों को पढ़ाने के लिए टीचरों की भारी कमी सरकारी स्कूलों में है, यदि स्कूल में टीचर ही नहीं होंगे तो बच्चों का अच्छा भविष्य कैसे बनेगा। यहां तक कि पंजाबी के अध्यापकों की 20 व लैक्चारों की 28 पोस्टें खाली पड़ी हैं। जिले में कुल 115 सैकेंडरी, हाई व मिडल स्कूल हैं। अध्यापकों की कमी कारण लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है जिसके लिए सरकार जिम्मेदार है।  

जरूरतमंद बच्चे पढ़ते हैं सरकारी स्कूलों में, स्कूल का स्तर ऊंचा उठाने के लिए फौरी कदम उठाए सरकार   
कैमिस्ट एसो. के जिला महासचिव विपन भदौड़ ने कहा कि सरकारी स्कूलों में अधिकतर जरूरतमंद परिवारों के बच्चे ही पढ़ते हैं, क्योंकि अमीर घरानों के बच्चे तो प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते हैं। समय की जरूरत है कि सरकारी स्कूलों का स्तर ऊंचा उठाया जाए, यह स्तर तभी ऊंचा होगा यदि अध्यापकों की सारी पोस्टें भरी हों ताकि यह अध्यापक बच्चों को सही ढंग से पढ़ा सकें। इसके बाद सरकारी स्कूलों में बढिय़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करवाने की जरूरत है। कम्प्यूटर शिक्षा, अंग्रेजी शिक्षा, गणित शिक्षा सहित सारे विषयों के लिए तजुर्बेकार अध्यापकों की नियुक्ति की जाए ताकि सरकारी स्कूलों का स्तर ऊंचा हो सके।   

हजारों अध्यापक फिर रहे हैं बेरोजगार, सरकार क्यों नहीं भर रही खाली पोस्टें
भाजपा नेता प्रवीण बांसल संघेड़ा ने कहा कि पंजाब में हजारों ही अध्यापक बेरोजगार होकर घूम रहे हैं। बेरोजगार अध्यापकों द्वारा नौकरी लेने के लिए धरने प्रदर्शन किए जा रहे हैं। दूसरी तरफ पंजाब की कांग्रेस सरकार ने लोगों से वायदा किया था कि हर घर में नौकरी दी जाएगी, अब बेरोजगार अध्यापकों को नौकरी क्यों नहीं दी जा रही। अध्यापकों के बिना बच्चे कैसे पढ़ेंगे, यदि सरकारी स्कूलों का स्तर ऊंचा उठाना है तो खाली पड़ी पोस्टों पर अध्यापकों की नियुक्ति फौरी तौर पर की जानी चाहिए। 

मातृभाषा पंजाबी की पोस्टें ही पड़ी हैं खाली, बच्चे कैसे जुड़ेंगे पंजाबी से 
नगर कौंसिल के अध्यक्ष संजीव शोरी ने कहा कि पंजाब में मातृभाषा पंजाबी की पोस्टें ही खाली पड़ी हैं जबकि पंजाब सरकार पंजाबी भाषा को बढ़ावा देने की बात कह रही है। यदि पंजाबी पढ़ाने वाले अध्यापक ही नहीं होंगे तो बच्चे कैसे पंजाबी भाषा से जुड़ेंगे। पंजाब में पंजाबी अध्यापकों की पोस्टें खाली होना शर्म की बात है। सरकार फौरी तौर पर पंजाबी अध्यापकों की भर्ती करे ताकि बच्चे अपनी मातृभाषा पंजाबी को सही ढंग से सीख सकें।

कौन-कौन से विषयों की कितनी पोस्टें हैं खाली
जिला बरनाला के सरकारी स्कूलों में फिजीकल एजुकेशन की 32 पोस्टें खाली पड़ी हैं। गणित की 35 पोस्टें, हिन्दी की 28, पंजाबी की 20 पोस्टें अध्यापकों की खाली पड़ी हैं। इसी तरह ही सैकेंडरी स्कूलों में पंजाबी के 28 लैक्चरारों की पोस्टें खाली पड़ी हैं। पॉलीटिकल साइंस की 25 पोस्टें, अंग्रेजी की 5 पोस्टें, कैमिस्ट्री की एक पोस्ट, हिस्ट्री की 7 पोस्टें, गणित लैक्चरार की 4 पोस्टें खाली पड़ी हैं। अध्यापकों की खाली पोस्टों कारण आम लोगों में भारी गुस्सा पाया जा रहा है। लोगों द्वारा सरकार के विरुद्ध जमकर भड़ास भी निकाली जा रही है। 

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!