5 वर्ष जेल में रहने के बाद मिला इंसाफ, अदालत ने किया बरी

Edited By swetha,Updated: 07 Dec, 2019 03:16 PM

justice received after 5 years in jail the court acquitted

300 ग्राम नशीला पाऊडर तथा 1,18,500 रुपए की भारतीय करंसी बरामद करने के मामले की सुनवाई के दौरान प्रोसिक्यूशन पर बचाव पक्ष इस कदर भारी रहा

अमृतसर(महेन्द्र): 300 ग्राम नशीला पाऊडर तथा 1,18,500 रुपए की भारतीय करंसी बरामद करने के मामले की सुनवाई के दौरान प्रोसिक्यूशन पर बचाव पक्ष इस कदर भारी रहा कि उसने मामले की जांच करने वाले पुलिस अफसर की कई खामियों को अदालत में बेनकाब कर दिया, जिसमें पुलिस द्वारा आरोपी के असली मोटरसाइकिल की जगह कोई और ही मोटरसाइकिल को पेश करना तथा इसका खुलासा होने पर गलती स्वीकार करना भी शामिल है। इसके बाद अतिरिक्त जिला एवं सैशन जज पुष्विन्द्र सिंह की अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया। गौर हो कि आरोपी करीब पांच वर्ष जेल में बंद रहा था।

थाना जंडियाला में 31-5-2014 को एन.डी.पी.एस. एक्ट की धारा 22-61-85 के तहत दर्ज केस नंबर 147/2014 के अनुसार पुलिस चौकी नवां पिंड के तत्कालीन प्रभारी ए.एस.आई. अमनदीप सिंह ने टी प्वाइंट गांव वडाला जोहल के पास ज्योतिसर कालोनी, जंडियाला गुरु निवासी मुख्तार सिंह ऊर्फ बाऊ पुत्र बलवंत सिंह को काबू किया था जब वह पुलिस को देख मोटरसाइकिल से भागने का प्रयास कर रहा था। उससे 300 ग्राम नशीला पाऊडर तथा 1,18,500 रुपए की भारतीय करंसी बरामद हुई थी। इस मामले में बचाव पक्ष के वकील के अनुसार पुलिस आरोपी मुख्तार सिंह को 29-5-2014 को ही उसके घर से जबरन उठा ले गई थी। जब गांव की पंचायत पुलिस चौकी गई तो कहा गया कि किसी मामले में पूछताछ को लाया गया है, लेकिन 2 दिन बाद उस पर झूठा मामला दर्ज कर दिया गया। यही नहीं पुलिस आरोपी की करीब 5 एकड़ जमीन के ठेके की मिली रकम भी अलमारी से ले गई थी। 

पुलिस ने कोर्ट में पेश किया था अन्य मोटरसाइकिल
पुलिस ने आरोपी के मोटरसाइकिल के हैंडल पर लटके मोमी लिफाफे से नशीला पाऊडर बरामद करने का दावा किया था पर अदालत में पुलिस अफसर ने दूसरे मोटरसाइकिल के इंजन व चेसीस नंबर बदलवा पेश करवा दिया, जबकि परिवार ने बताया कि असली हीरो होंडा मोटरसाइकिल नंबर पीबी02 सी.जी.3977 उनके पास ही था। फिर पुलिस के झूठ को साबित करने को उन्होंने अदालत में असली मोटरसाइकिल पेश कर दिया तो पुलिस अफसर ने अदालत में अपनी गलती मान ली थी। वह एडहाक ए.एस.आई. था, उसे एन.डी.पी.एस. एक्ट के  मामलों की जांच करने का अधिकार ही नहीं था। इस दौरान मुख्तार सिंह ने कहा कि पुलिस की गलती से 5 वर्ष जेल में गुजारने पड़े। बरी होने पर उसने परिवार समेत अदालत का आभार जताया।

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