बड़ा सवाल: 20 सालों में भाजपा पंजाब में क्यों नहीं दिखा पाई 'हाई जोश'

Edited By Kalash,Updated: 13 Jan, 2022 05:00 PM

why bjp couldn t show high josh in punjab in 20 years

पंजाब में विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है तथा हर राजनीतिक दल राज्य की सत्ता के लिए मैदान में उतर चुका है। इस सबके बीच पंजाब में भाजपा को

जालंधर (अनिल पाहवा): पंजाब में विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है तथा हर राजनीतिक दल राज्य की सत्ता के लिए मैदान में उतर चुका है। इस सबके बीच पंजाब में भाजपा को दोहरी मेहनत करनी पड़ रही है। भाजपा में सबसे बड़ी समस्या इस समय जो चल रही है और वह है लीडरशिप की कमी। पार्टी के पास कद्दावर नेता नहीं हैं जो पार्टी के लिए ताकत झोंक सकें। पार्टी पंजाब में कई सालों से सक्रिय है। पार्टी पंजाब में कभी 2 सीटें लेकर भी खुश हुई हैं तो पार्टी के पास 19 सीटें भी कभी रहीं। लेकिन इसके बाद भी पार्टी अपनी लीडरशिप तैयार नहीं कर पाई, जिसका खमियाजा पार्टी अब भुगत रही है।

यह भी पढ़ेंः डेरा ब्यास के श्रद्धालुओं के लिए अहम खबर, कोरोना के चलते लिया यह फैसला

सत्तासुख में रही मशगूल
भाजपा केंद्र में सत्ता में है तथा पार्टी लगातार खुद को आगे बढ़ा रही है। पार्टी ने केंद्र में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐसी जुगत भिड़ाई कि कई राज्यों में सत्ता हासिल की। जहां भाजपा का झंडा भी कभी किसी ने नहीं देखा था उन राज्यों में भी भाजपा ने सीटें हासिल की। लेकिन दूसरी तरफ पंजाब है जहां के नेताओं की सोच व समझ अपने महबूब नेता प्रधानमंत्री मोदी से भी अलग है। यहां पर पार्टी सत्ता में तो रही लेकिन खुद को मजबूत नहीं कर सकी। 19 विधायकों के साथ पार्टी ने अकाली दल के साथ मिल कर सत्ता सुख भोगा लेकिन संगठन को वैल्यू नहीं दी।

पार्टी में नए लोग या यूं कहें कि दूसरी लाइन ही तैयार नहीं होने दी गई, जिसका नुक्सान पार्टी को आज पंजाब में हो रहा है। पार्टी के पास पंजाब में 117 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कैंडीडेट नहीं मिल रहे हैं। पार्टी के लोग अब तक केवल अकाली दल पर ही निर्भर रहे जिसके कारण अपने लोगों को आगे ही नहीं आने दिया गया।

यह भी पढ़ेंः कैप्टन की पत्नी परनीत कौर को हराने वाले इस नेता ने लिया राजनीति से सन्यास

घूम-फिर कर सब वहीं के वहीं
पंजाब में भाजपा के अंदर इतनी बड़ी खींचतान है कि उसका चाह कर भी पार्टी के नेता हल नहीं निकाल पा रहे हैं। पार्टी में दूसरी कत्तार के नेता नहीं हैं जो वर्कर को दिशा दे सकें। यही कारण है कि जो भाजपा का वर्कर 20 साल पहले अपनी बारी का इंतजार कर रहा था, वह आज भी इंतजार ही कर रहा है।

पार्टी ने 2010 में अश्वनी शर्मा को पार्टी की पंजाब की कमान सौंपी जिसके बाद 2012 के विधानसभा चुनावों में पार्टी 12 सीटें जीती। उसके बाद शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। अब कुछ साल बाद फिर अश्वनी शर्मा ही प्रधान हैं। जबकि पार्टी को और चेहरे नहीं मिल रहे हैं। इसी तरह सुभाष शर्मा पार्टी में स्व. कमल शर्मा के साथ महासचिव रहे और अब फिर से अश्वनी शर्मा के साथ महासचिव हैं। जो पहले महासचिव थे, उन्हें अब और कोई पद दे दिया।

यह भी पढ़ेंः जनता तय करेगी ‘आप’ का CM चेहरा, केजरीवाल ने जारी किया मोबाइल नंबर

मीडिया में ही 'जोश हाई'
भाजपा के आम वर्कर से कभी पूछा जाए कि 'हाओ इज जोश' तो एक ही जवाब आता है कि 'हाई'। लेकिन पार्टी के पंजाब की लीडरशिप का पूरा जोश केवल मीडिया में ही हाई है। मीडिया से रू-ब-रू होकर, कुछ चुनिंदा खबरनवीसों से बैठकें कर खबरें लगवा ली जाती हैं लेकिन स्तर पर पार्टी के नेताओं और वर्करों के बीच संवाद न के बराबर है। यही ख़बरें केंद्र के कुछ नेताओं को भेज कर बताने की कोशिश की जाती है कि पंजाब भाजपा का 'हाल अच्छा है'।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

पंजाब की खबरें Instagram पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here

अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here

Related Story

IPL
Lucknow Super Giants

Royal Challengers Bengaluru

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!