पंजाब के टूरिस्ट स्पॉट जहां आप कर सकते हैं सैर-सपाटा और धार्मिक स्थलों के दर्शन

Edited By Suraj Thakur,Updated: 31 Oct, 2018 04:52 PM

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कल पंजाब का स्थापना दिवस है। इस मौके पर punjabkesari.in आप को बताने जा रहा है कुछ खास पर्यटन स्थलों के बारे में, जो अपने आप में अनूठा इतिहास समेटे हुए हैं। इन पर्यटन स्थलों पर आप घूमने-फिरने के अलावा धार्मिक स्थलों पर भी नतमस्तक हो सकते हैं।

PunjabKesariजालंधर: 1 नवंबर को पंजाब का स्थापना दिवस है। इस मौके पर punjabkesari.in आप को बताने जा रहा है कुछ खास पर्यटन स्थलों के बारे में जो अपने आप में अनूठा इतिहास समेटे हुए हैं।  इन पर्यटन स्थलों पर आप घूमने-फिरने के अलावा धार्मिक स्थलों पर भी नतमस्तक हो सकते हैं।  

स्वर्ण मंदिर...
सबसे पहले आपको बताने जा रहे हैं स्वर्ण मंदिर (golden temple) के बारे में जो संगमरमर और सोने से निर्मित है। स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब भी कहा जाता है। यहां पर हर दिन लंगर लगता है। इस लंगर में रोजाना 1 लाख से ज्यादा लोग भोजन ग्रहण करते हैं। मंदिर के कलशों एवं दीवारों पर सोना चढ़ा हुआ है। मंदिर के परिसर में सेंट्रल सिख म्यूजियम है, जहां अनेक कलाकृतियां और पेंटिंग्स हैं। हरमंदिर साहिब अमृतसर में स्थित है। यह नई दिल्ली के उत्तर-पश्चिम में लगभग 470 किमी की दूरी पर स्थित है।PunjabKesari

अकालतख्त...
अकालतख्त सिख समुदाय का ऐसा सिंहासन है ,जहां से समुदाय के लिए नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं और कौम को संदेश दिए जाते हैं। इसे सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने न्याय संबंधी और सांसारिक मामलों पर विचार करने के लिए स्थापित किया था। अकालतख्त अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में ही है। इस तख्त पर बैठने वाले जत्थेदार को सिख कौम का सर्वोच्च प्रवक्ता माना जाता है।  PunjabKesari

जलियांवाला बाग...
जलियांवाला बाग हत्‍याकांड ब्रिटिश भारत के इतिहास में एक काले धब्बे की तरह है। 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी के पर्व पर जनरल डायर ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में मौजूद निहत्‍थी भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दी थीं। इस दर्दनाक घटना में 1000 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि 1,500 के करीब लोग घायल हुए थे। इसी हत्‍याकांड के बाद ब्रिटिश हुकूमत का काउंटडाउन शुरू हुआ था। यहां पर शहीद हुए लोगों की याद में एक बाग का निर्माण किया गया है।PunjabKesari
 
दुर्गियाना मंदिर...
यह मंदिर चारों ओर से सरोवर से घिरा है। इसकी वास्तुकला स्वर्ण मंदिर की तरह ही है। मंदिर को लक्ष्मी नारायण मंदिर और शीतला मां के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर सभी धर्म के लोगों की आस्था का केंद्र है। जो भी स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने आता है, इस मंदिर में भी जरूर नतमस्तक होता है। इसके अलावा यहां बाबा अटल राय ,खालसा कॉलेज गुरुद्वारा, शाहिदा भवन आदि देखने लायक हैं।   PunjabKesari

 वाघा बॉर्डर....
 वाघा अमृतसर और लाहौर के बीच ग्रैंड ट्रंक रोड पर एक गांव हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच थल मार्ग से सीमा पार करने का यही एकमात्र निर्धारित स्थान है। यह स्थान अमृतसर से 32 किमी और लाहौर से 22 किमी दूरी पर स्थित है। बीटिंग रीट्रीट के मौके पर यहां लोगों का जमावड़ा देखने लायक होता है। इसमें बीएसएफ के साथ-साथ पाकिस्तान के जवान भी शामिल होते हैं। बीटिंग रीट्रीट के समय यहां देशभक्ति के नारे गूंजने लगते हैं। PunjabKesari

 
मोतीबाग पैलेस...
मोती बाग पैलेस पटियाला में है। इस महल का निर्माण महाराजा नरेन्दर सिंह और महाराजा भूपेन्‍दर सिंह के शासन काल में हुआ था। ओल्‍ड मोती बाग महल को अब राष्‍ट्रीय खेल संस्‍थान बना दिया गया है। महल के राजस्‍थानी शैली के झरोखे और छतरी पयर्टकों के आकर्षण का केंद्र हैं। साथ ही महल में एक एक सुंदर बगीचा, बरामदा, नहरें और शीशमहल बना हुआ है।PunjabKesari

रॉक गार्डन...
चंडीगढ़ में स्थित इस गार्डन की स्थापना 1957 में एक सरकारी अफसर नेकचंद ने की थी। इस गार्डन का निर्माण कबाड़ की वस्तुओं जैसे टूटी चूड़ियों, तारों, टूटे-फूटे बर्तनों से किया गया है। पहले यह इतना बड़ा नहीं था, लेकिन वर्तमान में लगभग 40 एकड़ में फैला हुआ है।

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जगतजीत पैलेस
कपूरथला का 'जगतजीत पैलेस' एक ऐतिहासिक इमारत है, जिसका निर्माण कपूरथला के राजा एचआरएच महाराजा जगतजीत सिंह ने करवाया था। इस महल का नक्शा फ्रांसीसी वास्तुकार एम. मार्सेल ने तैयार किया था। इसका निर्माण अल्लाह डिट्टा द्वारा कराया गया। इसकी जटिल आकृति और सजावटी छत फ्रेंच वास्तुकला बढ़िया नमूना है।PunjabKesari

देवी तालाब मंदिर
देवी तालाब मंदिर जालंधर में है। इस मंदिर में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु देवी मां के दशर्नों के लिए आते हैं। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और कम से कम 200 साला पुराना माना जाता है। इसकी स्थापना एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश मोहन लाल चोपड़ा ने की थी।PunjabKesari

बठिंडा फोर्ट...

बठिंडा फोर्ट ईंट का बना सबसे पुराना और ऊंचा स्मारक है। इसका इतिहास अद्भुत है। राजा बीनपाल ने इस किले का निर्माण लगभग 1800 साल पहले करवाया था, जो भाटी राजपूत थे। इसी किले में पहली महिला शासक रजिया सुलतान को 1239 ईसवी में कैद कर रखा गया था।PunjabKesari रजिया सुलतान को उसके गर्वनर अल्तूनिया ने कैद किया था। गुरु गोविन्द सिंह इस किले में 1705 के जून माह में आए थे और इस जगह की सलामती और खुशहाली के लिए उन्होंने प्रार्थना की थी।

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