Punjab में सांसों पर संकट, आने वाली है बड़ी आफत! जारी हुए सख्त Order

Edited By Vatika,Updated: 02 Oct, 2024 08:32 AM

there is a problem of breathing in punjab

पराली जलाने वाले किसानों पर कड़ी कार्रवाई करने के सख्त निर्देश

बठिंडा (विजय): उत्तर भारत के कई हिस्सों पर एक बार फिर से पराली जलाने से उत्पन्न धुएं की आफत मंडराने वाली है। हर साल की तरह इस बार भी अक्तूबर और नवंबर के महीने में किसानों द्वारा पराली जलाने से हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, जिससे लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। विशेष रूप से 15 अक्तूबर से 25 नवंबर के बीच हालात ओर भी बदतर होने की संभावना है। इस विकट स्थिति से निपटने के लिए पंजाब सरकार ने सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं, जिसमें उनका लाइसेंस रद्द करने का भी प्रावधान शामिल है। यह निर्णय सरकार द्वारा प्रदूषण पर नियंत्रण लाने और लोगों की सेहत की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

बता दें कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई किसान पराली जलाते हैं जिससे दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में धुंध की मोटी चादर छा जाती है। इस धुंध में सांस लेना मुश्किल हो जाता है और इससे सांस संबंधी बीमारियों, अस्थमा और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। पिछले वर्षों में प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल भी स्थिति गंभीर हो सकती है। हालांकि सरकार की ओर से कई बार किसानों को जागरूक करने और पराली जलाने से रोकने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन अब तक इसका अपेक्षित असर नहीं दिखा है।

सरकार के सख्त कदम से पराली जलाने की घटनाओं में आएगी कमी
पंजाब सरकार के इस निर्णय से उम्मीद की जा रही है कि पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी और इसके परिणामस्वरूप हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। इसके साथ ही सरकार किसानों को पराली के उचित प्रबंधन के लिए वैकल्पिक साधन प्रदान करने पर भी जोर दे रही है, ताकि उन्हें पराली जलाने की आवश्यकता न पड़े। सरकार और पर्यावरण विशेषज्ञों ने जनता से भी अपील की है कि वे इस मौसम में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें, खासकर कमजोर वर्ग जैसे बुजुर्ग और बच्चों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।

पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण एक गंभीर चुनौती
कुछ 
वर्षों से दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का मुद्दा लगातार गंभीर होता जा रहा है। हर साल सर्दियों के आगमन से पहले यह समस्या बढ़ती है, जिससे प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है। इस मुद्दे पर राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर कई बार चर्चा और फैसले होते रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा है। इस वर्ष भी प्रदूषण का स्तर एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है।

बढ़ रही हैं पराली जलाने की घटनाएं
वायु 
गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को दिए गए आंकड़ों के अनुसार 15 से 25 सितंबर के बीच पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल की तुलना में 10 गुना वृद्धि हुई है। वहीं हरियाणा में भी इसी अवधि के दौरान पराली जलाने की घटनाएं 5 गुना बढ़ी हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि पराली जलाने की समस्या लगातार बढ़ रही है और इसके समाधान के लिए अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं।

पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए न्यायिक निगरानी की जरूरत
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए न्यायिक निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया था। अदालत ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि पराली जलाने की घटनाएं नियंत्रित की जाएं, ताकि दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक न हो, लेकिन हकीकत यह है कि अदालतों के निर्देशों के बावजूद पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है।

समाधान के लिए ठोस कदमों की आवश्यकता
यह सवाल लगातार उठता रहा है कि जब प्रदूषण का इतना गंभीर खतरा है और पराली जलाने को इसका एक प्रमुख कारण माना जाता है, तो इसके समाधान के लिए केवल चर्चा और योजनाओं तक ही सीमित क्यों रहा जाता है। आखिर क्यों इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते। हर साल इस मुद्दे पर बातें होती हैं लेकिन वास्तविकता में प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है।

 

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