राजीव गांधी और भिंडरावाले की ‘मुलाकात’ को लेकर कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने खोला राज

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 01 Oct, 2025 07:03 PM

the big secret about the  meeting  between rajiv and bhindranwale

1980 के दशक की शुरुआत में जब पंजाब आतंकवाद की आग में झुलस रहा था और राज्य राजनीतिक-सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा था, तब कांग्रेस सांसद कैप्टन अमरिंदर सिंह को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा एक बेहद अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

पंजाब डैस्क : 1980 के दशक की शुरुआत में जब पंजाब आतंकवाद की आग में झुलस रहा था और राज्य राजनीतिक-सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा था, तब कांग्रेस सांसद कैप्टन अमरिंदर सिंह को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा एक बेहद अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह जिम्मेदारी थी – जरनैल सिंह भिंडरावाले और राजीव गांधी के बीच मुलाकात की व्यवस्था करना। हालांकि यह मुलाकात कभी हो नहीं पाई, लेकिन उस दौर के हालात और आखिरी समय पर इसे रद्द किए जाने की कहानी खुद अमरिंदर सिंह ने साझा की। इस दिलचस्प किस्से का खुलासा वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका हरिंदर बावेजा की नई किताब “दे विल शूट यू, मैडम: माय लाइफ थ्रू कॉन्फ्लिक्ट” में किया गया है।

कैसे शुरू हुई मुलाकात की कोशिश?

दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (IIC) में आयोजित किताब के लोकार्पण समारोह में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बताया कि एक दिन राजीव गांधी ने उनसे पूछा था – “क्या आप भिंडरावाले से मुलाकात तय कर सकते हैं?”। इस पर अमरिंदर सिंह ने हामी भरी और इसके लिए प्रयास शुरू कर दिए। उन्होंने पंजाब पुलिस के एसएसपी सिमरनजीत सिंह मान से संपर्क किया, जो भिंडरावाले के बेहद करीब माने जाते थे। बातचीत के बाद भिंडरावाले मुलाकात के लिए तैयार हो गए और तय हुआ कि यह बैठक अंबाला एयरपोर्ट पर होगी। कैप्टन सिंह ने बताया कि मुलाकात के लिए सब कुछ तय हो चुका था, विमान उड़ान भरने ही वाला था कि अचानक इंदिरा गांधी का संदेश आया कि इस बैठक को तुरंत रद्द कर दिया जाए और राजीव गांधी वापस लौट आएं।

क्यों टली यह मुलाकात?

अमरिंदर सिंह ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने इंदिरा गांधी को आगाह किया था कि राजीव गांधी की हत्या की साजिश रची जा सकती है और उन्हें भिंडरावाले से मुलाकात के लिए भेजना बेहद खतरनाक होगा। इसी चेतावनी के बाद इंदिरा गांधी ने बैठक को रद्द करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि इस अचानक फैसले से भिंडरावाले नाराज हो गए थे, लेकिन उन्होंने उन्हें यह कहकर समझा लिया कि विमान में तकनीकी खराबी आ गई थी। हालांकि, तीन हफ्ते बाद राजीव गांधी ने फिर से मुलाकात कराने का आग्रह किया था, लेकिन बढ़ते सुरक्षा खतरे और हालात की गंभीरता को देखते हुए वह बैठक कभी हो ही नहीं पाई।
 
किताब में दर्ज किस्से

हरिंदर बावेजा की किताब “दे विल शूट यू, मैडम” न सिर्फ पंजाब के उस अशांत दौर की कहानियाँ बयां करती है, बल्कि इसमें पत्रकारिता के मोर्चे पर उनके अनुभव और संघर्ष भी शामिल हैं। कैप्टन अमरिंदर द्वारा साझा की गई यह घटना उस दौर की नाजुक राजनीति और सुरक्षा समीकरणों को उजागर करती है।

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