पंजाब में फिर से सिर उठाता आतंकवाद, पिछले 9 साल में गिरफ्तार किए जा चुके हैं 234 आतंकी

Edited By Suraj Thakur,Updated: 20 Sep, 2019 10:48 AM

terrorism raises head in punjab

आतंकवाद की आहट राज्य में दोबारा 2018 सुनाई देने लगी है।

जालंधर। (सूरज ठाकुर) एक बार आतंकवाद के दौर से गुजर चुका पंजाब क्या दूसरी बार फिर से इसकी चपेट में आ जाएगा? इस दंश को झेल चुके सूबे के लोगों के जेहन में यह सवाल आते ही उनके सामने साढ़े तीन दशक पुरानी दिलो-दिमाग को झिंझोड़ देने वाली यादें ताजा होने लगती हैं। वर्तमान की बात करें तो कैप्टन राज में नशे की गर्त में डूबे पंजाब में एक बार फिर से आतंकवाद बड़ी चुनौती के रूप में उभरने लगा है। दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ कनफ्लिक्ट मैनेजमेंट आईसीएम के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2010 से 28 अप्रैल 2019 तक पंजाब में 234 खालिस्तान समर्थकों को आतंक फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यहां आपको बताना यह भी लाजमी है कि कांग्रेस की कैप्टन सरकार के ही कार्यकाल में 14 अक्टूबर 2007 में आतंकियों ने लुधियाना के एक सिनेमाघर में बम रख दिया था, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 40 लोग घायल हो गए थे।  इसके करीब 11 साल बाद 8 नवंबर 2018 को पाकिस्तान की मदद से पंजाब के अमृतसर में अदलीवाल गांव स्थित निरंकारी भवन में खालिस्तानी आतंकियों ने हैंड ग्रेनेड फैंका। इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई थी और करीब 20 लोग घायल हो गए थे। यहां इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि आतंकवाद की आहट राज्य में दोबारा 2018 सुनाई देने लगी है और पुलिस भी कई आतंकी मॉड्यूल्स का पर्दाफाश करने में कामयाब रही है, लेकिन पुलिस की बेबसी यह है कि मॉड्यूल विदेशों से ऑपरेट किए जा रहे हैं। हालात यह हैं कि हाल में तरततारन बम बलास्ट में फिर से 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जिनके संबंध खालिस्तानी आतंकियों के साथ बताए जा रहे हैं।

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इन संगठनों के जुड़े हैं तार
पंजाब में पठानकोट एयरबेस और दीनानगर पुलिस थाने में हुए हमले को छोड़कर पंजाब में घटित आतंकी घटनाएं सीधे तौर से खालिस्तान से जुड़ी हुई हैं। आईसीएम के पोर्टल के डाटाबेस के मुताबिक इनमें 42 आतंकियों को 2017 और 16 आतंकियों को 2018 में गिरफ्तार किया गया है। यह 234 आतंकवादी मुख्य रूप से बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई), खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ), भिंडरावाले टाइगर्स के साथ जुड़े हुए हैं। इसके अलावा  खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेएफ), खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ), इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसवाईएफ ) के साथ-साथ कुछ छोटे गुटों को 2010 से गिरफ्तार किया गया है। मौजूदा वर्ष के अप्रैल माह तक की बात करें तो कम से कम सात आतंकवादी गिरफ्तार किए गए हैं।

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पाकिस्तान आर्मी की फैक्टरी में निर्मित था हैंडग्रेनेड
निरंकारी भवन में हुए विस्फोट के बाद पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था जिनका संबंध खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) से था। इस दौरान यह भी खुलासा हुआ कि विस्फोट के लिए इस्तेमाल किया गया हैंडग्रेनेड पाकिस्तान आर्मी की ऑर्डिनैंस फैक्टरी में निर्मित किया गया था। गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने यह भी बताया था कि उन्हें हैंडग्रेनेड पाकिस्तान में रह रहे केएलएफ के चीफ हरमीत सिंह हैप्पी ऊर्प पीएचडी ने दिया था। इससे पहले 14 सितंबर 2018 को कश्मीर के आतंकियों ने जालंधर स्थित मकसूदा थाने पर चार हैंड ग्रेनेड फेंके थे। इस हमले में दो पुलिस कर्मी घायल हो गए थे। इसमें जांच में पाया गया था कि इसमें कश्मीर के अंसार गजवत-उल-हिंद संगठन का हाथ था। अलबत्ता निरंकारी भवन पर खालिस्तानी आतंकियों का हाथ होने की पुष्टि के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 26 दिसंबर को केएलएफ पर प्रतिबंध लगा दिया। आतंकवादी संगठनों की सूची में यह 40 वां नाम था।

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हिंदू नेताओं और डेरा समर्थकों को मारने की थी साजिश
31 मार्च 2019 को पंजाब पुलिस के स्टेट स्पेशल ऑपरेशंस सेल (एसएसओसी) ने एक आतंकवादी मॉड्यूल को निष्प्रभावी कर दिया था। मोहाली जिले में साहिबजादा अजीत सिंह नगर से बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के पांच कट्टरपंथियों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए लोगों के कब्जे से एक .32 बोर की पिस्टल, एक मैगजीन और चार जिंदा राउंड बरामद किए गए थे। इसके अलावा पुलिस ने बीकेआई के 15 लैटर पैड बरामद किए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गिरफ्तार किए गए लोग एक बड़े मॉड्यूल का हिस्सा थे, इनमें तीन अन्य आतंकवादी भी शामिल थे। जिनकी पहचान रूपिंदर सिंह, दलेर सिंह बंटी और रंजीत सिंह के रूप में की गई है। जिन्हें गिरफ्तार किया जाना बाकी है। खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के पूर्व प्रमुख रंजीत सिंह जर्मनी में बताए जा रहे हैं, जो गिरफ्तार किए पांच लोगों की मदद कर हे थे। यह लोग  हिंदू नेता और डेरा सच्चा सौदा के सदस्यों को मारने की योजना बना रहे थे। इसके लिए धन और हथियार जुटाए जा रहे थे।

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अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खालिस्तानी अलगाववाद
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खालिस्तानी सिख अलगाववाद को जीवित रखने की गतिविधियां अभी जारी हैं। अमरीका में सिख फार जस्टिस (एसजेएफ) ने 12 अगस्त 2018 को लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर में एक कार्यक्रम आयोजित किया और 'खालिस्तान रेफरेंडम 2020' अभियान की घोषणा की। इस जनमत संग्रह का उद्देश्य 2020 तक भारत से पंजाब को मुक्त करने के मुद्दे पर दुनिया भर में बसे सिख समुदाय की इच्छाओं को जाहिर करना है। इसके बाद अलगाववादी संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के हस्तक्षेप से भारत से पंजाब को अलग करवाने की इच्छा पाले हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि 12 अप्रैल 2019 को घरेलू राजनीतिक मजबूरियों के कारण, कनाडाई सरकार ने सिख चरमपंथ के आठ संदर्भों और खालिस्तान के छह संदर्भों को अपनी आतंकी रिपोर्ट - "2018 पब्लिक रिपोर्ट ऑन द टैररिज्म थ्रेट टू कनाडा" से हटा दिया। इस घटनाक्रम से सिख अलगाववादियों को लगने लगा है कि वे अपने मकसद में कामयाब होंगे।

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